जमशेदपुर।
रैपिड लोडिंग सिस्टम चक्रधरपुर डिवीजन में लौह अयस्क साइडिंग के कई में उपलब्ध सबसे हालिया वैगन लोडिंग सिस्टम में से एक है। इसमें बहुत उन्नत पूर्व वजन प्रणाली है।बांसपानी और नोआमुंडी में मेसर्स टाटा स्टील के लौह अयस्क में से दो के पूर्व वजन प्रणाली को मंजूरी दे दी गई है।सिस्टम कंप्यूटर आधारित कमांड सिस्टम के साथ हाइड्रॉलिक रूप से संचालित लोड कोशिकाओं पर काम करता है।भारतीय रेलवे में लौह अयस्क क्षेत्र में यह पहली बार है। यह प्रणाली लगभग 1hr 30minutes के पोस्ट-लोडिंग निरोध को कम करती है जो पहले मोशन वे ब्रिज में वजन के साथ हुआ करती थी। यह प्रणाली क्रमिक लोडिंग के लिए Rly रोलिंग स्टॉक के टर्न राउंड (रेक उपलब्धता) में सुधार करेगी।भार कोशिकाओं को विधिवत रूप से सत्यापित किया जाता है और कानूनी मेट्रोलॉजी विभाग द्वारा मुहर लगाई जाती है।यह सफल प्री-वेट बिन सिस्टम में से एक है।वर्तमान में यह सिस्टम उपरोक्त दोनों सिरों पर सुचारू रूप से काम कर रहा है।नियंत्रण कक्ष के माध्यम से दिए गए आदेश के अनुसार सामग्रियों का निर्वहन किया जाता है।जिस सामग्री को डिस्चार्ज किया जाता है उसका वजन पहले से होता है और स्टैटिक मोड में तौला जाता है।यह प्रणाली प्रकृति में अग्रिम है, परिचालन और वाणिज्यिक समय पिछली तौल प्रणाली पर विशेष रूप से कम कर देता है।दक्षिण पूर्व रेलवे ने सिस्टम को दूसरों के लिए भी व्यवस्थित करने की योजना बनाई है।रेलवे रेलवे के फ्रेट ऑपरेशन और सूचना प्रणाली (एफओआईएस) के साथ रैपिड लोडिंग सिस्टम के उक्त प्री.हाइविन सिस्टम को एकीकृत करने की योजना बना रहा है। यह मिशन »की ओर रेलवे के काम करने में एक और मील का पत्थर होगा।
समय के साथ रैक भी जल्द उपलब्ध होगे- सजंय घोष
इस सबंघ में सी पी आर ओ संजय घोष ने बताया कि आयरन ओर को रैैकोंं में लोड करने में काफी समय लगता था।इसके कारण रैको उपलब्ध होने में दिक्कत होता था। उसी को देखते हुए एस ई रेलवे ने बांसपानी और नोआमुंडी में रैपिड लोडिंग सिस्टम की शुरुआत की है।यह प्रयोग काफी सफल रहा है। इस कारण मालगाड़ियो में आयरन लोड करने में करीब डेढ घंटे बचत होता है। और जल्द ही इस प्रकार के व्यवस्था अन्य लोडिग केन्द्र पर करने का विचार किया जा रहा है।
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