महेंद्र प्रसाद, सहरसा
अगर दूध की पहली घूंट का स्वाद अच्छा नहीं है या फिर उसे पीने के बाद जीभ में जलन हो रही है, तो संभल जाएं. संभव है कि जो दूध आप पी रहे हैं, वह सिंथेटिक हो. इसकी शिकायत खाद्य सुरक्षा एवं औषधि प्रशासन से की जा सकती है. शादी-विवाह के मौके पर दूध की खपत बढ़ जाती है. जिले में हर दिन दो लाख लीटर दूध का उत्पादन होता है. बताया जाता है की हर दिन एक लाख लीटर सिंथेटिक दूध टैंकरों में भर कर अन्य शहरों में भेजा जाता है. दूध की सबसे ज्यादा खपत चाय की दुकानों में होती है.
कैंसे करेंगे पहचान
सिंथेटिक दूध की पहचान उसके स्वाद से की जा सकती है. जीभ में जलन होने पर दूध की जांच जरूर करवाएं. दूध में पानी की मिलावट लैक्टोमीटर से पता करें.दूध में मिलावट को रोकने के लिए स्वास्थ्य विभाग की टीम गठित कर जांच करनी चाहिए।
हाइटेक हुए मिलावटखोर
: मिलावटखोर सिंथेटिक दूध तैयार करने में नये केमिकल का प्रयोग कर रहे हैं. दूध का खराब स्वाद महसूस न हो, इसके लिए उसमें टाइटेनियम डाइ ऑक्साइड, बी वैक्स (मधुमखी के छत्ते से निकलनेवाला मोम) की मिलावट की जा रही है. टाइटेनियम डाइ ऑक्साइड अखाद्य रंग है, जिसका रंग दूध जैसा दिखने लगता है. फिर दूध में मिठास लाने के लिए बी वैक्स, पॉम ऑयल सहित अन्य का प्रयोग किया जाता है. मिलावटी दूध तैयार करने के लिए मिलावटखोर लैब की मदद ले रहे हैं, जहां सिंथेटिक दूध तैयार करने के नये-नये फार्मूले इजाद किये जा रहे हैं. दूध बनाने में इलेक्ट्रिक मथनी का इस्तेमाल किया जा रहा है.