जमशेदपुर।
नृत्यांगन परफोर्मिंग आर्ट्स , जमशेदपुर के तत्वाधान में टेल्को रिक्रिएशन क्लब में आयोजित कत्थक कार्यशाला “तालीम” के दुसरे दिन श्रीमती गौरी दिवाकर के द्वारा प्रथम दिवस के क्रियाओं गुरु वंदना , सरस्वती वंदना एवं तराना को रियाज़ किया गया एवं आज प्रशिक्षुओं को ठुमरी एवं भजन के बारे के तकनीकी जानकारियों को विस्तारपूर्वक से दिया गया I शुक्रवार तक चलने वाली इस वर्कशॉप में करीब 50 नृत्यांगनाएं शिरकत कर रही हैं।
‘तकनीकी पक्ष अच्छा हो तो और निखरता है नृत्य’ : पंडित संदीप बोस
जो साउंड क्वालिटी सिंगर और साजिंदों के लिए रखी जाए उसी से मैच करती फ्रिक्वेंसी डांसर्स के तत्कार (फुटवर्क और घुंघरू) के लिए रखी जाए वरना दर्शकों की एकाग्रता भंग हो जाएगी और नृत्य नीरस लगने लगेगा। इसी तरह स्टेज को लाइटिंग से एकदम चकाचौंध करने की बजाय उस पर्टिकुलर हिस्से पर फोकस करना चाहिए जो उस वक्त मूव कर रहा हो।
ऑडियंस से थोड़ा ऊपर हो परफॉर्मर का आई लेवल : गौरी दिवाकर
वेस्टर्न डांस में कलाकार और दर्शकों का आई कांटैक्ट जरूरी माना जाता है मगर कथक कलाकार को अपनी निगाहें दर्शकों के आई लेवल से थोड़ा ऊपर रखनी, चाहिए क्योंकि वे उनके लिए नहीं,बल्कि ईश्वर के लिए नृत्य करता है। परफॉर्मेंस से पहले एक बार पूरे स्टेज का मुआयना जरूर कर लें। दर्शकों की सीट्स पर बैठकर अपने किसी साथी को स्टेज के अलग-अलग हिस्सों में खड़ा कर देखें कि स्टेज के किस हिस्से से पूरी ऑडियंस को व्यू मिल रहा है। परफॉर्मेंस के दौरान उस हिस्से का सबसे ज्यादा उपयोग करें।
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