बर्खास्त जत्थेदार रंजीत सिंह का दिनांक 09. 01. 2020 का हुकम्नामा.
न धार्मिक मंच पर बैठेंगे नाही मिलेगा सम्मान
जमशेदपुर। सिखों के धार्मिक पीठ तख्त श्री हरमंदिर साहिब पटना के जत्थेदार ज्ञानी रणजीत सिंह ने कठोर फैसला लेते हुए सी जी पी सी सेंट्रल गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी से गुरमुख सिंह मुखे एवं अमरजीत सिंह अंबे को बर्खास्त कर दिया है।
सेंट्रल गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी के चेयरमैन पदाधिकारी एवं सभी सदस्यगण को पत्र जारी करते हुए आदेश जारी किया है कि गुरमुख सिंह मूखे एवं अमरजीत सिंह अंबा जब तक न्यायालय द्वारा दोषमुक्त नहीं घोषित किए जाते तब तक वह सेंट्रल गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी से बर्खास्त रहेंगे। सभी गुरु नानक नाम लेवा संगत को ताकीद करते हुए कहां है कि इन दोनों को किसी भी धार्मिक स्टेज में मान सम्मान नहीं दिया जाए और उन्हें किसी धार्मिक जत्थेबंदी का सदस्य भी नहीं बनाया जाए और ना ही किसी धार्मिक स्टेज में उन्हें चढ़ने दिया जाए।
जमशेदपुर के सिख इतिहास में संभवत यह अपने तरह का पहला फैसला तख्त की ओर से आया है। जत्थेदार ज्ञानी सरदार रणजीत सिंह ने अपने आदेश की प्रति सिखों के सर्वोच्च पीठ श्री अकाल तख्त साहिब के जत्थेदार ज्ञानी सरदार हरप्रीत सिंह के साथ साथ तखत श्री हरिमंदिर साहिब प्रबंधन कमेटी पटना के उपाध्यक्ष सरदार इंदरजीत सिंह, झारखंड सिख प्रतिनिधि बोर्ड के अध्यक्ष सरदार गुरुचरण सिंह बिल्ला एवं झारखंड गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी के प्रधान सरदार शैलेंद्र सिंह को भी भेजी है।
जत्थेदार ज्ञानी रंजीत सिंह ने बताया कि पटना तख्त को लिखित रूप में कई शिकायतें मिली । झारखंड सिख प्रतिनिधि बोर्ड के अध्यक्ष सरदार गुरुचरण सिंह बिल्ला पर जानलेवा हमला 9 नवंबर 2019 की सुबह साढ़े चार बजे हुआ। जांच में यह तथ्य सामने आया कि सेंट्रल गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी के प्रधान सरदार गुरमुख सिंह मुखे एवं उपाध्यक्ष सरदार अमरजीत सिंह अंबा ने करवाया है। 16 नवंबर 2019 को दोनों गिरफ्तार किए गए और जांच में यह भी सामने आया कि हमलावरों को सेंट्रल गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी के कार्यालय में ठहराया गया था और इसकी तस्दीक चौकीदार महेंद्र सिंह के कोर्ट में दिए बयान से भी हुई है। यह सारी खबरें जमशेदपुर के अखबार में छपी है। यह दोनों फिलहाल इस मामले में दोषी हैं और ऐसे में यह किसी पद पर नहीं बने रह सकते हैं।
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