बेबाक रविवार : अन्नी अमृता/कर्नाटक चुनाव–जनता को लुभा न सके भाजपा के नारे..ये जो पब्लिक है ये उतनी भी बेवकूफ नहीं जितनी नेता समझते हैं

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बेबाक रविवार

 

ANNI AMRITA
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चलिए….कर्नाटक में ‘जय बजरंग बली’ के उग्र नारे का मतदाताओं पर व्यापक असर नहीं पड़ा और कांग्रेस को बहुमत के साथ जिताकर जनता ने अपना रुख जता दिया है कि धर्म और नफरत की राजनीति नहीं चलेगी…हां गहराई में पड़ताल होगी तो भ्रष्टाचार जरुर एक बडा मुद्दा बना लेकिन जब देश के पी एम नरेंद्र मोदी ने चुनाव प्रचार की बागडोर संभाल रखी हो और देश में चारों तरफ ‘जय श्रीराम ‘ चिल्लाते भाजपाई और उनके सहयोगी संगठन न सिर्फ नजर आएं बल्कि भाजपा की तगडी आईटी सेल धुंआधार प्रचार में जुटी हो तो कंफ्यूजन के शिकार लोगों को अपनी तरफ मोडना कौन सा मुश्किल है.लेकिन नहीं, देश की जनता इतनी भी मूर्ख नहीं है जितना इस देश के नेता समझते हैं.जहां जिससे खुश है उसको जीत की दहलीज दिखाती है और जहां खुश नहीं वहां हार…याद तो होगा कि 2019का लोकसभा और झारखंड विधानसभा का चुनाव जहां एक ओर झारखंड की जनता ने देश की सत्ता पी एम मोदी के नेतृत्व में
दुबारा भाजपा को दिलाने में अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई वहीं विधानसभा चुनाव में भाजपा को धूल चटा दिया..पूर्व सी एम रघुवर दास जमशेदपुर पूर्वी सीट हार ग ए..कोल्हान से भाजपा का सूपड़ा साफ हो गया..जमशेदपुर संसदीय सीट से विद्युतवरण महतो मोदी लहर में जीत गए लेकिन जमशेदपुर संसदीय सीट के तहत आनेवाली छह विधानसभा सीटों पर एक भी भाजपाई जीत न सका था…..आश्चर्य होता है कि आखिर कैसे जनता को नेता मूर्ख समझते हैं और जुमलेबाजी करते हैं जबकि समय समय पर जनता सबक सिखाती है.जाहिर है इस बात को समझना होगा कि ये पब्लिक है ये सब जानती है….

जहां तक दक्षिण भारत की पब्लिक की बात है तो वहां के लोग ‘हिंदुत्व’ को सही मायनों में जीते हैं, लेकिन यह भी सच है कि ‘हिंदुत्व’ के उग्र राजनीतिक ड्रामे का असर उन पर कभी रहा नहीं और कर्नाटक विधानसभा के नतीजे ने तो सीधे ‘जय बजरंग बली’ कहकर चिल्लानेवालों को नकार दिया है.जनता ने दर्शा दिया है कि मर्यादा पुरुषोत्तम राम का नाम उग्र तरीके से लेने वालों और बजरंग बली के नाम को जपने की जगह चिल्लानेवालों और धार्मिक विद्वेष फैलानेवालों के साथ वे नहीं हैं…तो लब्बोलुआब यह है कि दक्षिण फतह करना भाजपा के लिए…बहुत कठिन है डगर पनघट की..

पं बंगाल और हिमाचल प्रदेश में जब जय श्रीराम के उग्र नारे का असर मतदाता ओं पर नहीं पडा तब भी भाजपा नहीं चेती…इसको कहते हैं अति आत्मविश्वास या फिर घमंड और जब घमंड बढता है तब श्रीराम भगवान और बजरंगबली सबक भी सिखाते हैं…पर क्या भाजपा सबक सीखेगी?आगे आगे देखिए होता है क्या?2024आते आते वक्त बहुत बदल चुका होगा…क्या उसकी आहट आपने सुनी? अब खोने की बारी किसकी है और किसके पास पाने के लिए बहुत कुछ है यह आनेवाले वक्त में पता चलेगा……

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