ब्रजेश भारती
सिमरी बख्तियारपुर(सहरसा) ।
रजिस्टर टू में खाता,खेसरा अंकित नही रहने का लाभ उठाते है भूमाफिया
रजिस्टर में कैमिकल डाल,इंक गिरा,ओवर राटिंग करने का धंधा है वर्षो पुराना
एसडीओ के द्वारा गुरूवार को अंचल कचहरी में कि गई छापेमारी के बाद जमाबंदी में छेड़छाड़ की बात सामने आने के बाद अब लोगों के बीच यह चर्चा का विषय बन गया है की क्या जमाबंदी में छेड़छाड़ के आरोपी हल्का कर्मचारी पर कार्यवाही होगी या फिर पहले की तरह मामला को रफा दफा कर दी जायेगी। शुक्रवार को अंचलाधिकारी धमेन्द्र पंडित ने जमाबंदी रजिस्टर को सुक्ष्म रूप हरेक बिन्दु पर जमाबंदी संख्या 415/4 की जांच कर अपनी रिपोर्ट एसडीओ सिमरी को सौंप दिया । वर्तमान में यह जमाबंदी अब्दुल रहीम के नाम से चल रही है जिसका जिसका कुल रकवा 1 बीधा 6 कट्टा 9 धूर 10 धूरकी है। 23 मार्च 1976 ई० के बाद करीब 40 वर्षो बाद 21 फरवरी 2016 को इस जमीन की मालगुजारी रसीद वित्तीय वर्ष 2015-16 काटी गई। पुन: दो माह बाद 14 अप्रैल 16 को वित्तीय वर्ष 2016-17 की रसीद काटी गई ।करीब 40 वर्षो तक उक्त जमीन के मालिक ने जमीन की मालगुजारी रसीद नही कटवाई लेकिन दो माह में दो बार रसीद कटवा संदेह उत्पन्न करता है की छेड़छाड़ कर यह कारनामा किया गया। ईतना ही नही उक्त पन्ने के आगे पीछे पन्ने पर जिस व्यक्ति की लिखाबट प्रतीक होती वह लिखावट से इस पन्ने में लिखी गई नाम मिलता प्रतीक नही होता है। छेड़ाफेड़ी की करतूत यही नही रूकती है सन 1998 के तत्कालीन अंचल निरक्षक के के सिंह के द्वारा उक्त पन्ने के अलावा आगे पीछे एक एक पन्ने का जांच कर सही पाने का हस्ताक्षर दिखाया गया जब के के सिह के हस्ताक्षर से उक्त हस्ताक्षर का मिलान किया गया तो साफ तौर पक फर्जी हस्ताक्षर पाया गया। चुकिं जमाबंदी रजिस्टर में यह छेड़छाड़ का मामला कोई नया नही है इससे पूर्व डीसीएलआर रासीद हुसैन ने भी जमाबंदी रजिस्टर में छेड़छाड़ की बात पकड़ी थी लेकिन जबतक वे इसके दोषी तक पहुंच पाते उनका तबादला हो गया। अब देखना होगा की इस मामले में क्या होता है।
खाता,खेसरा अंकित नही है –
कार्यालय में उपल्बध रजिस्टर टू में रैयतो के नाम जमाबंदी नंबर के साथ अंकित है लेकिन ना तो यह बात अंकित है की अंकित रैयत का खाता क्या है किस किस खेसरा की जमीन की यह जमाबंदी है सिर्फ कुल रकवा दिया गया। अगर यहां जमाबंदी से नाम छेड़छाड़ हुआ तो आप यह साबित नही कर पायेंगे की वह जमाबंदी किसका है।इसी बात का फायदा भूमाफिया उठाते है।
कार्यालय में नही है रजिस्टर टू के अलावा कोई रेकर्ड –
इस अंचल कार्यालय में रजिस्टर टू के अलावा किसी प्रकार का कोई जमीन से संबंधित कागजात नही है। ना तो जमींदार के द्वारा दिया गया जमीन का रिर्टन की प्रति है ना ही रैयती खतियान है ईतना ही नही खेसरा पंजी तक उपलब्ध नही है। उपरोक्त कागजात नही होने की जानकारी हल्का कर्मचारी ने मांगी गई सुचना में लिखित रूप में दिया है की खेसरा पंजी,रैयती खतियान कार्यालय में उपलब्ध नही हैं ।
कहां गया कार्यालय का रेकर्ड –
आजादी के बाद जब जमींदारी प्रथा सरकार खत्म कर सभी जमींदारों से जमीन ले उसे रैयतो के बीच वितरण कर दिया गया । जो जमीन बच गई वह सरकार के खाते में चला गया । जानकार का कहना है की दस साल पूर्व तक कार्यालय में सभी कागजात उपल्बध थें कई लोगों नें उस वक्त कार्यालय से नकल भी ली लेकिन अब वह कागजात कहा गया क्यो नही है कार्यालय में कागतात इसका दोषी कौन है। क्या इस बात की जांच होगी की कहां गया वह कागजात ? दोषी कौन ?
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