जमशेदपुर।
हम अपनी सारी समस्याएं, सुख-दुख जुबान से बताते हैं, खुशियां-गम जुबान ही प्रकट करते हैं, लेकिन क्या हमने ये कभी सोचा है कि जो बेजुबान हैं, जो बोल नहीं सकते, सुन नहीं सकतें उनकी भी तो भावनाएं होती हैं। ला-ग्रैविटी टी कैफे में अब महज होम डिलीवरी होती है। जिसके लिए स्टाफ्स मांग के हिसाब से भोजन बनाकर डिलीवरी करते हैं। स्थिति सामान्य होने और लॉक डाउन पूरी तरह से खुलने की उम्मीद में संघर्षरत इन बेजुबानों के स्वास्थ्य और कोरोना संक्रमण से सुरक्षा को देखते हुए पूर्व विधायक कुणाल षाडंगी ने शनिवार को इनके मध्य फेस शील्ड वितरित किया।
फेस शील्ड क्यों, कवर-मास्क क्यू नहीं ?
पूर्व विधायक और भाजपा के युवा नेता कुणाल षाड़ंगी ने बताया कि फेस शील्ड इसलिए क्योंकि इन्हें साईन लैंग्वेज में बात करने और लिप-रीडिंग करने में आसानी हो। कवर मास्क से इन्हें संवाद करने में अत्यंत कठिनाई होती है और बेजुबान लोग दूसरों से संवाद नहीं कर पातें। आखिर इन बेजुबानों को भी हक है कि वे इस कोरोना काल में पूरी तरह सुरक्षित रहें और अपनी अभिव्यक्ति दूसरों तक आसानी से पहुंचा सकें।
ला-ग्रैविटी चलानेवाले अविनाश दुग्गर के अनुसार लॉकडाउन के इस दौर में आनेवाले समय में होटल-रेस्तरां खुलने की उम्मीद के बीच फिलहाल चल रहे होम डिलीवरी के सीमित कार्य में खास सावधानी की जरूरत है। उन्हें इस बात का संतोष है कि अब फेस शील्ड के साथ बेहतर तरीके से होम डिलीवरी का कार्य उनके स्टाफ कर पाएंगे। कुल 12 स्टाफ हैं बताते हैं कि कैसे इस इंडस्ट्री की हालत खस्ताहाल हो गई है. एक दिन में होम डिलीवरी के लिए गिने चुने फोन ही आते हैं।
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