चाईबासा-राजनेताओं ने लोकतंत्र को बहुत कमजोर कर दिया : राधानाथ त्रिपाठी

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चक्रधरपुर :
शुक्रवार को जवाहरलाल नेहरू महाविद्यालय चक्रधरपुर में इंडियन काउंसिल ऑफ व‌र्ल्ड अफेयर्स नई दिल्ली एवं इंडियन काउंसिल ऑफ सोशल साइंस रिसर्च नई दिल्ली के संयुक्त तत्वावधान में दो दिवसीय राष्ट्र स्तरीय सेमिनार प्रारंभ हुआ. सेमिनार का उदघाटन आईसीएसआर न्यू दिल्ली के निर्देशक डॉ उपेंद्र चौधरी, यूनिवर्सिटी ऑफ दिल्ली के डॉ राधानाथ त्रिपाठी, आईसीडब्ल्यूए न्यू दिल्ली के डॉ स्तुस्ती बनर्जी, पेट्रॉन कोल्हान विश्वविद्यालय कुलपति डॉ शुक्ला मोहांती, पेट्रॉन कोल्हान विश्वविद्यालय प्रोवीसी डॉ रंजीत कुमार सिंह, वाइस पेट्रॉन जेएलएन कॉलेज चक्रधरपुर के प्रभारी प्राचार्य प्रो नागेश्वर प्रधान, कन्वेनर असिस्टेंट प्रोफेसर जेएलएन कॉलेज चक्रधरपुर के डॉ परशुराम सियाल, को-कन्वेनर असिस्टेंट प्रोफेसर डिपार्टमेंट ऑफ इंटरनेशनल रिलेशंस सेंट्रल यूनिवर्सिटी झारखंड के डॉ विभूति भूषण विश्वास ने संयुक्त रूप से दीप प्रज्वलित कर किया. तत्पश्चात सेमिनार में उपस्थित विभिन्न यूनिवर्सिटी के प्रोफेसरों ने भारतीय प्रजातंत्र के 70 वर्ष और संभावना एवं वैश्विक स्तर पर चिंतन मनन, चुनौती, संभावना विषय पर विस्तार पूर्वक चर्चा राय पेश किये. सेमिनार के पहले दिन डेमोक्रेसी, इनक्लुसिव एंड गुड गर्वमेंट, प्रजातंत्र एवं भारत का विदेश निती, लोक तंत्र नया भारत और चुनौतियां, आंतकवाद एवं विदेशी आतंकवाद, चुनाव, भ्रष्टाचार व गरीबी, जाति व राजनीति विषय पर परिचर्चा हुई.

विभिन्न यूनिवर्सिटी से पहुंचें प्रोफेसर  
जेएलएन कॉलेज में आयोजित दो दिवसीय राष्ट्र स्तरीय सेमिनार में देश के विभिन्न राज्यों के यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर पहुंचे. जिसमें मुंबई यूनिवर्सिटी, दिल्ली यूनिवर्सिटी, जेएनयू, सेंट्रल यूनिवर्सिटी साउथ बिहार, कोलकाता यूनिवर्सिटी, विद्या सागर यूनिवर्सिटी, फकीर मोहन यूनिवर्सिटी, उत्कल यूनिवर्सिटी, श्री श्री यूनिवर्सिटी, बरमपुर यूनिवर्सिटी, रविनसा यूनिवर्सिटी, पंडीचेरी यूनिवर्सिटी, एएमआईटी यूनिवर्सिटी, गुजरात यूनिवर्सिटी, हरियाणा यूनिवर्सिटी, पंजाब यूनिवर्सिटी, आंध्रा यूनिवर्सिटी, बीएचयू, अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी, रांची यूनिवर्सिटी, सेंट्रल यूनिवर्सिटी रांची, कोल्हान यूनिवर्सिटी आदि से विद्वान पहुंचेंगे. जिसके द्वारा 70 वर्ष प्रजातंत्र, विदेशी नीति आदि विषयों पर चर्चा किया.

सेमिनार में यह थे उपस्थित  
डॉ महेश रंजन देवता जेएनयू नई दिल्ली, डॉ राजेन्द्र भारती एचओडी यूनिवर्सिटी डिपार्टमेंट ऑफ पॉलिटिकल साइंस केयू, प्रो कस्तूरी बोयपाई प्राचार्या टाटा कॉलेज चाईबासा, डॉ पूर्णिमा कुमार प्राचार्या वीमेंस कॉलेज जमशेदपुर, जेएलएन कॉलेज के प्रो सीपी शर्मा, डॉ अरूण कुमार, प्रो आरबी मोहंती, डॉ श्रीनिवास कुमार, प्रो एके ओझा एवं डॉ यूएस सिंह, प्रो एके त्रिपाठी, डॉ प्रमोद ,कुमार, प्रो अरविंद पंडित, प्रो एसके बारिक, प्रो पीएस षाड़ंगी, प्रो बीके मिश्र, प्रो बीएस मिश्र, प्रो आदित्य कुमार, प्रो बीके मिश्र, प्रो सविता कुमारी, प्रो सीपी शर्मा, प्रो मनसा महतो, एसपी रावत, एसके तिवारी, सुजीत कुमार मिश्र, मनमोहन प्रसाद, रंजना छाबड़ा, काकुली षाड़ंगी, नेहा मुराई आदि मौजूद थे.

हमें देश के अंदरुनी मामलों में जीतना होगा : डॉ त्रिपाठी
मुख्य वक्ता सह मुख्य अतिथि युनिर्वसिटी ऑफ दिल्ली के डॉ राधानाथ त्रिपाठी ने कहा कि हमें देश के अंदरुनी मामलों में विजयी हासिल करनी होगी. 70 सालों के लोकतंत्र में हमने देश के बाहर बहुत नाम हासिल किया. विश्व हमारे लोकतांत्रिक व्यवस्था का कायल हुआ. लेकिन अफसोस है कि हमने अपने अंदरुनी मामलों को बेहतर तरीके से सुलझा नहीं पाये. जिस कारण देश हमेशा सुलगता रहता है. जिसकी आंच विश्व में भी जाती है और रह रह कर हमारी लोकतंत्र पर उंगलियां उठने लगती है.भूखमरी, पिछड़ापन, गरीबी, नक्सलवाद, क्षेत्रीयता आदि को जड़ से खत्म करने की जरूरत है. उन्होंने एक चुभती हुई बात कहते हुए कहा कि भारत के लोकतंत्र को सबसे ज्यादा कमजोर हमारे राजनेताओं ने ही किया है. उन्होंने कहा कि लोकतंत्र को मजबूत करने की पहल टीएन शेषन ने किया था. लेकिन हमारे राजनेता उनके पर काटते रहे, जिस कारण हमारा लोकतंत्र उस मुकाम तक नहीं पहुंच पाया, जहां होना चाहिए था.

गरीबी नहीं रही तो देश काफी विकसित होगा : चौधरी
आइसीएसएसआर न्यू दिल्ली के डेयरेक्टर उपेंद्र चौधरी ने अपने संबोधन में कहा कि 70 सालों के लोकतांत्रिक व्यवस्था के बाद भी आज हम जाति, धर्म, समुदाय के बीच उलझे हुए हैं. यह दुर्भाग्य है कि आज भी हमारे बीच सामंजस स्थापित नहीं हो सका है. शिक्षाविद चाहें तो इसे स्थापित किया जा सकता है. भारत के लोकतांत्रिक व्यवस्था को आगे बढ़ाने की जरूरत है. यह एक ऐसी व्यवस्था है, जो भारत को अनेकता में एकता दशार्ता है और विश्व गुरू बनने की क्षमता रखता है. देश के लिए गरीबी एक अभिशाप बनती रही है. बेहतर शिक्षा, रोजगार और स्वरोजगार के माध्यम बेरोजगारी मिटायी जा सकती है. गरीबी नहीं रही तो देश काफी विकसित होगा.

महिला सशिक्तकरण देश हित में : शुक्ला मोहांति
कोल्हान विश्वविद्यालय की कुलपति डॉ शुक्ला मोहांति ने अपने अध्यक्षीय भाषम में कहा कि भारत ने लोकतांत्रिक व्यवस्था में कई विशेषताएं हासिल हैं. आज भी देश के सामने कई चुनौतियां हैं. सबसे बड़ी विडंबना जातिगत द्वेष है. हम जब तक धर्म व जाति से उपर नहीं उठेंगे, तब तक हमारा संपुर्ण विकास नहीं होगा. महिला सशक्तिकरण की ओर देश अग्रसर है. इस दिशा में और बेहतर कार्य करने की आवश्यकता है. भारत विश्व का सबसे बड़ा लोकतंत्र है. लेकिन आज चंद लोग लोकतांत्रिक व्यवस्था को खोखला करने की कोशिश कर रहे हैं. भारत के लोकतांत्रिक व्यवस्था का अनुशरण दूसरे देश कर रहे हैं. हमें अपनी व्यवस्था की रक्षा करनी होगी.

लोकतंत्र की जड़ काफी मजबूत और गहरी : डॉ स्तूती बनर्जी
आईसीडब्ल्यूए न्यू दिल्ली की रिसर्च फेलो डॉ स्तूती बनर्जी ने कहा कि भारत में लोकतंत्र की जड़ काफी मजबूत और गहरी है. इसे और ज्यादा सजग होकर आगे बढ़ाने की जरूरत है. हमारी सजगता ही हमारे लोकतंत्र की हिफाजत कर सकती है. हम आपस में उलझने के बजाए देश को और गढ़ने के लिए लोकतंत्र पर मुकम्मल विश्वास करते हुए इसे मजबूती प्रदान करें.

लोकतंत्र व आधूनिकता पर चर्चा समय की मांग : डॉ रंजीत 
कोल्हान विश्वविद्यालय के प्रो वीसी डॉ रंजीत कुमार सिंह ने कहा कि 70 वर्ष का लंबा समय बीत चुका है. इन 70 सालों में हमने लोकतांत्रिक व्यवस्था, विज्ञान, कृषि, उद्योग, शिक्षा इत्यादी पर काफी मजबूती हासिल की है. लेकिन आज भी इसे विकसित करने की जरूरत है. लोक तंत्र और विज्ञान, कृषि, उद्योग, शिक्षा दोनों एक दूसरे के पुरक हैं. यदि हम एक को विकसित करते हैं तो कमजोर ही रहेंगे. इसलिए सभी को साथ लेकर चलना होगा और नये आयाम तय करने होंगे.

सेमिनार हमारा ताज बनेगा : प्रो प्रधान
जवाहर लाल नेहरू कॉलेज के प्राचार्य प्रो नागेश्वर प्रधान ने कहा कि ये राष्ट्रीय सेमिनार कोल्हान विश्वविद्यालय, झारखंड और हमारे कॉलेज के लिए सम्मान की बात है. यह हमारा ताज बनेगा. आज की परिचर्चा के बाद यहां से जो सीख मिलते हैं, यदि हम उन्हें धरातल पर उतारते हैं तो निसंदेह हमारा लोकतंत्र और भी मजबूत होगा.

सेमिनार मील का पत्थर : डॉ पी सियाल
सेमिनार के कंवेनर डॉ पी सियाल ने कहा कि भारत ने 70 सालों में कई ख्याति अर्जित की है. इसके बावजूद हमारा लोकतंत्र का शतप्रतिशत पालन नहीं हो पाता है. यह सेमिनरा लोकतंत्र व्यवस्था को मजबूती प्रदान करने में मील का पत्थर साबित होगा. जेएलएन कॉलेज को मेजबानी मिलना ही गौरव की बात है.

सेमिनार के दूसरे दिन आज होंगे ये कार्यक्रम
सेमिनार के दूसरे सह अंतिम दिन 7 अप्रैल को सेमिनार का विषय पर्यावरण के मुद्दों पर चर्चा है. इसके तहत क्लाइमेट चेंज एंड ग्लोबल वार्मिंग विषय पर परिचर्चा होनी है. इसके साथ ही मानवाधिकारी, महिला सशक्तिकरण व जनजातिय मुद्दे, लोकतंत्र और नागरिक एवं सरकार के बीच संबंध, व्यक्तिगत एवं सामूहिक, नया भारत और गांधी, नेहरू, एम्बेडकर, टैगोर, दीन दयाल उपाध्याय, बिरसा मुंडा विषय पर परिचर्चा होगी.

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