सरायकेला – राष्ट्रीय जनता दल लोकतांत्रिक ने औद्योगिक मंदी के लिए सरकार को ठहराया जिम्मेवार, जियाडा के समक्ष जोरदार धरना-प्रदर्शन
सरायकेला। राष्ट्रीय जनता दल लोकतांत्रिक ने आदित्यपुर औद्योगिक क्षेत्र में छाई मंदी के लिए सरकार की जनविरोधी नीतियों को जिम्वार ठहराते हुए स्थानीय जियाडा कार्यालय के समक्ष जोरदार धरना-प्रदर्शन किया। इस धरना-प्रदर्शन में कांग्रेस समेत अन्य दलों के नेताओं के साथ समाजसेवी संगठनों से जुड़े लोगों ने बढ़चढ़कर समर्थन दिया।
धरना का आयोजन झारखंड मजदूर चेतना मोर्चा के संयुक्त तत्वावधान में किया गया था। धरनार्थियों के नेतृत्व राष्ट्रीय जनता दल लोकतांत्रिक संसदीय बोर्ड की केन्द्रीय अध्यक्ष श्रीमति शारदा देवी कर रही थी। जबकि, मौके पर पार्टी के केन्द्रीय उपाध्यक्ष अर्जुन यादव, केन्द्रीय महासचिव प्रणय कुमार बबलू, केन्द्रीय सचिव राजेश कुमार, राष्ट्रीय जनता दल के केन्द्रीय महासचिव नसीम अंसारी, राष्ट्रीय जनता दल लोकतांत्रिक के जमशेदपुर महासचिव सपन डे, वरिष्ठ नेता सुरेन्द्र नाथ महतो, डीआर बैठा के अलावा सामाजिक संस्था जनकल्याण मोर्चा के अध्यक्ष सह अधिवक्ता ओमप्रकाश, कांग्रेस के आदित्यपुर नगर अध्यक्ष संतोष सिंह, दिलीप भारद्वाज, जदयू के युवा नेता संजीव आचार्या धरना के समर्थन में अपने विचार रखें। कार्यक्रम की अध्यक्षता फुलेश्वर साव कर रहे थे। इस मौके पर अपने संबोधन में राष्ट्रीय जनता दल लोकतांत्रिक संसदीय बोर्ड की केन्द्रीय अध्यक्ष श्रीमति शारदा देवी ने औद्यौगिक मंदी के लिए सरकार को पूरी तरह से जिम्मेवार ठहराते हुए कहा कि एक तरफ मजदूरों के घर रोटी बनाने के लिए आटा नहीं है, वहीं सरकार गैस सिलिंडर देने का दिखावा कर रही है। उन्होंने केन्द्र और राज्य सरकार की जमकर बखिया उधेड़ते हुए सरकार को जनविरोधी और मजदूर विरोधी करार दिया। साथ ही कहा कि केन्द्र की मोदी सरकार पूरी तरह से दिखावे की सरकार है, जो पूंजीपतियों के हाथ खेल रही है और गरीब, मजदूर तबके के लोगों से उनका अधिकार छिन रही है। उन्होंने केन्द्र सरकार को आड़े हाथो लेते हुए कहा कि केन्द्र की मोदी सरकार जादुई विज्ञापन पर चल रही है। जबकि, आंकड़ो के अनुसार राष्ट्रीय स्तर पर साढ़े तीन लाख लोगों की नौकरियां समाप्त हो चुकी है। वहीं, आनेवाले दिनो में दस लाख नौकरियों पर तलवार लटक रही है। वर्तमान में आदित्यपुर औद्योगिक क्षेत्र की हालत तो इस तरह बदहाल हो चुकी है कि औद्योगिक क्षेत्र की साढ़े नौ सौ कंपनियों में औद्योगिक मंदी की वजह से ताले लटक चुके हैं। ये कंपनियां पूरी तरह से बंद हो चुकी है। जबकि, औद्योगिक क्षेत्र के करीब बीस हजार मजदूर बेरोजगार होकर पलायन के शिकार चुके हैं। इसी तरह धरना में शामिल अन्य वक्ताओं ने भी सरकार की नीतियों की जमकर खिलाफत की। वहीं, मजदूरों को उनका वाजिब हक दिलाने के लिए एकजुट होकर संघर्ष का आह्वान किया। धरना में भरत राम, सोनू रजक, रजत कुमार तिवारी, सीताराम रजक, धर्मेन्द्र कुमार तिवारी, नागेश्वर प्रसाद, उमेश कुमार, सुमित्रा देवी, शिश देवी, दिनेश प्रसाद गुप्ता, कैलाश चंद्र चौरसिया, विश्वनाथ शर्मा, आशीष कुमार ओझा, योगेन्द्र राम, अरुण कुमार सिंह, समेत भारी संख्या में लोग शामिल थे।
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