JAMSHEDPUR TODAY NEWS : टाटा स्टील फाउंडेशन का संवाद के नौंवे संस्करण का हुआ आगाज़

351

जमशेदपुर: वीर  बिरसा मुंडा की जयंती पर गोपाल मैदान में टाटा स्टील फाउंडेशन की ओर से आयोजित अखिल भारतीय जनजातीय सम्मेलन, संवाद का आज शुभारंभ हुआ।

सम्मेलन की शुरुआत भारत के सबसे सम्मानित जनजातीय नायक बीर बिरसा मुंडा को श्रद्धांजलि देने के साथ हुई। उद्घाटन समारोह 501 नगाड़ों की धुन गूंज उठा। इस मौके पर धूमधाम के साथ जावा का अनावरण किया गया।

माझी परगना महल के पारंपरिक जनजातीय प्रमुख बैजू मुर्मू और दशमथ हांसदा, मुंडा मनकी संघ के गणेश पत पिंगुआ और रामेश्वर सिंह कुंटिया, 22 परहा के पुजार कोंगारी, मुंडा परहा, रविंद्र बराईक, सभा पति- चिक समाज, कौशिक चटर्जी, टाटा स्टील के कार्यकारी निदेशक और मुख्य वित्तीय अधिकारी दीपक कपूर, टाटा स्टील के स्वतंत्र निदेशक, चाणक्य चौधरी, टाटा स्टील कॉरपोरेट सर्विसेज के वाइस प्रेसिडेंट और टाटा स्टील फाउंडेशन के डायरेक्टर ने सम्मेलन के शुरुआत की घोषणा की।

उद्घाटन समारोह में झारखंड की लगभग 32 जनजातियों ने अपनी विविधता और एकता के साथ-साथ राज्य की सांस्कृतिक विविधता को प्रदर्शित करते हुए ‘झारखंड के रंग’ का प्रदर्शन किया। ये प्रदर्शन ना सिर्फ संवाद में एकत्र हुए आदिवासी समुदायों के संघर्षों, आकांक्षाओं और सपनों की कहानी को जोड़ते हैं बल्कि आदिवासी पहचान, संस्कृति, इतिहास और विरासत का जश्न भी मनाते हैं।

जनजातीय पहचान को प्रदर्शित करने वाले संवाद कार्यक्रम का ये 9वां साल है जो गोपाल मैदान में 15 से 19 नवंबर तक आयोजित किया जा रहा है।

महामारी काल के बाद आयोजित संवाद 2022 करीब 200 जनजातियों के 2000 से ज्यादा लोगों की मेजबानी कर रहा है। जिसमें 23 राज्यों और 4 केंद्र शासित प्रदेशों के 27 विशेष रूप से कमजोर जनजातीय समूह शामिल हैं।

हर साल, संवाद एक विशिष्ट विषय से जुड़ा होता है- एक विषय जो आदिवासी पहचान के आसपास की कई चर्चाओं से उत्पन्न होता है। इस साल का विषय “रीइमेजिन” है – जिसका उद्देश्य इस गतिशील समाज में सामाजिक परिवर्तन को सक्षम करने में आदिवासियों की भूमिका के बारे में बातचीत को बढ़ावा देना और समुदायों की आवाजों को सुनना है।

ये सम्मेलन आदिवासियों के लिए भारत के सबसे बड़े मंच में से एक है। जहां आदिवासी कलाकार, बुनकर और कारीगर, संगीतकार, घरेलू रसोइए, विद्वान, फिल्म और कलाकार आदिवासी संस्कृति का जश्न मनाते दिखेंगे।

दूसरे दिन की मुख्य विशेषताएं @गोपाल मैदान, बिष्टुपुर
==============

जनजातीय कला और हस्तशिल्प (9:30 पूर्वाह्न-12:30 अपराह्न और 6:00 अपराह्न-9:00 अपराह्न)

जनजातीय उपचार पद्धतियां (9:30 पूर्वाह्न-1:00 अपराह्न और 3:00 अपराह्न-9:00 अपराह्न)

जनजातीय भोजन (शाम 6:00-9:00 अपराह्न)

सांस्कृतिक समारोह (शाम 6:00 बजे से रात 9:00 बजे तक)

Comments are closed.

This website uses cookies to improve your experience. We'll assume you're ok with this, but you can opt-out if you wish. Accept Read More