जमशेदपुर। मानगो नगर निगम क्षेत्र के भ्रमण के दौरान अनेक लोगों ने शराब की नई दुकानें खुलने की शिकायत की. उनका कहना था कि डिमना चौक और ट्रांसपोर्ट नगर के समीप अभी चल रही शराब दुकानें ही अशांति का कारण बनी हुई हैं। अधिक दुकानें खुलने से पूरे क्षेत्र में अशांति फैलेगी.
संबंधित पदाधिकारियों को इससे अवगत कराते हुये निर्देश दिया है कि मेरे विधान सभा क्षेत्र में जहाँ भी लोगों का विरोध दिखे वहाँ शराब की दुकानें नही खोलें, खुली हों तो बंद करायें. महिलायें शराब दूकान खुलने के घोर विरोध मे हैं. अधिकारियों को इसका ध्यान रखना चाहिये कि शराब की ख़राबियाँ समाज का सत्यानाश नहीं करे.
शराब की बिक्री के व्यवसाय से सरकार को राजस्व मिल सकता है, व्यवसाय करने वाले को मुनाफ़ा मिल सकता है. पर राजस्व और मुनाफ़ा मे वृद्धि समाज मे अशांति और सुसंस्कारित को बढ़ावा दे और परिवार की गाढ़ी कमाई के दुरूपयोग का रास्ता खोले यह न जनहित मे होगा, न राज्यहित मे होगा और न ही समाज के हित मे होगा.
वास्तव मे शराब की बिक्री भी शराब की लत लगने वालों को चिकित्सकीय परामर्श पर वैसे ही मिलनी चाहिेये जैसे दवा दूकानें मे दवाये मिलती हैं. केवल सरकार की राजस्व वृद्धि और व्यावसायिक मुनाफ़ा को शराब व्यवसाय का आधार बनाना अनैतिक होगा. लोगों की गाढी कमाई शराब मे ख़र्च हो जाने से परिवार के बच्चों की पढ़ाई, पोषण और प्रगति परवपिरतिकुल प्रभाव पडतालहै और घर की महिलायें हिंसा का शिकार होती हैं. परिवार बर्बाद हो जाते हैं. सरकार को चाहिये कि शराबबंदी की ओर क़दम बढ़ाये. एकबारगी हो या चरणबद्ध तरीक़ा से हो राज्य मे शराबबंदी होनी चाहिये.
जो लोग प्रगतिशीलता प्रदर्शित करने के लिये, लत लगने के कारण या शरीर की ज़रूरत के कारण कम या ज़्यादा मात्र मे शराब का सेवन करना चाहें उनके लिये शराब की सीमित व्यवस्था सरकार कर दे.
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