जमशेदपुर।
विश्व पर्यावरण दिवस के पूर्व दिवस पर ” पर्यावरण पहल” की टीम नें आज संयोजक मनोज कुमार सिंह की अगुआई में दलमा का भ्रमण किया।
विदित हो कि दलमा सेंच्युरी हाथियों के लिए जाना जाता है। हांथी के अलावा यहां सुअर , हिरण, मोर आदि अनेक जानवर बड़ी मात्रा में पाये जाते थे।परंतु आज के तारीख में हांथी सहित अन्य जीव जंतुओं की संख्या में बड़े पैमाने पर कमी आयी है ऐसा अध्ययन दल को दलमा के शिखर पर और रास्ते में रहने वाले ग्रामीणों ने बताया।
जैसा कि हम जानते हैं कि जैव विविधता के दृष्टि से भी दलमा बहुत समृद्ध रही है। जमशेदपुर और आस पास में जिस प्रकार के औद्योगिक प्रक्षेत्र है उसमें दलमा फेफड़े का काम करता है, लेकिन आज के दिन अध्ययन दल ने पाया की यह फेफड़ा हीं प्रदूषित हो रहा है। कभी सघन वन का क्षेत्र रहा हुआ दलमा आज विरल वन क्षेत्र में बदलते जा रहा है।
पहाड़ की चोटी पर प्लास्टिक के बोतलों और कचड़ों का अम्बार देखने को मिला। यहां टूरिस्ट के साथ साथ बड़ी संख्या में दलमा के शिखर पर बने शिव और हनुमान मंदिर में श्रद्धालु आते हैं परिणाम स्वरूप कचड़ा तो बढ़ता जा रहा है परंतु उसका निष्पादन नियमित नही हो पा रहा है। ज्ञातव्य हो कि पिछले कुछ समय पहले भारत सरकार के वन एवं पर्यावरण मंत्रालय नें दलमा को इको सेंसेटिव जोन घोशित किया है परंतु पूरे क्षेत्र में कहीं भी उसके अनुरुप संरक्षण हेतू सार्थक पहल नहीं दिख रहा है। यहां तक की इको सेंशेटिव जोन से संबंधित बोर्ड लगाकर गंदगी निषेध की चर्चा भी कहीं नहीं है।
अध्ययन दल में प्रमुख रुप से राकेश पाण्डेय, विजय कुमार सिंह, अनिल राय, अमर कुमार सिंह, राकेश कुमार सिंह, सुरेश प्रताप सिंह, मृत्युंजय सिंह, प्रवीण कुमार, सुखदेव सिंह, राजेश सिंह, प्रवीण सिंह, विकास साहनी, सुमित शर्मा, रविकांत मिश्र, अशोक कुमार, गोराई, जयंत सिंह, गुड्डू सिंह, मुकेश कुमार, घनश्याम दास, देव वर्मा इत्यादि
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