अजीत कुमार,जामताड़ा,25 मार्च
नए भवन में सदर अस्पताल शिफ्ट किया गया है.एक तो शहर से ६ किलोमीटर
दूर पहुँचने की सुबिधा नहीं और मरीज पहुँच जाये तो समझिये आफत आ गया उन
पर. अभी भी अस्पताल पूरी तरह से व्यवस्थित नहीं हो सका है, सारा सामान
बिखरा पड़ा है. मरीज परेशान है पर उनकी सुनने वाला कोई नहीं है. न तो सही
से बिजली मिल रहा है न पानी. उद्घाटन के २६ दिन बाद भी अस्पताल प्रबंधन
ने इस दिशा में पहल नहीं की.
मरीज बेहाल है और अस्पताल कर्मी मनचाहा जगह नहीं मिलने के कारण शिफ्ट
नहीं कर रहे है. लोग अपनी दबंगता और पहुँच के दम पर मनमाना जगह चाह रहे
है. सरकार और विभाग द्वारा निर्धारित नक़्शे के अनुसार जगह एलोट किया गया
है पर कर्मी अपनी मनमाफिक जगह चाह रहे है. नतीजा न वार्ड में डॉक्टर
पहुँच रहे है न मरीज को सही जगह पर सिविधा मिल रही है. कर्मचारिओं का एक
लॉबी सिविल सर्जन पर लगातार दबाव बना रहे है की उनके वार्ड और चहेते को
मनपसंद जगह मिले, भले ही इस बिच कोई आकस्मिक घटना क्यों न घट जाये.इस पर
किसी का ध्यान नहीं जा रहा है. विदित हो की कई कर्मी के परिजन और
रिश्तेदार बिभिन्न पद पर कार्यरत है.
अब स्थिति यह हो गई है की नये निर्माण में फेर बदल करने के लिए और
मनमाफिक जगह देने के लिए प्रेशर पॉलिटिक्स शुरू हो गया है.
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