जमशेदपुर।
सरायकेला-खरसांवा जिला के आदित्यपुर के आर आई टी थाना क्षेत्र के आंसगी गांव में एक टोला है जिसे लोग जमाईपाङा के नामा से जानते है।जमाई का अर्थ होता है दमाद और पाङा का मतलब टोला .इस टोला मे रहनेवाले लोग आंसगी गांव के दमाद है । जमाई पाडा में लगभग ५० घर हैं जिस में लगभग ५०० लोग रहते हैं यहाँ पर ओडिया जाति के लोग अधिक हैं।
क्यो पङा जमाईपङा नाम
बताया जाता है कि इस गांव के अगल बगल आदित्यपुर औधोगिक क्षेत्र मे लगभग 900 सो छोटे बङे कंपनिया है चुकी यहां के रहनेवाले लोग अपनी बेटी की शादी दुसरे राज्यो मे कर देते थे ।नौकरी के नाम पर दमाद और बेटी को बुलाकर यहां बुलाने लगे।इस तरह गांव के अन्य लोग भी करने लगे ।
इस गांव के ग्रामीण सत्यनाराय़ण प्रसाद साहु .कुरता सिंह देव इस गाँव का जमाई क्यों पड़ा इस सम्बन्ध में बताया कि आदित्यपुर का औधोगिक क्षेत्र के रुप मे विस्तार होने लगा ।रोजगाऱ के साधन उपलब्ध होने लगे .नौकरियां आसनी से उपलब्ध हो रही थी .तो नौकरी के नाम पर सभी को यहां पर यहां के ग्रामीणो ने अपने दमाद और बेटी को बुलाने लगी और यहां नौकरी भी लगवा दी ।और रहने के लिए जमीन दे दी इस तरह गांव के अन्य ग्रामीणो ने अपने दमाद को बुलाने लगे ।और जहां दमाद को रहने दिया गया उस बस्ती के नाम जमाई पड़ा रख दिया गया।
क्या कहते है दमाद
इस गांव के पहले दमाद जो ओड़िसा के मयूरगंज जिला के रहने वाले परमेश्वर बारीक़ ने बताया कि उसकी शादी में 1984 में आदित्यपुर के असंगी गाँव के रहने वाली गीता से हुई। शादी के बाद भी बेरोजगार था नौकरी की तलाश कर रहा था ।फिर मेरी पत्नि गीता के माता पिता ने मुझे यहाँ बुला लिया और आदित्यपुर ओधोगिक क्षेत्र मैं नौकरी लगा गई .उसने कहा कि मै यहाँ अपने बेटा और बहु के साथ ख़ुशी ख़ुशी जीवन बिता रहे हैं इस तरह कई और परिबार हैं जो अपने बेटी दामाद को यहाँ पर लाकर रखे हैं नौकरी लगवाए भी हैं इसी तरह विस्वनाथ प्रधान के पिता यहाँ के दामाद हैं