
अन्नी अमृता.


कहने को तो भारत में सांपों की गिनी चुनी प्रजातियां ही जहरीली पाई जाती हैं लेकिन जमीनी हकीकत ये है कि सांप को देखते ही लोगों के होश उड़ जाते हैं.अक्सर सुनने को मिलता है कि सांप के डर से लोगों को हार्ट अटैक तक आ जाता है.बड़ी संख्या में सांप के डर से लोगों की मौत हो जाती है. उधर सरकारी अस्पतालों में भी अक्सर सांप काटने की दवा उपलब्ध नहीं रहती.इस वजह से समय पर इलाज न हो पाने पर भी लोग दम तोड़ देते हैं. ऐसे में अगर सांप निकल आने पर एक call में कोई मदद के लिए पहुंच जाए तो सोचिए ये कितनी राहत की बात होगी. ऐसे ही एक शख्स हैं मिथिलेश श्रीवास्तव उर्फ छोटू.छोटू के पास एक टीम है जो फोन से सूचना मिलते ही सांप पकड़ने के लिए सक्रिय हो जाती है. छोटू की टीम की एक अहम सदस्य रजनी है जो मानगो क्षेत्र में सांप रेस्क्यू के लिए उपलब्ध रहती हैं.बहुत कम.महिलाएं स्नेक रेस्क्यू के क्षेत्र में सक्रिय हैं.
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भुईंयाडीह में केक काटकर मनाया गया वर्ल्ड स्नेक डे, बाहर से आए विशेषज्ञों ने दी सांपों को लेकर अहम जानकारी
छोटू की टीम ने आज वर्ल्ड स्नेक डे पर भुईंयाडीह कालिन्दी क्लब में जागरूकता कार्यक्रम का आयोजन किया.इसमें छोटू के साथ साथ बाहर से आ ए सर्प विशेषज्ञों ने सांपों और उनसे बचाव को लेकर अहम जानकारियां दीं.मुख्य अतिथि सह सर्प विशेषज्ञ बापी दा ने केक काटकर कार्यक्रम का आगाज किया.
मशहूर सर्प विशेषज्ञ बापी दा ने सांप रेस्क्यू करनेवालों को अपनी सुरक्षा के प्रति जागरूक रहने की सलाह देते हुए कुछ सुरक्षा टिप्स भी दिए.एक अन्य विशेषज्ञ ने बताया कि आम लोगों को घर के सामने और पीछे किरासन तेल में नवरत्न तेल डालकर छिड़काव करना चाहिए, इससे सांप काफी दूर रहते हैं.विशेषज्ञों ने इस बात पर दुख प्रकट किया कि झारखंड में स्नेक सेवरों के लिए कोई नीति नहीं है.जान जोखिम में डालकर लोगों की रक्षा करनेवाले स्नेक सेवरों को सरकार से कुछ नहीं मिलता.जबकि कर्नाटक और अन्य कई राज्यों में स्नेक सेवरों को पारा फाॅरेस्टर का दर्जा दिया जाता है.झारखंड में स्नेक सेवरों को अपने पैसे से तेल भरकर लोगों और सर्प की रक्षा के लिए गंतव्य तक पहुंचना पडता है.लोग खुशी खुशी कुछ पैसे दे दिए तो ठीक वर्ना वह भी हासिल नहीं होता.
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स्नेक सेवर छोटू टीम के साथ मिलकर करते हैं काम
बागबेड़ा के रहनेवाले छोटू स्नेक boy के नाम से मशहूर हैं. हालांकि वे खुद को स्नेक सेवर कहलाना पसंद करते हैं. वे न सिर्फ सांपों से इंसान की रक्षा करते हैं बल्कि इंसानों से सांपो को भी बचाते हैं और कानून के दायरे में काम करते हैं.वे लोगों के डर और खतरे को देखते हुए सांपों को पकड़ते हैं और फिर पकड़े गए सांपों को जंगल में छोड़ देते हैं. छोटू बताते हैं कि झारखंड में महज पांच प्रजातियां( रसल वाईपर, करैत, गेहुंअन या खोरिस नाग,common करैत, बैंडेड करैत)ही जहरीली होती हैं लेकिन लोग सांप के डर से उसे मारने लगते हैं जिससे पर्यावरण को नुकसान पहुंचता है.इसलिए छोटू अपनी टीम के साथ तत्पर रहते हैं और लोगों से लगातार अपील करते हैं कि वे तुरंत उन्हें खबर करें ताकि वे सांप को पकड़कर उसे जंगल में छोड़ आएं.
सांप से तो हर कोई डरता है फिर चाहे वह पुलिस ही क्यों न हो…पुलिस भी छोटू की मदद लेती है.जब लोग पुलिस को सांप निकलने की सूचना देते हैं तब पुलिस छोटू को फोन करती है. एक बार शहर के मानगो क्षेत्र में डीएसपी की स्कूटर में सांप निकलने पर छोटू की टीम के सदस्य तुरंत पहुंचे और सांप को पकड़ा. घाघीडीह सेंट्रल जेल परिसर में तो अक्सर अजगर निकल जाता है जिसके बाद लोग छोटू को बुलाते हैं.
lockdown में जब ज्यादातर लोग घरों में थे और अस्पतालों में जगह की घोर कमी रही, छोटू ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई. कोरोना के पहले और दूसरे वेव के दौरान छोटू और उसकी टीम ने सक्रियता दिखाते हुए कई लोगों को अस्पताल जाने से बचाया और उनके जान की रक्षा की.
छोटू सिर्फ सांप नहीं पकड़ते बल्कि लोगों को सांपों के प्रति जागरूक करने का कार्य करते हैं ताकि कोई सांपों को मारे नहीं, साथ ही इतना भी न डर जाएं कि मौत ही हो जाए. एक वाक्या का जिक्र करते हुए छोटू बताते हैं कि कुछ समय पहले घाघीडीह की एक महिला को सांप काटने पर सदर अस्पताल लाया गया जहां एंटी वेनम दवा की अनुपलब्धता पर उसे एमजीएम भेजा गया लेकिन वहां भी दवा न मिलने पर टीएमएच ले जाया गया जहां जगह न मिलने पर कांतिलाल में भर्ती कराया गया. इलाज तो हो रहा था मगर परेशानी यह थी कि महिला बहुत डरी हुई थी और परिजनों को लग रहा था कि डर से मौत न हो जाए, तभी उनलोगों ने छोटू से संपर्क किया तो छोटू ने सांप की प्रजाति जानने के लिए उसकी तस्वीर मांगी ,तस्वीर सेंड बोआ सांप की थी जिसके संदर्भ में छोटू की ओर से ये बताने पर कि सांप जहरीला नहीं है उस महिला की हालत सुधर गई. छोटू की टीम के तरूण कालिंदी उर्फ चीकू, रजनी लहर,विशु श्रीवास्तव, राहुल , प्रतिमा महानंद और शुभम मुखर्जी किसी भी समय सांप रेस्क्यू के लिए तैयार रहते हैं और फोन पर सूचना मिलते ही तुरंत निकल पड़ते हैं. जो गंतव्य के ज्यादा करीब होता है वह पहले पहुंच जाता है. दो साल पहले आदित्यपुर में एक ऐसा वाक्या हुआ था जिसमें लोग काफी घबरा गए थे. जमशेदपुर से सटे आदित्यपुर के हथियाडीह में एक कुंए में नाग सांप निकल आया था जिसे छोटू ने रेस्क्यू करके जंगल में छोड़ दिया था. छोटू सांपों के बारे में और भी ज्यादा जानकारी के लिए देश के अन्य सर्प सेवरों से वाट्सएप ग्रुप के जरिए जुड़े हैं. इस ग्रुप से वे सांपों से संबंधित सूचनाओं का आदान प्रदान करते हैं.
बार बार सांप निकले तो कैसे बचाव करें
छोटू लोगों को बताते हैं कि बार बार अगर सांप निकलता है तो ये तरीका अपनाएं–5लीटर पानी में हाफ लीटर मिट्टी तेल और ब्लैक फिनाईल डालकर 10दिनों तक घर के चारों तरफ छिड़काव कर दें, इससे सांप और कीड़े मकोड़े सब भाग जाएंगे.
छोटू सांप पकड़ने के लिए किसी शुल्क का जोर नहीं देते.लोग खुशी से जो देते हैं वे ही रख लेते हैं. हालांकि मूवमेंट्स पर पेट्रोल के खर्च की जरूरत पड़ती है फिर भी वे इसकी परवाह किए बगैर अपना काम अनवरत जारी रखे हुए हैं. लेकिन जरूरत है ऐसे स्नेक सेवरों को सरकारी प्रोत्साहन और संरक्षण की क्योंकि सांप से तो सबको डर लगता है . छोटू और टीम अपना जान जोखिम में डालकर न सिर्फ लोगों की रक्षा करती है बल्कि सांपों को बचाकर पर्यावरण की भी रक्षा करती है.