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Home » Jharkhand News:आंदोलनकारी परिवार की पीड़ा एक आंदोलनकारी परिवार का बेटा ही समझ सकता है- हेमन्त सोरेन, मुख्यमंत्री
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Jharkhand News:आंदोलनकारी परिवार की पीड़ा एक आंदोलनकारी परिवार का बेटा ही समझ सकता है- हेमन्त सोरेन, मुख्यमंत्री

BJNN DeskBy BJNN DeskNovember 1, 2023No Comments3 Mins Read
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Ranchi

मुख्यमंत्री  हेमन्त सोरेन ने आज झारखंड मंत्रालय में झारखंड आंदोलनकारी चिन्हितीकरण आयोग के अध्यक्ष एवं सदस्यों के साथ बैठक की। मुख्यमंत्री ने बैठक में कहा कि अलग झारखंड राज्य का गठन होना एक बड़ी उपलब्धि थी। अलग झारखंड राज्य की परिकल्पना को साकार करने के लिए हजारों की संख्या में आंदोलनकरियों ने अपने प्राणों की आहुति दी है। राज्य के विभिन्न रिसोर्स, संपत्ति पर पहला अधिकार आंदोलनकारी अथवा उनके परिवार का होना चाहिए। मुख्यमंत्री ने निर्देश दिया कि अगले 15 से 20 दिनों के भीतर गांव-गांव पहुंचकर आंदोलनकारी तथा आंदोलनकारी परिवार के सदस्यों का चिन्हितिकरण कार्य पूरा करें।

*पूर्व की सरकारों ने आंदोलनकरियों को अपमानित करने का काम किया*

मुख्यमंत्री श्री हेमन्त सोरेन ने कहा कि पूर्व की राज्य सरकारों ने अलग झारखंड राज्य आंदोलनकरियों की संख्या को घटाकर 25 से 30 हजार में समेटना चाहती थी। पूर्व की सरकारों ने आंदोलनकरियों को अपमानित करने का काम किया है। परंतु वर्तमान राज्य सरकार गांव-गांव में पहुंच कर एक-एक आंदोलनकारी परिवार तक पहुंचने का प्रयास कर रही है। हमारी सरकार का लक्ष्य है कि एक-एक आंदोलनकारी अथवा उनके परिवार को पूरे मान-सम्मान के साथ उनका अधिकार दिया जाए, इस निमित्त सरकार गठन के बाद से ही हमारा निरंतर प्रयास जारी है। मुख्यमंत्री ने कहा कि हमारा प्रयास है कि हम वैसे आंदोलनकारी अथवा उनके परिवार को पूरा मान-सम्मान के साथ हर रूप में सहयोग करें।

*डुगडुगी बजाने वाले की भी उतनी ही भूमिका*

मुख्यमंत्री श्री हेमन्त सोरेन ने कहा कि मुझे अभी भी स्मरण है कि किस प्रकार डुगडुगी बजाकर यह संदेश दिया जाता था कि कौन से समय पर आंदोलनकारी किस स्थान पर एकजुट होकर बैठक कर अलग झारखंड राज्य लेने की रणनीति तैयार करेंगे। मेरा मानना है कि अलग झारखंड राज्य के निर्माण में डुगडुगी बजने वाले आंदोलनकारी की भी उतनी ही भूमिका है, जितना अपना सर्वस्व न्योछावर करने वाले आंदोलनकारी की।

*आंदोलनकारी परिवार की पीड़ा एक आंदोलनकारी परिवार का बेटा ही समझ सकता है*

मुख्यमंत्री ने कहा कि एक आंदोलनकारी परिवार की पीड़ा एक आंदोलनकारी परिवार का बेटा ही समझ सकता है। आज झारखंड का नेतृत्व एक आंदोलनकारी के बेटा कर रहा है। मैं आंदोलनकारी तथा उनके परिवार के सदस्यों की पीड़ा को अच्छी तरह से समझ सकता हूं। आप समझ सकते हैं कि अलग झारखंड राज्य की लड़ाई में जिस बेटे के पिता ने अपने प्राणों की आहुति दी है, उस बेटे पर क्या गुजरती होगी। वैसे लोगों का भविष्य कौन संवारेगा। मुख्यमंत्री ने कहा कि जल्द राज्य के आंदोलनकारी तथा उनके परिवारों का चिन्हितिकरण कार्य पूरा कर उनकी हर समस्याओं का निदान हमारी सरकार करेगी।

*बैठक में झारखंड चिन्हितीकरण आयोग के अध्यक्ष  दुर्गा उरांव, सदस्य  भुवनेश्वर महतो एवं नरसिंह मुर्मू, अपर मुख्य सचिव गृह विभाग  अविनाश कुमार, मुख्यमंत्री के प्रधान सचिव  वंदना दादेल, मुख्यमंत्री के सचिव  विनय कुमार चौबे उपस्थित थे।*

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