मुंबई।
टाटा स्टील ने एक क्रांतिकारी प्रोद्योगिकी में पूर्ण बौद्धिक संपदा अधिकार (इंटेलेक्चुअल प्राॅपर्टी राइट्स) प्राप्त कर लिया है। इस पहल ने इसे न्यून-कार्बन इस्पात नवाचार में अग्रिम पंक्ति में खड़ा कर दिया है।
कंपनी नीदरलैंड्स के ईमुदीन स्टीलवक्र्स में ‘‘हिसरना’’ नामक आधारभूत तकनीक का परीक्षण किया है। ’हिसरना’ में ऊर्जा उपयोग और कार्बन उत्सर्जन को कम से कम 20 प्रतिशत तक कटौती करने की क्षमता है, साथ ही कम कीमत वाले कच्चे माल के माध्यम से स्टील बनाने की लागत को कम करने की भी क्षमता है, जिनमें से आधा रिसाइकल करने योग्य स्क्रैप स्टील होगा।
’हिसरना’ स्टील बनाने की प्रक्रिया में पूरी तरह से नई तकनीक है जिसमें टाटा स्टील के साइक्लोन कन्वर्टर फर्नेस को रियो टिंटो के स्मेल्टर के साथ जोड़ा गया है। अब, टाटा स्टील ने रियो टिंटो की स्मेल्टर टेक्नोलाॅजी और ’हिसरना’ प्रक्रिया संचालित करने के लिए आवश्यक बौद्धिक संपदा अधिकारों को हासिल कर लिया है।
हिसरर्ना में एक रिएक्टर होता है, जिसमें शीर्ष से अयस्क डाला जाता है। अयस्क को एक उच्च तापमान साइक्लोन में द्रवीभूत कर रिएक्टर के तल में टपकाया जाता है। जब कोयले का चूर्ण रिएक्टर में डाला जाता है, तो यह पिघले हुए अयस्क के साथ मिल कर शुद्ध तरल लोहा और कार्बन डायआॅक्साइड उत्पन्न करता है।
’इस टेक्नोलाॅजी से प्रसंस्करण के पहले उठाये जाने कई कदमों की आवश्यता नहीं रहती, जिसके परिणामस्वरूप महत्वपूर्ण दक्षता लाभ मिलता है और ऊर्जा उपयोग और कार्बन डायआॅक्साइड में 20 प्रतिशत की कटौती होती है। हिसरर्ना से लगभग शुद्ध कार्बन डायआॅक्साइड का उत्पादन होता है, इससे गैस को आसानी से पकड़ने, भंडारण या उपयोग के लिए उपयुक्त बन जाता है। फलस्वरूप स्टील उत्पादन प्रक्रिया से कुल 80 प्रतिशत कार्बन डायआॅक्साइड की बचत हो सकती है। इससे महीन कणों के उत्सर्जन में महत्वपूर्ण कमी के साथ-साथ सल्फर डाइऑक्साइड और नाइट्रोजन ऑक्साइड में भी कमी हो सकती है।
आधुनिक समाज के लिए आवश्यक होने के अलावा, स्टील संवहनीय सामग्री है, क्योंकि यह स्थायी है। स्टील उत्पाद जीवनपर्यंत तक टिकाऊ हो सकता है, जिसके बाद नये उत्पादों को बनाने के लिए भ्ज्ञी उनका पुनः उपयोग किया जा सकता है। इसका मतलब है कि स्टील का उपयोग होता है, इसका खपत कभी नहीं किया जाता है और इससे पता चलता है कि दुनिया में स्टील सबसे अधिक पुनर्नवीनीकरण सामग्री क्यों है। स्टील का उत्पादन दीर्घकालिक निवेश है, जो अपने संपूर्ण जीवन-चक्र के दौरान व्यापक कार्बन डायआॅक्साइड दक्षतायें प्रदान करता है।
श्री टी वी नरेन्द्र, एमडी, टाटा स्टील ने इस टेक्नोलाॅजी के बारे में बात करते हुए कहा, “प्रबंधन और प्रक्रिया प्रौद्योगिकी के कई क्षेत्रों में टाटा स्टील की अग्रणी पहलकदमियों की अपनी एक विरासत रही है। ’हिसरना’ के लिए पूर्ण बौद्धिक संपदा अधिकारों का अधिग्रहण, स्टील विनिर्माण क्षेत्र में हमारी अग्रणी पहचान स्थापित करने, व्यापार की दीर्घकालिक स्थिरता सुनिश्चित करने तथा ऊर्जा व कार्बन उत्सर्जन के उपयोग में कमी लाने, जो स्टील उद्योग के लिए एक चुनौती है, की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। मैं ’हिसरना’ टेक्नोलॉजी की स्थापना में नीदरलैंड में अपनी टीम के अथक प्रयासों की सराहना करता हूं। ’हिसरना’ शून्य अपशिष्ट के साथ एक चक्रीय अर्थव्यवस्था प्राप्त करने में समाज में एक अहम भूमिका निभा सकती है। मैं कई वर्षों तक इस टेक्नोलाॅजी के विकास में लगे रहने के लिए रियो टिंटो का भी आभार प्रकट करता हूं।“
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