जमशेदपुर -सूर्यमंदिर परिसर में श्रीराम कथा के प्रथम दिन मंत्रमुग्ध हुए श्रद्धालु, पूरा क्षेत्र हुआ भक्तिमय

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■ “कलियुग केवल नाम अधारा,सुमिर-सुमिर नर उतरहिं पारा

जमशेदपुर: सिदगोड़ा सूर्य मंदिर कमिटी द्वारा श्रीराम मंदिर के प्राण-प्रतिष्ठा समारोह एवं सात दिवसीय श्रीराम कथा का शनिवार को शुभारंभ हुआ। कथा प्रारंभ से पहले वैदिक मंत्रोच्चार के बीच राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री रघुवर दास ने अपनी धर्मपत्नी के संग कथा व्यास पीठ एवं व्यास का विधिवत पूजन किया। पूजन पश्चात वृंदावन से पधारे कथा व्यास मानस मर्मज्ञ परम् पूज्य श्री अतुल कृष्ण भारद्वाज जी महाराज का स्वागत किया गया। इस दौरान शहर के वरिष्ठ समाजसेवी सह उधमी राजकुमार अग्रवाल शामिल रहे। स्वागत के पश्चात कथा व्यास अतुल कृष्ण भारद्वाज जी महाराज ने श्रीराम कथा के प्रथम दिन नाम महिमा, कथा महिमा एवं शिव-सती के प्रसंग का वर्णन किया। कथा में 6 सदस्यीय संगीत मंडली ने मधुर व मनमोहक भजन प्रस्तुत कर पूरे क्षेत्र को भक्तिमय कर दिया। महाराज जी ने गुरु एवं नाम महिमा के साथ भावना व भक्ति की सुंदर व्यख्या की। पूज्य महाराज जी ने कहा कि गुरु का अर्थ है अपने शिष्य को अंधकारमय पथ से मुक्त कर प्रकाश की ओर अग्रसर करें। गुरु नरहरिदास की कृपा से एक साधारण बालक श्रीराम चरित मानस के रचियता बन गए। संत तुलसी दास जी बालकाल में अभावों में भूखे रहते थे, लोग उन्हें घर के आगे खड़े होने से भी मना करते थे, लेकिन गुरु महिमा और श्रीराम चरित मानस की रचना करने के पश्चात बड़े-बड़े राजा व विद्वान पाँव धोते थे। ये केवल गुरु महिमा के कारण संभव हो पाया। आगे कथा व्यास ने कहा कि कलियुग के नाम की बड़ी महिमा है। राम नाम भगवत ऐसा साधन है जो मानव समाज को भाव सागर से पार उतार देता है। महाराज जी ने कहा कि जो व्यक्ति स्वयं में सुधार करता है उसे हंस कहते हैं, जो व्यक्ति स्वयं के साथ दूसरों के जीवन में सुधार कर सद्गुणों के मार्ग पर चलते हैं उसे परमहंस कहते हैं। छोटे से काली माता के मंदिर के पुजारी स्वामी रामकृष्ण जी ने बालक नरेंद्र को स्वामी विवेकानंद बना दिए, इन्ही कारणों से वे स्वामी रामकृष्ण परमहंस कहलाए। “कलियुग केवल नाम अधारा, सुमिर- सुमिर नर उतरहिं पारा”। आगे कथा में शिव-सती के प्रसंग का वर्णन करते हुए अतुल कृष्ण भारद्वाज जी महाराज ने बताया कि श्री सती के पिता महाराजा दक्ष प्रजापति के लिए विशाल यज्ञ करवाए। लेकिन इस यज्ञ में शिव तथा सती को निमंत्रित नहीं किया था। इससे सती ने स्वामी शिव भगवान के मना करने पर भी यज्ञ में शामिल होने चली गई। लेकिन वहां पर ब्रह्मा, विष्णु तथा सभी देवताओं को देखने के उपरांत अपने स्वामी शिव का स्थान न पाकर सती जी क्रोधित होकर व अपमानित महसूस कर यज्ञ कुंड में अपनी आहुति दे दी। कथा समाप्ति पर श्रद्धालुओं के बीच प्रसाद वितरण किया गया वहीं कमिटी ने प्रभु श्रीराम जी की स्तुति, श्री रामायण जी की आरती वाली पुस्तिका भेंट की।

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कल द्वितीय दिन शिव-पार्वती विवाह एवं श्रीराम जन्मोत्सव का प्रसंग का वर्णन किया जाएगा।

श्रीराम कथा में राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री सह सूर्य मंदिर कमिटी के मुख्य संरक्षक रघुवर दास व उनकी धर्मपत्नी रुक्मणि देवी, कमिटी के अध्यक्ष संजीव सिंह, भाजपा जमशेदपुर महानगर अध्यक्ष दिनेश कुमार, राज्य महिला आयोग की अध्यक्षा कल्याणी शरण, अल्पसंख्यक आयोग के उपाध्यक्ष गुरदेव सिंह राजा, पवन अग्रवाल, गुंजन यादव, कमलेश सिंह, मान्तु बनर्जी, अमरजीत सिंह राजा, भूपेंद्र सिंह, राकेश सिंह, प्रोबिर चटर्जी राणा, संतोष ठाकुर, प्रेम झा, काजू सांडिल, कुमार अभिषेक, ज्योति अधिकारी, सरस्वती साहू, ममता कपूर, सोनिया साहू, पुष्पा पाठक, नीलू झा, रंजीत सिंह, ऋषभ सिंह,दीपक झा,पप्पू सिंह, बोलटू सरकार समेत काफी संख्या में भक्तगण उपस्थित थे।

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