Jharkhand Language Dispute : भाषा के आधार पर भेदभाव करना बंद करे सरकार :प्रदीप सिंह भोजपुरिया
बोकारो, धनबाद जिला से भोजपुरी, मगही को क्षेत्रीय भाषा सूची से बाहर करना अपमानजनक
जमशेदपुर,
हेमंत सोरेन सरकार द्वारा धनबाद और बोकारो जिला के जिला स्तरीय परीक्षा सूची के क्षेत्रीय भाषा सूची से भोजपुरी और मगही को बाहर करना तथा उर्दू को झारखंड के 24 जिलों में बतौर क्षेत्रीय भाषा शामिल करने के निर्णय को दुर्भाग्यपूर्ण बताते हुए सम्पूर्ण भोजपुरी विकास मंच के महामंत्री प्रदीप सिंह भोजपुरिया ने अन्यायपूर्ण एवं भेदभाव भरा निर्णय बताते हुए इसे अविलंब वापस लेने की मांग की। उन्होंने कहा कि बोकारो और धनबाद पुराने मानभूम जिला का हिस्सा रहा है। भाषाई आधार पर पुरुलिया को पश्चिम बंगाल में शामिल किया गया जबकि बोकारो और धनबाद बिहार का हिस्सा बने रहे। बोकारो और धनबाद में भोजपुरी तथा मगहीभाषी सैकड़ों बरसों से रहते आ रहे हैं। यहां की भूमि को उन्होंने अपने खून पसीने से सींचा है। झारखंड
के निर्माण में उनका योगदान किसी से कम नहीं रहा है। ऐसे में उनकी मातृभाषा का विरोध औचित्य से परे लगता है।
उर्दू देश में कहीं भी बतौर क्षेत्रीय भाषा प्रचलित नहीं है।सम्पूर्ण भोजपुरी विकास मंच उनके इस गैरसंवैधानिक कृत्य को किसी भी कीमत पर बर्दाश्त नहीं करेगा। सम्पूर्ण भोजपुरी विकास मंच माननीय मुख्यमंत्री से अविलंब भोजपुरी मगही को धनबाद और बोकारो जिला के क्षेत्रीय भाषा सूची में शामिल करने की मांग करता है और अगर उन्होंने ऐसा नहीं किया तो इसके विरोध में पूरे झारखंड में अति शीघ्र आंदोलन किया जायेगा।
सभी पार्टियां जाति, भाषा और धर्म के आधार पर अपनी-अपनी रोटी सेंक रही हैं। उन्हें संविधान के दायरे में रहकर जनहित में विचार करना चाहिये। सभी भाषाओं का सम्मान होना चाहिये। हिंदी भाषा पर राजनीति दुर्भाग्यपूर्ण है। परीक्षा सूची में हिंदी कहीं नहीं है। क्षेत्रीय भाषाओं में क्या हिंदी बोलने वाले नहीं है, झारखंड में भाषा और धर्म के आधार पर किसी भी दल को राजनीति नहीं करनी चाहिए।
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