July 11, 2025

टाटा स्टील फाउंडेशन

जामाडोबा: टन्नू कुमारी, जिनका प्रशिक्षण डिगवाडीह युवा विकास केंद्र में एथलेटिक्स में हो रहा है, ने उत्तराखंड में हुए राष्ट्रीय खेलों में पहली बार आयोजित मॉडर्न पेंटाथलन लेजर रन में रजत पदक जीता है। उनकी इस उपलब्धि ने न सिर्फ उनके परिवार और गांव का नाम रोशन किया, बल्कि कई युवा लड़कियों को खेल को एक उज्जवल करियर के रूप में अपनाने की प्रेरणा भी दी है। तनु कुमारी को उनके उत्कृष्ट प्रदर्शन के लिए सम्मानित किया गया और बधाई दी गई। इस अवसर पर टाटा स्टील फाउंडेशन के वरिष्ठ अधिकारी उपस्थित थे, जिनमें संजय राजोरिया, जेनरल मैनेजर, झरिया डिवीजन, श्वेता मिश्रा, हेड एडमिनिस्ट्रेशन, झरिया डिवीजन, टाटा स्टील और राजेश कुमार, यूनिट लीड, टाटा स्टील फाउंडेशन,जामाडोबा शामिल थे। राष्ट्रीय खेल, जिसे देश की सबसे उच्च स्तरीय खेल प्रतियोगिताओं में से एक माना जाता है, ओलंपिक जैसी प्रतिष्ठा के साथ आयोजित किए गए। इस वर्ष, मॉडर्न पेंटाथलॉन को एक नए इवेंट के रूप में शामिल किया गया, जिसमें तनु कुमारी के शानदार प्रदर्शन ने न केवल उन्हें ख्याति दिलाई, बल्कि झारखंड राज्य को भी गौरवान्वित किया। टाटा स्टील फाउंडेशन द्वारा संचालित यूथ डेवलपमेंट सेंटर ग्रासरूट एथलीटों और खिलाड़ियों को प्रोत्साहित करने के लिए प्रतिबद्ध है। यह केंद्र उन्हें अपना कौशल निखारने और राष्ट्रीय व अंतरराष्ट्रीय टूर्नामेंटों में भाग लेने के लिए एक मंच प्रदान करता है। टाटा स्टील फाउंडेशन के ग्रासरूट्स स्पोर्ट्स प्रोग्राम के तहत खेल प्रतिभाओं को निखारने और संवारने का कार्य किया जा रहा है, जिससे दूरदराज के युवाओं तक खेलों की पहुंच बढ़ाई जा सके। खेल को मुख्यधारा में लाने के प्रयासों के तहत, फाउंडेशन ने झरिया डिवीजन में अब तक 8 खेल प्रशिक्षण केंद्र स्थापित किए हैं, जहां 8 से 17 वर्ष के बच्चों को विश्वस्तरीय प्रशिक्षण और प्रतियोगिताओं में भाग लेने के अवसर मिल रहे हैं। वर्तमान में, इन केंद्रों में करीब 340 युवा खिलाड़ी प्रशिक्षण ले रहे हैं, जो अपने सपनों को साकार करने और राष्ट्रीय व अंतरराष्ट्रीय स्तर पर चमकने के लिए पूरी प्रतिबद्धता के साथ आगे बढ़ रहे हैं।
जामाडोबा: टाटा स्टील फाउंडेशन ने शंकर नेत्रालय के सहयोग से मालकेरा कम्युनिटी सेंटर में निःशुल्क मोतियाबिंद शिविर...
वेस्ट बोकारो,: टाटा स्टील फाउंडेशन ने 29 जनवरी 2025 को तुमुंग में तीन दिवसीय आउटडोर लीडरशिप कैंप का शुभारंभ किया। इस वर्ष कैंप के लिए वेस्ट बोकारो से 46 युवाओं का चयन किया गया, जहां उन्हें जागरूकता कार्यशालाओं, करियर काउंसलिंग और रोमांचक गतिविधियों जैसे क्लाइंबिंग, राफ्टिंग और बोटिंग का अनुभव मिला।   कैंप का शुभारंभ टाटा स्टील, वेस्ट बोकारो डिवीजन के कैपेसिटी एन्हांसमेंट प्रोजेक्ट के चीफ राजेश कुमार ने किया। इस अवसर पर टाटा स्टील फाउंडेशन, वेस्ट बोकारो के यूनिट लीड आदित्य कुमार सिंह सहित अन्य वरिष्ठ पदाधिकारी एवं संगठन के सदस्य भी उपस्थित रहे।   यह आउटडोर लीडरशिप कैंप प्रतिभागियों को उनकी रोजमर्रा की दिनचर्या से अलग हटकर खुद को तरोताजा करने और नेतृत्व, विकास व नेटवर्किंग के महत्वपूर्ण पहलुओं पर केंद्रित होने का अवसर देता है। यह एक सुरक्षित और सहयोगी वातावरण में नए अवसरों की खोज करने में सहायक है। कैंप प्रतिभागियों को अपनी आंतरिक क्षमताओं, चुनौतियों और उन्हें पार करने की रणनीतियों को खुलकर साझा करने के लिए प्रेरित करता है। रोमांचक गतिविधियां टीमवर्क की भावना को मजबूत बनाती हैं, जिससे युवा और महिलाएं न केवल आत्मविश्वास हासिल करते हैं, बल्कि उद्यमिता और नए अवसरों से जुड़े नवीन विचारों पर मिलकर काम करने की प्रेरणा भी पाते हैं।   2015 में शुरू हुई इस पहल में अब तक अनेक युवा और महिलाओं ने हिस्सा लिया है। इसका सबसे महत्वपूर्ण प्रभाव जागरूकता में बढ़ोतरी रहा है, जिससे कई युवाओं को अपने गांवों में बाल विवाह और समयपूर्व विवाह जैसी कुरीतियों के खिलाफ आवाज उठाने की शक्ति मिली है। इन आउटडोर लीडरशिप कैंपों के जरिए साझा सीख और अनुभवों ने उन्हें समाज में सकारात्मक बदलाव लाने के लिए प्रेरित किया है।   वित्तीय वर्ष 2023, 2024 और 2025 में कुल 400 युवाओं ने आउटडोर लीडरशिप कैंप का हिस्सा बनकर परस्पर सीखने और साझा अनुभवों से अपने व्यक्तित्व को निखारा। इस पहल ने न केवल नेतृत्व क्षमता को मजबूत किया बल्कि कई प्रतिभाओं के लिए नए रास्ते भी खोले।   ऐसी ही एक प्रेरणादायक कहानी सुनीता सोरेन की है, जो किशोरावस्था में प्रोजेक्ट रिश्ता से जुड़ी थीं। 2019 में जब उन्होंने आउटडोर लीडरशिप कैंप में भाग लिया, तो उनके जुनून और समर्पण ने उन्हें आगे बढ़ने की दिशा दिखाई। उनकी लगन और मेहनत ने उन्हें 2020 और 2023 में उत्तराखंड में आयोजित विशेष कैंप में आमंत्रित होने का अवसर दिलाया। इन अनुभवों ने न केवल उनके आत्मविश्वास को बढ़ाया, बल्कि उनके भीतर एक प्रशिक्षक बनने की योग्यता भी विकसित की। अपनी निरंतर मेहनत और दृढ़ संकल्प के बल पर सुनीता ने खुद को साबित किया और अब वे टाटा स्टील एडवेंचर फाउंडेशन, तुमुंग में बतौर प्रशिक्षक अपनी नई भूमिका निभा रही हैं।
वेस्ट बोकारो,: टाटा स्टील फाउंडेशन ने 30 जनवरी 2025 को दिव्यांगजन के लिए एक विशेष स्क्रीनिंग कैंप का आयोजन किया, जिसमें उन्हें सहायक कृत्रिम अंग प्रदान किए गए। यह पहल जयपुर स्थित प्रतिष्ठित संस्था भगवान महावीर विकलांग सहायता समिति (BMVSS) के सहयोग से की गई, जो दिव्यांगजन के पुनर्वास में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रही है। शिविर में 16 दिव्यांगजन का व्यापक परीक्षण किया गया, जिसमें मेडिकल विशेषज्ञों और स्वास्थ्य कर्मियों ने सहयोग दिया। परीक्षण के बाद, 11 लाभार्थियों को कृत्रिम अंग प्रदान किए गए। यह शिविर राजेंद्र नगर, घाटोटांड स्थित रिक्रिएशन क्लब में आयोजित किया गया। यह शिविर टाटा स्टील फाउंडेशन की पब्लिक हेल्थ टीम के अग्रिम पंक्ति के स्वास्थ्यकर्मियों द्वारा किए गए डोर-टू-डोर सर्वेक्षण के परिणामस्वरूप आयोजित किया गया। इस सर्वे में रामगढ़ जिले के मांडू प्रखंड में 233 दिव्यांगजन की पहचान हुई, जिनमें से कई को कृत्रिम अंग या आजीविका सहायता की आवश्यकता थी। सर्वेक्षण के आधार पर फाउंडेशन ने दिव्यांगजन के सशक्तिकरण की दिशा में कदम बढ़ाते हुए आजीविका समर्थन, जागरूकता कार्यक्रम और उन्हें सरकारी कल्याणकारी योजनाओं से जोड़ने की पहल की। वहीं, कृत्रिम अंग प्रदान करने के लिए विश्वसनीय और समान विचारधारा वाले संगठनों का सहयोग आवश्यक था, जिसके तहत यह शिविर आयोजित किया गया। बीएमवीएसएस (BMVSS), जयपुर के साथ लंबे समय से चले आ रहे सहयोग ने दिव्यांगजन के लिए कृत्रिम अंगों की बढ़ती जरूरत को पूरा करने में अहम भूमिका निभाई। इसी का परिणाम वेस्ट बोकारो में आयोजित यह विशेष शिविर रहा, जहां पूरे दिन दिव्यांगजन को सहायक उपकरण उपलब्ध कराए गए। शिविर में लाभान्वित हुए दिव्यांगजन झारखंड के रामगढ़ जिले के मांडू प्रखंड के विभिन्न गांवों से आए थे, जिनमें बडगांव, बंजी, कर्मा, टोपा, बारुघुटू मिडिल, बोंगाबर, दूधमटिया, भरेच नगर, ओरला और सोनडीहा शामिल हैं। इस दौरान सात कृत्रिम पैर, तीन कृत्रिम हाथ, दो वॉकिंग स्टिक और तीन बैसाखियां वितरित की गईं। शिविर में वेस्ट बोकारो डिवीजन के जनरल मैनेज अनुराग दीक्षित, और रक्षा दीक्षित के साथ चीफ कैपसिटी एन्हांसमेंट प्रोजेक्ट राजेश कुमार, सिक्योरिटी हेड अखिलेश कुमार, और टाटा स्टील फाउंडेशन के अन्य सदस्य भी कार्यक्रम में शामिल हुए, जिनके सहयोग से यह दिनभर का आयोजन सफलतापूर्वक संपन्न हुआ। यह पहला अवसर था जब वेस्ट बोकारो में इस प्रकार का शिविर आयोजित किया गया, जो पास के ब्लॉकों का गहन सर्वेक्षण करने और वहां रहने वाले समुदायों की वास्तविक आवश्यकताओं को समझने के बाद आयोजित हुआ। फाउंडेशन का लक्ष्य इन प्रयासों को बढ़ाने का है और रामगढ़ जिले के बड़े क्षेत्र में ऐसे शिविर आयोजित करने की योजना है, ताकि दिव्यांगजन की पहचान की जा सके, उन्हें कल्याणकारी योजनाओं से जोड़ा जा सके और उनकी सहायता की जा सके। यह प्रयास टाटा स्टील फाउंडेशन की सबल टीम के विस्तार के रूप में सामने आया है, जो अब दिव्यांगजन के लिए एक समान और समावेशी दुनिया बनाने की दिशा में एक राष्ट्रीय परिवर्तन मॉडल के रूप में उभर रही है। इस सफर के दौरान यह बात समझ में आई कि दिव्यांगजन को अवसरों और जानकारी तक समान पहुंच मिलनी चाहिए, जहां उनकी दिव्यांगता सबसे बड़ी रुकावट नहीं है, बल्कि समाज की वह सामान्य मानसिकता है, जो दिव्यांगजन के प्रति सहानुभूति दिखाती है। फाउंडेशन ने इस रुकावट को दूर करने के लिए लगातार प्रयास किए हैं, जिनमें दिव्यांगजन को सरकारी कल्याण योजनाओं से जोड़ना, रोजगार के अवसरों का लाभ उठाने के लिए क्षमता निर्माण करना और सहायक उपकरण प्रदान करना शामिल है, ताकि वे भेदभाव से परे, सम्मानपूर्ण जीवन जी सकें। इसके अलावा, दिव्यांगजन के लिए प्रमाणन प्रक्रिया को सरल बनाने की योजनाएं भी हैं, ताकि आवश्यक दस्तावेज पूरे किए जा सकें और वे सरकारी योजनाओं और अधिकारों का लाभ उठा सकें।
सुकिंदा/जमशेदपुर,: आज टाटा स्टील के सुकिंदा क्रोमाइट माइन परिसर में आयोजित एक दिवसीय संगोष्ठी के दौरान, टाटा स्टील फाउंडेशन ने 150 मेधावी एससी/एसटी छात्रों को ज्योति फेलोशिप से सम्मानित किया। ये सभी छात्र कलिंगानगर-बामनीपाल-सुकिंदा क्षेत्र से चयनित किए गए हैं। कक्षा IX से XII तक के छात्रों को दी जाने वाली यह फेलोशिप उन्हें शिक्षा के क्षेत्र में उत्कृष्टता की ओर प्रेरित करने के साथ-साथ उनके भविष्य को संवारने की दिशा में एक अहम कदम है। टाटा स्टील के फेरो अलॉय और मिनरल्स डिवीजन के एक्जीक्यूटिव इंचार्ज पंकज कुमार सतीजा, पद्म श्री दैतारी नायक, जिन्हें ‘ओडिशा के नहर पुरुष’ के नाम से भी जाना जाता है, राष्ट्रपति पुरस्कार प्राप्त शिक्षक शुभाष चंद्र राउत, स्टेम लर्निंग प्राइवेट लिमिटेड के क्लस्टर मैनेजर सयंतन मित्रा, ओडिशा के बाईसिंगा स्थित खैरबनी आश्रम स्कूल की प्रधानाचार्या बिनिता दास और अन्य सम्माननीय व्यक्तियों ने छात्रों को पुरस्कार प्रदान किए। इस अवसर पर पंकज सतीजा, टाटा स्टील के फेरो अलॉय और मिनरल्स डिवीजन के एक्जीक्यूटिव इंचार्ज ने कहा, “हम मेधावी छात्रों को शिक्षा के प्रति प्रेरित करने और उन्हें सफलता की दिशा में मार्गदर्शन प्रदान करने के लिए प्रतिबद्ध हैं। यह पहल हमारी समाज सेवा के प्रति प्रतिबद्धता को और मजबूत करती है, जो निरंतर सीखने और सहयोग के सिद्धांतों पर आधारित है, ताकि हम हर छात्र को एक जिम्मेदार और जागरूक नागरिक के रूप में विकसित कर सकें। हम हर छात्र से यह अपेक्षाएं रखते हैं कि वे अपने सपनों को ऊंचा बनाएं, सीमाओं को पार करें और एक बेहतर भविष्य के लिए अपनी आकांक्षाओं को साकार करें।” संगोष्ठी में दिनभर विभिन्न कार्यशालाओं का आयोजन किया गया, जिनमें यह दिखाया गया कि कैसे कीड़े रेशम बनाने में मदद करते हैं, दिव्यांग व्यक्तियों के लिए पहुंच को सुलभ बनाने के उपाय, और स्टेम (विज्ञान, प्रौद्योगिकी, इंजीनियरिंग और गणित) शिक्षा के महत्व को प्रमुखता से उजागर किया गया। इसके अतिरिक्त, भारत सरकार की ‘स्किल इंडिया’ पहल के तहत क्षमता निर्माण के अवसरों पर भी विस्तृत चर्चा की गई। छात्रों ने जल संरक्षण पर एक विशेष सत्र में भाग लिया, जिसमें इस अमूल्य संसाधन को बचाने और इसके विविध उपयोगों को बढ़ाने के तरीकों पर विचार किया गया। श्री दैतारी नायक ने जल संरक्षण के लिए नवोन्मेषी और सरल तरीकों के बारे में बताया, साथ ही इसके समुदाय और पर्यावरण के लिए महत्व को भी उजागर किया। इस संगोष्ठी में नवीन श्रीवास्तव, सरूआबिल और कमरदा के ट्विन माइंस के हेड, आदर्श अग्रवाल, एफएपी बामनीपाल के हेड, प्रमोद कुमार, एफएएमडी के एडमिन हेड, अंबिका प्रसाद नंदा, टाटा स्टील फाउंडेशन के सीएसआर हेड, डॉ. जयंत त्रिपाठी, सुकिंदा-बामनीपाल क्लस्टर के हेड, और देबांजन मुखर्जी, कलिंगानगर इम्पैक्ट क्लस्टर के हेड सहित फाउंडेशन के कई अन्य टीम सदस्य भी उपस्थित थे। ज्योति फैलोशिप टाटा स्टील फाउंडेशन की एक छात्रवृत्ति पहल है, जिसका उद्देश्य छात्रों को कक्षा IX से XII तक अतिरिक्त कोचिंग और समर्थन प्रदान कर उन्हें अपनी पसंदीदा करियर दिशा में आगे बढ़ने के लिए प्रोत्साहित करना है। पिछले एक दशक में, सुकिंदा-बामनीपाल-कलिंगानगर क्षेत्र में 13,500 छात्रों, जिनमें 5,000 से अधिक लड़कियां शामिल हैं, को ज्योति फेलोशिप प्राप्त हुई है।
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