उपायुक्त ने अंग वस्त्र और स्मृति चिन्ह प्रदान कर किया सम्मानित
लेडी टार्जन के नाम से चर्चित हैं जमुना टुडू
जंगल बचाने की मुहिम को लेकर जानी जाती हैं पद्मश्री जमुना टुडू
जमशेदपुर।
असली नायक वे नहीं हैं जो अपनी मुट्ठी से लड़ते हैं और प्रतिद्वंद्वी को घायल करते हैं। असली नायक वे हैं जो दृढ़ संकल्प के साथ लड़ते हैं और एक सामाजिक बदलाव लाते हैं। चाकुलिया निवासी पदमश्री जमुना टुडू ऐसी ही एक नायक हैं जो जंगल बचाने के लिए वर्षों से लगातार काम कर रही हैं। आज पूर्वी सिंहभूम के उपायुक्त अमित कुमार ने पदमश्री जमुना टुडू से मुलाकात कर उन्हें अंग वस्त्र और स्मृति चिन्ह प्रदान कर सम्मानित किया। चाकुलिया वन रेंज क्षेत्र के बेड़ाडीह गांव की रहने वाली पद्मश्री जुमना टुडू जंगल बचाने के लिए महिला समिति बनाकर जंगल की रक्षा करने का बीड़ा उठाया और लकड़ी माफियाओं के खिलाफ संघर्ष किया। पद्मश्री जमुना टुडू की बहादुरी को देखते हुए लोग उन्हें लेडी टार्जन के नाम पुकारते हैं । जंगल के प्रति उनके सर्मपण को देखते हुए केन्द्र सरकार द्वारा उन्हें पदमश्री जैसे महत्वपूर्ण सम्मान से नवाजा गया। पद्मश्री जमुना टुडु ने बताया कि जंगल को बचाने की प्रेरणा उन्हे उनके पिता से मिली। दरअसल उनकी परवरिश ही जंगल क्षेत्र में हुई है जिसके कारण जंगल से उन्हें बहुत लगाव है। उन्होने बताया कि मैं सभी पेड़-पौधों को अपने बच्चों की तरह मानती हैं। मैं हर रक्षा बंधन पर राखी बाँधती हूँ और प्रतिज्ञा लेती हूँ कि मैं जंगल की रक्षा करूंगी। उन्होने बताया कि उनकी महिला टीम ने सामूहिक रूप से अपने गांव के आसपास की 50 हेक्टेयर वन भूमि का संरक्षण आज तक किया है। 17 वर्ष की उम्र से जंगल को बचाने के अभियान में जुटीं पद्मश्री जमुना टुडू से निश्चित रूप से प्रकृति के संरक्षण की प्ररेणा मिलती है।
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