सुपौल -बाबा गणिनाथ गोविंद की दो दिवसीय सातवीं जयंती समारोह का हुआ भव्य रूप से शुभारम्भ

84
AD POST

सुपौल। सोनू कुमार भगत

AD POST

बाबा गणिनाथ गोविंद की दो दिवसीय सातवीं जयंती समारोह का शुभारंभ शनिवार को जिले के पिपरा प्रखंड के बसहा पंचायत स्थित बसहा साहेब टोला गणिनाथ धाम में हुआ। मौके पर बाबा के अनुयायियों ने भव्य शोभायात्रा निकाली। शोभा यात्रा सुबह 8:00 बजे गणिनाथ धाम से गाजे-बाजे के साथ आरंभ होकर निर्मली चौक पहुंचा जहां निर्मली मे शोभायात्रा में शामिल लोगों को देवन साह  सुरेंद्र शाह  ब्रह्मदेव शाह  राधे कृष्ण साह ललित साह अशोक शाह  गंगा प्रसाद के द्वारा खीर खिला कर स्वागत किया गया। गया। फिर वहां से जिला मुख्यालय सुपौल पहुंचा। जहां नगर भ्रमण करते हुए हरदी चोघारा होते हुए पुनः गणिनाथ धाम पहुंची। शोभा यात्रा में हजारों की संख्या में बाबा गणिनाथ अनुयायियों ने भाग लिया। शोभायात्रा में डीजे के धुन पर थिरकते बाबा गणिनाथ के अनुयायियों ने बाबा के जय घोष के नारे लगाए शोभायात्रा में शामिल लोगों के लिए विभिन्न स्थलों पर बाबा के अनुयायियों द्वारा पेयजल शरबत पीने आदि की व्यवस्था की गई थी। इस अवसर पर आयोजन समिति के जिला अध्यक्ष अधिवक्ता रामजी प्रसाद रामबाबू रामचंद्र शाह ब्लेंद्र साह भरत शाह दिलीप गुप्ता रमन साह अजय साह रामशरण साह मंदिर पुजारी अनरूद्ध दास एवं गंगा दास आदि मौजूद थे।              यहां विभिन्न तरह के धार्मिक कार्यक्रम का आयोजन एवं 2 दिनों के मेला का भी आयोजन किया गया है। बाबा गणिनाथ धाम बसहा साहेब टोला में दो दिवसीय जयंती समारोह के मौके पर विभिन्न तरह के धार्मिक कार्यक्रम का आयोजन किया गया है। आयोजन समिति के लोगों ने बताया कि शनिवार को जयंती के अवसर पर शोभायात्रा के बाद वक्ताओं द्वारा बाबा की महिमा ओं की चर्चा की गई। शाम में विभिन्न भगेत मंडलियों द्वारा भगत गाकर बाबा का बखान किया गया।                        रात में आयोजन समिति द्वारा भव्य भंडारा का आयोजन भी किया गया है। बाबा गणिनाथ गोविंद की महिमा है अपरंपार। कहा जाता है कि संत गणिनाथ की धरती पर “भगवान शंकर की कृपा से हजारों वर्ष पूर्व हुआ था बल स्वरूप में बाबा गणिनाथ ने सर्वप्रथम वैशाली जिला के राजपलवैया नामक जंगल में मान साह नाम के व्यक्ति को दर्शन दिया था। और उसके गांव पहुंचकर बाबा ने अपने आशीर्वाद से वहां के ग्रामीणों को खीर भोज खिलाया था।
कहा जाता है कि श्री साह और उसकी धर्मपत्नी पुनमती जिसे जंगल में एक लड़की मिली थी जिसका नामकरण खेमा सती के रूप में किया गया। श्री साह दंपति ने खेमा सती को बाबा गणिनाथ को दान स्वरूप दे दिया था। जिसे बाबा निकालकर अपने पिता के पास रख कर तपस्या के जंगल के लिए निकल पड़े। उसी दौरान राज्य के राजा का एकलौता पुत्र का किसी कारण बस निधन हो गया। जिसे बाबा ने दोबारा जीवित कर दिया। जिससे खुश होकर राजा ने बाबा गणिनाथ को राजा ने अपना राजपाट दान में दे कर अपने भाई के राज्य में रहने लगे। इस घटना के बाद से ही बाबा गणिनाथ की महिमा चारों तरफ फैली और उनके अनुयायियो आज भी समारोह पूर्वक बाबा को याद कर उन्हें नमन करते हैं।(समाचार सहयोगी: मिथिलेश कुमार)

Comments are closed.

This website uses cookies to improve your experience. We'll assume you're ok with this, but you can opt-out if you wish. Accept Read More