मधुबनी, — मिथिला विश्वविद्यालय के पूर्व मैथिली विभागाध्यक्ष और वरिष्ठ शिक्षाविद् प्रोफेसर कुल धारी सिंह उर्फ बीत बाबू का निधन 82 वर्ष की आयु में हो गया। उन्होंने शुक्रवार की शाम करीब 7:35 बजे मधुबनी ड्योढ़ी स्थित अपने आवास पर अंतिम सांस ली। उनके निधन की खबर से पूरे क्षेत्र में शोक की लहर दौड़ गई।
प्रो. सिंह का जन्म 12 सितंबर 1944 को हुआ था। उन्होंने अपने जीवन का अधिकांश हिस्सा शिक्षा और समाज सेवा को समर्पित किया। वे जगदीश नंदन महाविद्यालय, मधुबनी के मैथिली विभाग के पहले प्रोफेसर रहे, बाद में विभागाध्यक्ष और कॉलेज के प्रिंसिपल के पद तक पहुंचे। उनके मार्गदर्शन में सैकड़ों विद्यार्थियों ने उच्च शिक्षा प्राप्त की और साहित्य के क्षेत्र में उल्लेखनीय योगदान दिया।
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बाद में वे ललित नारायण मिथिला विश्वविद्यालय, दरभंगा में मैथिली विभाग के विभागाध्यक्ष बने, जहां उन्होंने 2009 के सितंबर में सेवानिवृत्ति ली। अपने शिक्षण काल में उन्होंने मैथिली भाषा और संस्कृति के संरक्षण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
उनके निधन से न केवल शिक्षा जगत, बल्कि मिथिला साहित्यिक समाज ने भी एक गहरी क्षति महसूस की है। विभिन्न शिक्षाविदों, साहित्यकारों और पूर्व छात्रों ने उनके निधन पर गहरी शोक संवेदना व्यक्त की है।
शनिवार को उनका अंतिम संस्कार सिमरिया में किया जाएगा। इस अवसर पर परिजन, सहयोगी और शिष्यों के बड़ी संख्या में शामिल होने की संभावना है।
प्रो. सिंह अपने पीछे दो पुत्र, एक पुत्री, एक पोता, दो पोतियां, एक नातिन और दो नतिनियां छोड़ गए हैं।
उनकी सादगी, विद्वता और विद्यार्थियों के प्रति समर्पण भावना को लंबे समय तक याद किया जाएगा। मधुबनी और दरभंगा क्षेत्र के लोगों ने कहा कि कुल धारी सिंह जैसे शिक्षक युगों-युगों में पैदा होते हैं, जिन्होंने न केवल पढ़ाया, बल्कि पीढ़ियों को संस्कारित किया।

