Singhbhum Chamber of Commerce and Industry : आदित्यपुर औद्योगिक क्षेत्र के उद्योगों से होल्डिंग टैक्स लेने का किया विरोध
सिंहभूम चैम्बर ने आदित्यपुर औद्योगिक क्षेत्र के उद्योगों से होल्डिंग टैक्स लेने का किया विरोध
जमशेदपुर।
आदित्यपुर नगर निगम के द्वारा आदित्यपुर औद्योगिक क्षेत्र के उद्योगों कोे होल्डिंग टैक्स जमा करने का जो फरमान जारी किया है सिंहभूम चैम्बर ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री के अध्यक्ष विजय आनंद मूनका, मानद महासचिव मानव केडिया तथा सभी पदाधिकारियों ने एकमत से उसका पुरजोर विरोध किया। और कहा कि अगर इस तानाशाही आदेश को वापस नहीं लिया गया तो सिंहभूम चैम्बर उद्यमियों के समर्थन में आदित्यपुर नगर निगम के खिलाफ आंदोलन करने को बाध्य होगा।
अध्यक्ष ने कहा कि आदित्यपुर औद्योगिक क्षेत्र सरकार द्वारा घोषित औद्योगिक क्षेत्र है और इसका निर्माण कोल्हान में उद्योगों के विकास के लिये 1972 में सरकार द्वारा गजट प्रकाशन से हुआ था। यह पूरी तरह से औद्योगिक क्षेत्र है ओर अन्य औद्योगिक क्षेत्रों की तरह नगर निकाय की परिधि से बाहर है तो फिर उद्यमियों द्वारा आदित्यपुर नगर निगम को होल्डिंग टैक्स जमा करने का कोई औचित्य ही नहीं है और यह कानून के दायरे में नहीं आता है। यह क्षेत्र आदित्यपुर अधिसूचित क्षेत्र समिति या आदित्यपुर नगर निगम के अंतर्गत न तो कभी आता था न वर्तमान में है। यहां के सड़क, नालियों का निर्माण, रख-रखाव, स्ट्रीट लाईट आदि सभी कुछ जियाडा द्वारा किया जाता है। और उद्यमी इसके लिये जियाडा को लैंड रेंट और लेवी का भुगतान करते हैं। नगर निगम आयुक्त को अगर होल्डिंग टैक्स वसूलना है तो नगर निगम क्षेत्र में पड़ने वाले भू-मालिको से वसूले इससे उद्यमियों को कोई परेशानी है। उन्हंे यह समझना होगा कि औद्योगिक क्षेत्र जियाडा के अंतर्गत आता है इसलिये औद्योगिक क्षेत्र के उद्यमियों को होल्डिंग टैक्स जमा करने का दबाव डालना और जमा नहीं करने पर पानी का कनेक्शन काटने की धमकी देना सरासर गलत है। क्योंकि पानी का कनेक्शन राज्य सरकार के पेयजल आपूर्ति विभाग द्वारा दिया गया था और नगर निगम को केवल उद्योगों से केवल जलकर की वसूली और इसके रख-रखाव का दायित्व दिया गया था। इस तरह की बयानबाजी से उद्यमियों के बीच भय का वातावरण बन रहा है।
अभी कुछ दिनों से नगर निगम के पदाधिकारी औद्योगिक ईकाईयों में जाकर बोरवेल की भी जांच कर रहे हैं जबकि नगर निगम को किसी कारखाने में बिना अनुमति के घुसने का कोई अधिकार नहीं है। बोरवेल का मामला भी उनके अधिकार में न आकर सेंट्रल ग्राउण्ड वाटर बोर्ड के अधिकार में आता है। बावजूद इसके नगर निगम के अधिकारी औद्यागिक ईकाईयों में घुस रहे हैं इससे उद्यमियों में रोष बढ़ रहा है और औद्योगिक क्षेत्र के उद्यमियों और नगर निगम के अधिकारियों की बीच टकराव की स्थिति भी उत्पन्न हो सकती है, जिसकी जिम्मेदारी पूरी तरह अतिरिक्त नगर आायुक्त की होगी।
पूर्व में माननीय उच्च न्यायालय द्वारा भी इस संबंध में इस विषय को दो विभागों का आपसी मामला बताते हुये इसे आपस में निपटा लेने का सुझाव दिया था। कुछ उद्यमियों को बरगलाकर अनभिज्ञतावश होल्डिंग नम्बर दे लिया है जिसे आधार बनाकर उद्यमियों से होल्डिंग टैक्स की मांग की जा रही है। इस तरह के कृत्य पूरी तरह से भ्रष्टाचार को बढ़ावा देने वाला लग रहा है। चैम्बर अपने उद्यमी बंधुओं के साथ इस तरह की किसी भी कार्रवाई के खिलाफ खड़ा है और इसका पूरी तरह विरोध करता है। उद्यमियों पहलें ही रॉ मैटैरियल की महंगाई और बिजली की समस्या से दबे हुये हैं और होल्डिंग टैक्स लगाने की मंशा से उनके बीच रोष बढ़ने से वे उद्योगों को बंद करने से भी हिचकेंगे नहीं इससे सरकार के राजस्व और आम लोगों के रोजी-रोजगार पर असर पड़ेगा। अध्यक्ष विजय आनंद मूनका ने कहा कि अगर जल्द ही इस आदेश को नगर निगम के द्वारा वापस नहीं लिया गया तो चैम्बर का एक प्रतिनिधिमंडल राज्य के माननीय मुख्यमंत्री, मुख्य सचिव, उद्योग सचिव से मिलकर इसका विरोध करेगा।
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