
रांची : ग्रामीण विकास मंत्री चंद्रशेखर दुबे हालांकि मुख्यमंत्री हेमंत
सोरेन को सबसे भ्रष्ट बताने के बाद अपनी बात से पलट गए हैं किंतु उनकी
कुर्सी खतरे में पड़ी ही हुई है। हालांकि उनके खिलाफ कार्रवाई पर अब भी
सस्पेंस बरकरार है। कांग्रेस आलाकमान की फटकार और पद छोड़ने का अल्टीमेटम
मिलने के बाद उनके सुर नरम पड़े हैं। लगे हाथ दिल्ली पर ब्राrाण और दलित
लॉबी का दबाव भी पड़ा। ऐसी स्थिति में दुबे स्वयं को अपेक्षाकृत
सुविधाजनक स्थिति में महसूस कर रहे हैं किंतु मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन
उन्हें बख्शने के मूड में नहीं हैं। नई दिल्ली में शनिवार को कांग्रेस के
प्रमुख नेताओं से मुलाकात के क्रम में ही उन्होंने स्पष्टता से अपनी
बातें रख दी थी। साफ कह दिया था कि दुबे को मंत्रिमंडल में साथ लेकर चलना
अब असंभव है। इसे देखते हुए कांग्रेस खुद उन्हें मंत्रिपरिषद से हटाने की
सिफारिश करे। कांग्रेस ने कार्रवाई के लिए झामुमो से मोहलत मांगी, जिसकी
अवधि बुधवार को समाप्त होने वाली है। प्रदेश कांग्रेस के प्रभारी और
पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव बीके हरिप्रसाद ने दुबे को संकेत दे दिया है
कि बदली परिस्थिति में उन्हें पद छोड़ना पड़ सकता है। 1मंगलवार को
आननफानन में एक बड़े होटल में बुलाई गई सत्तापक्ष की बैठक में
मुख्यमंत्री ने खुलकर कुछ कहने से परहेज किया लेकिन उनके दल के वरीय
नेताओं का रुख नरम नहीं पड़ा है। बैठक में मंत्री चंद्रशेखर दुबे उर्फ
ददई दुबे को भी भाग लेने आना था लेकिन मुख्यमंत्री ने उनसे मुलाकात के
लिए वक्त नहीं दिया। इससे पहले कि दुबे होटल पहुंचते मुख्यमंत्री का
काफिला राजभवन की ओर निकल गया। दुबे वहां से बैरंग वापस लौट गए। कयास
लगाया जाने लगा कि मुख्यमंत्री दुबे के खिलाफ सख्त कार्रवाई की चिट्ठी
राज्यपाल को सौंप सकते हैं लेकिन बताया गया कि यह औपचारिक मुलाकात है।
उधर झामुमो प्रवक्ता विनोद पांडेय, जो बैठक के दौरान मौजूद थे, ने फिर
दोहराया कि कांग्रेस दुबे को तत्काल मंत्रिमंडल से बर्खास्त करने का
निर्णय करे। अगर ऐसा नहीं हुआ तो झामुमो मुख्यमंत्री पर उन्हें निकाल
बाहर करने का दबाव बनाएगा। 1राजेंद्र बोले, नहीं मालूम1कांग्रेस विधायक
दल के नेता राजेंद्र प्रसाद सिंह ददई दुबे प्रकरण पर खुलकर बोलने से बचते
नजर आए। उन्होंने कहा कि मुङो इस प्रकरण की पूरी जानकारी नहीं है।
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