Jharkhand News : अगर झारखंड में भाजपा को सरकार बनानी है, तो अमित शाह को चलाना पड़ेगा अनुशासन का डंडा

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जमशेदपुर।

झारखंड में भाजपा को आगामी विधानसभा चुनाव को लेकर जमीनी स्तर पर व्यापक पहल करने की जरूरत है l तभी वह झारखंड में सत्ता के करीब पहुंच सकती है l इसके साथ ही पार्टी के दूसरे नंबर के शीर्ष नेता अमित शाह को झारखंड में विशेष ध्यान केंद्रित करना होगा l उन्हें संगठन में अनुशासन का डंडा चलाना पड़ेगा l झारखंड में विधानसभा चुनाव होने के कुछ ही दिन शेष बचे हैं। विधानसभा चुनाव को लेकर भाजपा ने तैयारी शुरू कर दी है। इसको लेकर भाजपा ने केंद्रीय मंत्री शिवराज सिंह चौहान को प्रभारी और सह प्रभारी हेमंत बिस्वा शर्मा को बनाया है। दोनों नेताओं ने झारखंड आकर पार्टी वरीय कार्यकर्ताओं के साथ बैठक कर दिशा निर्देश भी दे दिया है। वहीं दूसरी ओर भाजपा के भीतर गुटबाजी देखी जा रही है. उस लिहाज से भाजपा का वर्तमान हालात में झारखंड विधानसभा चुनाव में ज्यादा से ज्यादा सीट लाना संदेहजनक ही लग रहा है। राजनीतिक जानकारों का कहना है कि झारखंड के संताल हो या कोल्हान, सभी जगहों पर जमीनी कार्यकर्ताओओं की पूछ कम होने लगी है। हाल ही में संपन्न लोकसभा चुनाव में झारखंड में भाजपा ने 8 सीट पर जीत दर्ज की है। जबकि उनके एक सहयोगी दल आजसू ने एक सीट पर जीत हासिल की है।वहीं विपक्ष इंडिया गठबंधन ने 5 सीटें जीती हैं। लोकसभा में अच्छा प्रदर्शन को लेकर झामुमो, कांग्रेस और राजद गठबंधन के कार्यकर्ता उत्साहित हैं. इसके उलट, भाजपा खेमे के कार्यकर्ताओं में वैसा उत्साह नहीं दिख रहा है l भाजपा की सीट कम आने पर मंथन करने की बजाय उनके नेता कहते फिर रहे हैं कि हमें तो 9 सीटें आई हैं और इंडिया गठबंधन के 5…

साधारण शब्दों मे देखा जाए तो इंडिया गठबंधन के अंक दो से पांच हुए हैं जबकि भाजपा के अंक 12 से पिछड़कर 9 हुए हैं।  वहीं चुनाव खत्म होने के बाद भी पार्टी के वरीय नेताओं से नाराज कार्यकर्ताओं से मिलना तो दूर, इस सबंध कोई चर्चा भी नही कर रहे हैं। वैसे कुछ लोगो की इच्छा है पार्टी ऐसे नेताओं पर कार्रवाई करे।

वरिष्ठ पत्रकार दुष्यंत कुमार का कहना है कि झारखंड बीजेपी को आगामी विधानसभा चुनाव में सत्ता में वापसी के लिए पुरजोर मेहनत करनी पड़ेगी l लोकसभा चुनाव में लगभग सभी सीटों पर पार्टी को आंतरिक कलह और गुटबाजी से जूझना पड़ा है l लोकसभा चुनाव से सबक लेकर पार्टी को विधानसभा चुनाव में नए सिरे से रणनीति बनाकर तैयारी करनी होगी l इसके लिए सबसे पहले पार्टी में व्याप्त गुटबाजी और आंतरिक कलह को पाटते हुए जमीनी कार्यकर्ताओं को तवज्जो देनी पड़ेगी l साथ ही अमित शाह के नेतृत्व में अनुशासन का डंडा सख्ती के साथ चलाना होगा l

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