रांची।
मुख्यमंत्री हेमन्त सोरेन ने कहा कि राष्ट्रीय सुरक्षा हमारी सर्वोच्च प्राथमिकता है और साथ ही हम सीमा क्षेत्रों में राष्ट्र की सेवा करते हुए अपने श्रमिकों के अधिकारों को सुनिश्चित करने को समान प्राथमिकता देते हैं। राज्य सरकार केंद्रीय रक्षा मंत्रालय को सहयोग देने के लिए सदैव तैयार है।
श्रमिकों के कल्याण पर बनी सहमति
राज्य सरकार के हस्तक्षेप के बाद संताल परगना के 11, 815 श्रमिकों को सीमा सड़क संगठन (बीआरओ) के लिए पूरे अधिकार के साथ काम करने का अवसर मिलेगा। लॉकडाउन के कारण लेह-लद्दाख से लौटे प्रवासी मजदूरों की आपबीती सुनने के बाद मुख्यमंत्री ने वैघानिक शर्तों और श्रमिकों को सभी लाभ देने के लिखित सहमति मिलने के बाद श्रमिकों को ले जाने की अनुमति बॉर्डर रोड ऑर्गेनाइजेशन (बीआरओ) को दी है। अब इन मजदूरों को निर्धारित मजदूरी की राशि में 20 प्रतिशत बढ़ोत्तरी के साथ सीधे उनके बैंक खाते में मिलेगी। बीआरओ और उपायुक्त के बीच पंजीकरण प्रक्रिया के बाद ही श्रमिक जाएंगे। बिचौलियों की भूमिका खत्म की गई। चिकित्सा सुविधा, यात्रा भत्ता, कार्य स्थल पर सुरक्षा, आवास लाभ भी मिलेगा। संताल परगना से हजारों आदिवासी श्रमिक 1970 से लेह-लद्दाख के दूरगम स्थान, कठिनतम चोटियों और दर्रों पर विशेषकर सड़क बनाने जाते हैं। बीआरओ अपने स्थानीय नेटवर्क की मदद से इन्हें साल में दो बार बुलाता है। एक बार अप्रैल-मई में श्रमिक जाते हैं, इन्हें सितंबर तक लौटना होता है। दूसरी बार अक्तूबर-नवंबर के दौरान श्रमिक जाते हैं और फरवरी में लौटने लगते हैं। लेकिन इस बार लॉकडाउन के कारण श्रमिक फंस गए। श्रमिकों ने सीएमओ और कॉल सेंटर से संपर्क कर वापसी की गुहार लगाई। इसके बाद मुख्यमंत्री ने टीम बनाई और 29 मई को 60 श्रमिक एयरलिफ्ट कर रांची लाये गए। श्रमिकों के स्वागत के लिए एयरपोर्ट पहुंचे मुख्यमंत्री ने खुद श्रमिकों का हाल लिया तो उन्हें पता चला कि दशकों से न्यूनतम मजदूरी तक नहीं देकर श्रमिकों का शोषण हो रहा है। इसके बाद सरकार ने बीआरओ से सवाल किए। मामला रक्षा मंत्रालय पहुंचा और मजदूरों के शोषण की जानकारी दी। मुख्यमंत्री ने एक विशेष टीम गठित कर बीआरओ के साथ तमाम मुद्दों पर वार्ता कराई। कई दिनों के मंथन के बाद दोनों पक्ष के बीच इंटर स्टेट लेबर एक्ट 1979 और वर्क्समैन कंपनसेशन एक्ट 1923 के तहत मजदूरों को निर्धारित मजदूरी, स्वास्थ्य सुविधायें, दुर्घटना लाभ, यात्रा भत्ता, आवास लाभ आदि लाभ देने पर लिखित सहमति बन गई है।
लेह-लद्दाख से एयरलिफ्ट हुए श्रमिकों ने यह कहा…
एयरलिफ्ट होकर झारखण्ड पहुंचे श्रमिकों ने कहा कि वहां पर उन्हें समय पर मजदूरी का भुगतान नहीं किया जाता है। बीआरओ द्वारा तय राशि से कम राशि का भुगतान ठेकेदार और बिचौलिए करते हैं। हमारा एटीएम कार्ड ठेकेदार रख लेते हैं, और झारखंड लौटने समय हमारी मेहनत की राशि बिचौलियों द्वारा एक तिहाई निकाल एटीम कार्ड सौंप दिया जाता है।
National security is our top priority & simultaneously we accord equal priority to ensure honour, wages and rights of our workers are guaranteed while serving the nation in border areas. We look fwd to cooperation from @DefenceMinIndia & @rajnathsingh'ji to ensure compliance. pic.twitter.com/w18Fc7BiVn
— Hemant Soren (घर में रहें – सुरक्षित रहें) (@HemantSorenJMM) June 8, 2020
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