जमशेदपुर । पर्यावरणविद तथा राज्य सरकार के मंत्री सरयू राय ने कहा है कि पर्यावरण की सुरक्षा नारों से नहीं बल्कि निष्ठापूर्वक काम करने से होगी। यह दुखद है कि मूर्तिकारों को माटी कला बोर्ड के बारे में कोई जानकारी ही नहीं है। उन्होंने कहा कि सरस्वती पूजा के बाद सभी मूर्तिकार हमारे साथ बैठेंगे। अपनी समस्याओं से सम्बंधित मांग पत्र बनाएंगे। हम इनकी मांगों को राज्य सरकार माटी कला बोर्ड तथा सूक्ष्म एवं लघु उद्योग बोर्ड के सामने रखेंगे और यह सुनिश्चित करेंगे कि इन कलाकारों को शुद्ध मिट्टी सहित सभी सुविधाएं सरकार की ओर से दी जाएं।
उल्लेखनीय है कि मंत्री श्री राय द्वारा नदियों तथा जल स्रोतों को प्रदूषण से मुक्त कराने के अभियान के तहत शहर के सभी मूर्तिकारों को बुलाया गया था। इस बैठक का उद्देश्य मूर्तिकारों को इस बात के लिए प्रेरित करना था कि वह मूर्तियों के निर्माण में शुद्ध मिट्टी और पर्यावरण के अनुकूल प्राकृतिक रंगों का ही उपयोग करें। बैठक में शहर के करीब 20 मूर्तिकारों ने हिस्सा लिया। सब का यही कहना था कि वे देवी की प्रतिमाओं के निर्माण में शुद्ध मिट्टी और पर्यावरण के अनुकूल रंगों का ही उपयोग करते हैं, लेकिन बाहर से आने वाली प्रतिमाओं पर उनका कोई जोर नहीं चलता। खासकर दिवाली के अवसर पर चीन से आने वाली लक्ष्मी एवं गणेश की प्रतिमाओं, जिनमें प्लास्टिक और प्लास्टर ऑफ पेरिस जैसे विजातीय तत्वों और जहरीले रसायनों का इस्तेमाल रंगो के रूप में होता है। मूर्तिकारों ने मंत्री के समक्ष शुद्ध मिट्टी की अनुपलब्धता की समस्या भी जताई। इसके अलावा प्रतिमा बनाने तथा उसे रखने के लिए स्थान का अभाव भी उन्होंने बताया। मंत्री ने कहा कि वे माटीकला बोर्ड से कहेंगे कि वे राज्य के सभी मूर्तिकारों का रजिस्ट्रेशन कराएं और उन्हें प्रतिमाओं के निर्माण के लिए शुद्ध मिट्टी उपलब्ध कराएं। उन्होंने कहा ये मूर्ति शिल्पी हैं। कड़ी मेहनत करते हैं। 40-50 साल से इस काम में लगे हैं। धरती पर ये विश्वकर्मा के अवतार हैं, लेकिन इनके पास पूंजी और साधन की बेहद कमी है। इनकी बातों को भी सरकार के समक्ष रखना हम सब का कर्तव्य है। पर्यावरण की सुरक्षा सिर्फ नदियों और जल स्रोतों को साफ रखने से ही नहीं होगी। बल्कि से व्यापक परिप्रेक्ष्य में प्रतिमा निर्माण और पूजा से जुड़े सभी पहलुओं से जोड़ना होगा। उन्होंने कहा हम देवी-देवताओं की पूजा करते हैं, लेकिन उनकी प्रतिमा किस चीज से बनी है, उसका ध्यान नहीं रखते। अगर प्रतिमा ही शुद्ध नहीं होगी तो देवी-देवता कैसे प्रसन्न होंगे। इन्हीं सब चीजों को लेकर स्वयंसेवी समूहों के साझा प्रयास के रूप में नदियों और जल स्रोतों के संरक्षण अभियान को चलाया जा रहा है। युगांतर भारती, नेचर फाउंडेशन, स्वर्णरेखा विकास ट्रस्ट जैसी संस्थाएं आगे आये हैं। अपने आप में एक अनूठा और अनोखा प्रयोग है। आनेवाले समय में देवी मां के जिन स्वरूपों की पूजा में प्रतिमाओं का उपयोग होता है, उन सभी पूजा समितियों तथा शिल्पकारों इस बात के लिए प्रेरित किया जाएगा कि जल में शुद्ध मिट्टी की प्रतिमा ही डालें और विजातीय तत्वों को विसर्जन के पूर्व अलग कर लें।
आज की बैठक में मंत्री श्री राय के अलावा भारतीय जनता पार्टी के पूर्व प्रदेश प्रवक्ता अमरप्रीत सिंह काले, स्वर्णरेखा क्षेत्र विकास ट्रस्ट के आशुतोष राय एवं आनंद कुमार तथा मूर्तिकार बारू पाल, गोविंदो पाल, नारायण पाल, जीतू दास, आशीष मलिक, शंभू दास, काली दास, सुबोध राय, भरत पाल, तारक पाल समेत करीब 20 मूर्तिकार उपस्थित थे।
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