बिष्टुपुर के कमानी सेंटर में आयोजित कार्यक्रम में याद किए गए चटगांव शस्त्रगार लूट कांड के नायक मास्टर सूर्य सेन व उनके कनिष्ठतम सहयोगी सुरेश डे
जमशेदपुर।
बिष्टुपुर के कमानी सेंटर में शनिवार को श्रीलेदर्स के संस्थापक सुरेशचंद्र डे की 107वीं जयंती धूमधाम से मनाई गई, जिसमें चटगांव शस्त्रगार लूट कांड के अभिन्न नायक मास्टर सूर्य सेन व उनके कनिष्ठतम सहयोगी सुरेश डे को याद किया गया। कार्यक्रम की शुरुआत सुबह 8.30 बजे हुई, जिसमें श्रीलेदर्स के मालिक शेखर डे ने स्वामी विवेकानंद, नेताजी सुभाषचंद्र बोस, मास्टर सूर्य सेन व सुरेशचंद्र डे की तस्वीर पर श्रद्धासुमन अर्पित किया। इस अवसर पर मुख्य अतिथि प्रो. बीके मिश्र के अलावा मिलानी के सचिव कृष्णोंदु चटर्जी, सी. गुहा, भास्कर मित्र, विमल चक्रवर्ती, द्विजेन सरकार, एनडी घोष, सुरोजीत चटर्जी व श्रीलेदर्स परिवार समेत अन्य गणमान्य उपस्थित थे।
अपने संबोधन में शेखर डे ने कहा कि बाबू एक स्वतंत्रता सेनानी ही नहीं, भविष्य दृष्टा भी थे। विप्लवी (आंदोलनकारी) रहने के दौरान उन्होंने जो कड़ी मेहनत की, निर्भीकता, धैर्य व अनुशासन का पाठ पढ़ा, उसे व्यवसाय में भी कायम रखा। यही वजह है कि उनके द्वारा स्थापित श्रीलेदर्स की आज देश में 41 शाखाएं संचालित हैं। प्रो. बीके मिश्र ने कहा कि आजादी के इतिहास में सुरेशचंद्र डे की वीरगाथा अमर रहेगी। वे मास्टर सूर्य सेन के दल में सबसे कनिष्ठ सदस्य थे। अंग्रेजों से लड़ाई के दौरान वे बुरी तरह घायल हो गए थे। इसमें वे गिरफ्तार भी हुई, तो कैद भी रहे। अंत में साक्ष्य के अभाव में रिहा होने के बाद वे जमशेदपुर आए और वर्ष 1952 में साकची में श्रीलेदर्स की नींव रखी। उस समय जूते-चप्पल काफी महंगे होते थे, जिससे 80 फीसद लोग नंगे पांव रहते थे। उन्होंने सस्ते दाम पर लोगों को जूते-चप्पल मुहैया कराकर समाज को उन्नत बनाने में अतुलनीय योगदान दिया
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