Madhubani News:प्रतियोगिता से छात्रों में बढ़ती है प्रतिस्पर्धा की भावना-कुलपति 

दो दिवसीय शास्त्रीय स्पर्धाओं का लगमा महाविद्यालय में हो रहा है आयोजन, लगमा में बिहार-झारखंड राज्यस्तरीय शास्त्रीय स्पर्धा की हुई शुरूआत

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– बिहार झारखंड के दर्जनों प्रतिभागी हो रहे हैं सम्मिलित ।
-मंगलवार को कुल 10 स्पर्धाओं का हुआ आयोजन
– बुधवार को सभी विषयों का भाषण स्पर्धा का होगा आयोजन

केंदीय संस्कृत विश्वविद्यालय, नई दिल्ली के तत्वावधान व वित्त संपोषण में जगदीश नारायण ब्रह्मचर्याश्रम आदर्श संस्कृत महाविद्यालय, लगमा में मंगलवार को बिहार-झारखंड राज्यस्तरीय शास्त्रीय स्पर्धा का विधिवत शुभारंभ हुआ। समारोह को केएसडीएसयू, दरभंगा के कुलपति प्रो. शशिनाथ झा, विशिष्टातिथि गोहाटी विश्वविद्यालय के प्रो.कामेश्वर शुक्ल, मुख्यातिथि नव नालंदा विश्वविद्यालय के डीन डॉ. विजय कुमार कर्ण, पातेपुर संस्कृत महाविद्यालय के पूर्व वेद विभागाध्यक्ष डॉ.राजेंद्र झा, मुजफ्फरपुर विश्वविद्यालय के पूर्व संस्कृत विभागाध्यक्ष डॉ. इंद्रनाथ झा आदि ने संयुक्त रूप से दीप प्रज्ज्वलित कर कार्यक्रम का उद्घाटन किये।
बतौर मुख्यातिथि डाॅ. विजय कुमार कर्ण ने कहा कि आधुनिक समय में शास्त्र के साथ शस्त्र की शिक्षा भी छात्रों के लिए अनिवार्य है, वर्ना बख्तियार खिलजी नालंदा विश्वविद्यालय को आग के हवाले न कर पाता। विशिष्टातिथि गोहाटी विश्वविद्यालय के डाॅ. कामेश्वर शुक्ल ने कहा कि आज घर-घर में सर्वत्र संस्कृत शिक्षा की अनिवार्यता है।
सारस्वत अतिथि पातेपुर संस्कृत महाविद्यालय के पूर्व वेद विभागाध्यक्ष डाॅ. राजेंद्र झा ने चारों वेद के अध्ययन की अनिवार्यता पर जोर दिया।
शिक्षाविद् डॉ.हृषीकेश झा ने कहा कि संस्कृत शिक्षा के बिना जीवन का विकास संभव नहीं है। वहीं मुजफ्फरपुर के पूर्व संस्कृत विभागाध्यक्ष डॉ.इंद्रनाथ झा ने कहा कि संस्कृत से ही संस्कृति का विकास संभव है।
अपने अध्यक्षीय भाषण में केएसडीएसयू के कुलपति प्रो. शशिनाथ झा ने कहा कि केंद्रीय संस्कृत विश्वविद्यालय, नई दिल्ली द्वारा इस तरह के प्रतियोगिता का आयोजन करवाना अपने आप में एक उत्कृष्ट कार्य है, जो संस्कृत शिक्षा की चहुंमुखी विकास के लिए अत्यावश्यक है। इस तरह के शास्त्रीय प्रतियोगिता आयोजित होने से छात्रों में प्रतिस्पर्धा की भावना जागृत होती है।
उद्घाटन सत्र के अन्त में समारोह को संबोधित करते हुए महाविद्यालय के प्राचार्य विद्यावाचस्पति डाॅ. सदानंद झा ने कहा कि इस तरह के आयोजन से छात्रों में उत्साहवर्धन होता है और ज्ञानमयी वातावरण से छात्रों का आंतरिक और बाह्य विकास होता है।
कार्यक्रम की शुरुआत वैदिक मंगलाचरण व गोसाउनीक गीत से हुई। आगत अतिथियों का स्वागत सह संयोजक डॉ.रमेश कुमार झा तथा संचालन संयोजक डाॅ.राघव कुमार झा ने किया।
समारोह को सफल बनाने में डाॅ.बालकृष्ण मिश्र , डॉ.रामसेवक झा, डॉ.त्रिलोक झा, डॉ.विपिन कुमार झा, डाॅ. संगीत कुमार झा, डॉ.सोनी झा, डाॅ. सुशील कुमार चौधरी, डाॅ. कृष्णमोहन झा, डॉ.वीर चन्द्र जैन,डाॅ. नागेंद्र झा, माधव किशोर शास्त्री।सोनी झा कल्याणी झा मनीष कुमार, अभय चौधरी, लाल चौधरी, छात्र-छात्राओं ने अपना विशिष्ट योगदान दिया।

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