CONFEDERATION OF ALL INDIA TRADERS प्रियोन होल्डिंग्स में कैटरमैन की हिस्सेदारी हासिल करने की अमेज़न की योजना एफडीआई नीति का सीधा एवम घोर उल्लंघन है- कैट

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Desk

हाल की मीडिया रिपोर्टों के अनुसार ये सामने आया है कि अमेज़ॅन सेलर सर्विसेज प्राइवेट लिमिटेड (“अमेज़ॅन”) ने प्रिओन बिजनेस सर्विसेज प्राइवेट लिमिटेड (“प्रियोन”) में कैटामारन वेंचर्स की 100% हिस्सेदारी खरीदने के लिए भारतीय प्रतिस्पर्धा आयोग (सीसीआई) में आवेदन किया है। इस पर कड़ा रुख अख्तियार करते हुए कॉन्फ़ेडरेशन ऑफ आल इंडिया ट्रेडर्स (कैट) ने आज कहा कि अगर अमेज़न को सीसीआई से मंजूरी मिल जाती है, तो यह एफडीआई नीति का घोर उल्लंघन होगा क्योंकि ऐसा होने से अमेज़न का अपने मार्केटप्लेस प्लेटफॉर्म पर विक्रेता पर पूरा नियंत्रण होगा। यह अमेज़ॅन को मार्केटप्लेस प्लेटफॉर्म से इन्वेंट्री आधारित प्लेटफॉर्म में बदल देगा, जो कि एफडीआई नीति के तहत सख्त वर्जित है।

कैट के राष्ट्रीय महामंत्री श्री प्रवीन खंडेलवाल और राष्ट्रीय सचिव सुरेश सोन्थालिया ने विस्तार से बताते हुए कहा कि – प्रियोन अमेज़ॅन एशिया पैसिफिक होल्डिंग्स (“अमेज़ॅन एशिया”), सिंगापुर (24%) और कैटामारन वेंचर्स (76%) की सहायक कंपनी है और ये पूरी तरह से क्लाउडटेल इंडिया प्राइवेट लिमिटेड(“क्लाउडटेल”) के मालिक है, जो अमेज़न इंडिया मार्केटप्लेस पर दो सबसे बड़े विक्रेताओं में से एक है।अमेज़ॅन एशिया,अमेज़ॅन की एक सहयोगी कंपनी है जिसकी मूल कम्पनी अमेज़ॅन इंक है जिसका संचनाल यूएसए से हो रहा है। 2019 से पहले, अमेज़न एशिया की प्रियोन में 49% हिस्सेदारी थी, लेकिन संशोधित एफडीआई नीति का पालन करने के लिए, प्रियोन में अमेज़न एशिया की हिस्सेदारी 49% से घटाकर 24% कर दी गई। वर्ष 2020 की एफडीआई नीति ने “ग्रुप कंपनी” की परिभाषा को संशोधित किया, जिसका अर्थ है कि कोई भी कंपनी जिसके पास 26% से अधिक वोटिंग अधिकार हैं , वह 50% से अधिक निदेशक मंडल की नियुक्ति कर सकती है। इस नीतिगत हस्तक्षेप को रोकने के लिए, अमेज़ॅन एशिया ने अपनी हिस्सेदारी 49% से घटाकर 24% कर दी। इसके अतिरिक्त, एफडीआई नीति बहु ब्रांड खुदरा व्यापार (“एमबीआरटी”) में एफडीआई को 51% तक सीमित करती है और केवल एकल ब्रांड खुदरा व्यापार (एसबीआरटी) और थोक व्यापार में इसकी अनुमति देती है। ई-कॉमर्स में एफडीआई की अनुमति ई-कॉमर्स मार्केटप्लेस संस्थाओं (100%) के लिए है, जबकि यह इन्वेंट्री ई-कॉमर्स संस्थाओं के लिए स्पष्ट रूप से प्रतिबंधित है। इसलिए मूल रूप से अगर अमेज़ॅन प्रियोन में कैटरमैन की हिस्सेदारी खरीदता है, तो इसका मतलब यह होगा कि अमेज़ॅन क्लाउडटेल को नियंत्रित करेगा जो इसके बाज़ार में सबसे बड़ा विक्रेता है, जो कि हर प्रकार से एफडीआई नीति का सीधा स्पष्ट उल्लंघन है

खंडेलवाल और सोन्थालिया ने कहा कि अमेजन का दुस्साहस बेहद आश्चर्यजनक है।प्रवर्तन निदेशालय और भारतीय प्रतिस्पर्धा आयोग जैसी विभिन्न भारतीय एजेंसियों द्वारा कई जांचों का सामना करने के बावजूद, अमेज़ॅन भारतीय अधिकारियों की नाक के नीचे भारत के संप्रभु कानूनों को दरकिनार करने के लगातार विभिन्न तरीके अपना रहा है। उन्होंने आगे कहा कि अमेज़ॅन ने अब खुद को भारत से बड़ा मानना शुरू कर दिया है क्योंकि उन्होंने प्रवर्तन निदेशालय को भी चुनौती दी है और मुकदमा दायर किया है।

दोनों व्यापारी नेताओं ने कहा कि कैट इस मामले में सीसीआई को जल्द ही पत्र लिख कर ये सुनिश्चित करे कि अमेज़न भारत के ईकॉमर्स बाजार को बर्बाद करने और नियंत्रित करने के अपने भयावह मंसूबो में सफल न हो। इससे भारत का विशाल खुदरा बाजार नष्ट हो जायेगा। कैट जल्द ही वाणिज्य और वित्त मंत्रालय को लिख कर इस मामले में संज्ञान लेने को कहा है।

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