Anand Marg Dharm MahaSamelan :कुंठा से रहित मन ही वास्तव में आंतरिक बैकुंठ हैं बाहरी बैकुंठ है…
भक्ति की चरम अवस्था में भक्त के मन से ईर्ष्या, द्वेष, घृणा , भय, लज्जा , शर्म ,मान मर्यादा, यश -अपयश इत्यादि के भाव समाप्त हो जाते हैं*
*भक्त हृदय में कोई संकीर्णता नहीं है, कुंठा से रहित है, वही वास्तव में
जमशेदपुर।
जमशेदपुर…
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