जमशेदपुर।
टाटा जुलोजिकल पार्क मे नया मेहमान का आगमन हो चुका है। ये नया मेहमान जेब्रा है। इस नये मेहमान को ट्रेन के द्वारा मुबई से टाटानगर लाया गया है। यह मेहमान ईजरायल से लाया गया। ईजरायल से विमान के द्वारा मुबई लाया गया। फिलहाल जु मे जाने वाले दर्शक इसके दिगार कर नही सकेगें इस जेब्रा को जु मे आने वाले पर्यटक जनवरी 2016 में देख सकेगें।.फिलहाल दोनो जेब्रा को डाक्टरो के ऑबजोरवेशन में रखा गया है।
टाटा स्टील जूलॉजिकल पार्क में जेब्रा के दो जोड़े लाने के प्रस्ताव की शुरुआत अगस्त, 2014 में हुई थी, जब जूलॉजिकल सेंटर, रमत गैन सफारी, तेल अवीव, जहाँ पश्चिम एशिया में सबसे ज्यादा जेब्रा रखे जाते हैं, को एक अनुरोध भेजा गया।
इस प्रस्ताव को जूलॉजिकल सेंटर, तेल अवीव ने तब सैद्धांतिक रूप से स्वीकार कर लिया, जब अक्तूबर-नवंबर, 2014 में नयी दिल्ली में आयोजित वर्ल्ड एसोसिएशन ऑफ जू ऐंड एक्वेरियम्स की मीटिंग में श्री विपुल चक्रवर्ती. डाइरेक्टर, टाटा स्टील जूलॉजिकल पार्क ने श्री येहुदा बार, डाइरेक्टर, जूलॉजिकल सेंटर, रमत गन, तेल अवीव से मुलाकात कर उनसे इस आशय का आग्रह किया।
जूलॉजिकल सेंटर से स्वीकृति मिलने के बाद सेन्ट्रल जू अथॉरिटी के समक्ष दस्तावेज प्रस्तुत करने हेतु जू की मैनेजिंग कमिटी की औपचारिक स्वीकृति हासिल की गयी। सेन्ट्रल जू अथॉरिटी ने शीघ्रता दिखाते हुए नवंबर, 2014 में अपनी स्वीकृति प्रदान कर दी। इसके बाद पर्यावरण, वन व जलवायु परिवर्तन, कृषि व कृषक कल्याण विभाग मंत्रालय के अधीन पशुपालन, डेयरी और मत्स्य पालन विभाग, विदेश व्यापार महानिदेशक एवं व्यवसाय व उद्योग मंत्रालय की स्वीकृति हासिल की गयी।
इस बीच, चीफ वाइल्डलाइफ वार्डन, झारखंड से भी स्वीकृति ली गयी। सभी संबंधित पक्षों की स्वीकृति हासिल हो जाने के बाद जूलॉजिकल सेंटर, तेल अवीव से जेब्रा के जोड़ों को भारत भेजने की तैयारी करने का आग्रह किया गया। जेब्रा के जोड़ों को मुंबई तक पहुँचाने के लिए ईएल एएल एयरलाइन्स की सेवा ली गयी। जेब्रा के जोड़े 30 नवंबर, 2015 को 0830 बजे तेल अवीव से मुंबई पहुँच गये।
कस्टम्स, वाइल्डलाइफ क्राइम कन्ट्रोल ब्यूरो से स्वीकृति मिलने और क्वारेन्टाइन की औपचारिकताएँ पूरी करने के बाद जेब्रा के जोड़ों को पार्सल वैन में लोड करने हेतु वाडी बंदर के रेलयार्ड ले जाया गया। इसके बाद पार्सल वैन को लोकमान्य तिलक टर्मिनस, कुर्ला तक ले जाया गया, ताकि उसे 18029 एलटीटी-शालीमार एक्सप्रेस से जोड़ा जा सके। जू की एक तीन सदस्यीय टीम जेब्रा को लेकर रेलमार्ग से मुंबई से टाटानगर पहुँची। इस टीम में शामिल थे डॉ. मानिक पालित, जू के डेपुटी डाइरेक्टर एवं श्री राजकिशोर, एनिमल कीपर। रास्ते में जेब्रा के जोड़ों के खाने-पीने की व्यवस्था भी समुचित रूप से की गयी। टाटानगर आने के क्रम में 1 दिसंबर, 2015 को मैत्री बाग जू, भिलाई की एक वेटेरिनरी टीम ने दुर्ग रेलवे स्टेशन पर जेब्रा के स्वास्थ्य की जाँच भी की।
ट्रेन से 1800 किलोमीटर की दूरी 33 घंटों में तय करने के बाद जेब्रा के जोड़े आज 2 दिसंबर, 2015 को 0700 बजे टाटानगर रेलवे स्टेशन पर पहुँच गये। जेब्रा के पार्सल वैन को रेलवे स्टेशन पर एक्सप्रेस ट्रेन से डिटैच कर एक साइडिंग एरिया में ले जाया गया, जहाँ से उन्हें एक ट्रक में लोड कर जूलॉजिकल पार्क पहुँचाया गया।
जू में पहुँचते ही इन जानवरों को उनके क्रेट से निकालकर क्वैरेन्टाइन इन्क्लोजर में रखा गया, जहाँ उन्हें अगले 30 दिनों तक रखा जाएगा। सीसीटीवी की मदद से चिड़ियाघर के वेटेरिनरी डॉक्टर एवं एनिमल कीपर्स द्वारा इन जानवरों की निगरानी की जाएगी। जेब्रा के क्वैरान्टाइन का सुपरवीजन डॉ. दीपंकर विश्वास, रीजनल क्वैरेन्टाइन ऑफिसर, इस्टर्न रीजन कोलकाता के मार्गदर्शन में किया जाएगा। चिड़ियाघर का भ्रमण करनेवाले जनवरी, 2016 के पहले सप्ताह में इन नये मेहमानों को देख पाएँगे।
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