Jamshedpur Today News:कुष्ठ रोगी का जल्द पहचान कर इलाज शुरू करने से दिव्यांगता से बचाया जा सकता है और इसका ईलाज सभी सरकारी स्वास्थ्य केंद्रों में नि:शुल्क उपलब्ध हैं- राज कुमार मिश्रा
■ सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र- डुमरिया एवं मुसाबनी में जिला डी0एन0टी टीम के सौजन्य से कुष्ठ रोग के कारण आंख,हाथ तथा पैरों का देख-भाल के साथ दिव्यांग होने से बचाने के लिए एक दिवसीय पी.ओ.डी ट्रेनिंग शिविर का आयोजन किया गया■
*▪️कुष्ठ रोगी का जल्द पहचान कर इलाज शुरू करने से दिव्यांगता से बचाया जा सकता है और इसका ईलाज सभी सरकारी स्वास्थ्य केंद्रों में नि:शुल्क उपलब्ध हैं- राज कुमार मिश्रा, कायचिकित्सक*
जमशेदपुर।
राष्ट्रीय कुष्ठ उन्मूलन कार्यक्रम के तहत सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र- डुमरिया तथा सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र मुसाबनी में एक दिवसीय पी0ओ0डी ट्रेनिंग शिविर का आयोजन किया गया।
राज कुमार मिश्रा ने कहा कि सभी को मिल कर कुष्ठ उन्मूलन के लिए प्रयासरत करना चाहिए। कुष्ठ रोग का सही समय पर ईलाज कराने से दिव्यांगता से बचा जा सकता है। उन्होंने बताया कि कुष्ठ रोगियों से भी समान्य रोगी जैसा व्यवहार करने तथा नियमित रूप से एमडीटी दवा का सेवन करने से यह बिल्कुल ठीक हो सकता है। अचिकित्सा सहायक अजय कुमार ने मौके पर उपस्थित लोगों को कुष्ठ रोग के बारे में जानकारी देते हुए बताया कि कुष्ठ रोग छुने से नहीं फैलता है और न यह पिछले जन्म का पाप से कोई संबंध है। इसका ईलाज सभी सरकारी स्वास्थ केन्द्रों में नि:शुल्क है तथा दवा एवं परामर्श भी नि:शुल्क दिया जाता हैं ।
कायचिकित्सक राज कुमार मिश्रा के द्वारा कुष्ठ रोग से दिव्यांग हुए मरीजों को सेल्फ केयर करवाया गया तथा सेल्फ केयर के महत्व की जानकारी भी दी गई।कुष्ठ रोगियों को गर्म चीजों को हाथों से न पकड़ने तथा ठण्डे मे आग सेकने मे सावधानी बरतने को बोला गया।
राज कुमार जी ने स्पर्श कुष्ठ जागरूकता अभियान के बारे में बताया कि यह अभियान 30 जनवरी 2022 से 13 फरवरी 2022 तक चलाया जाएगा। ट्रेनिंग शिविर में 05 कुष्ठ रोगीयों (Gr-l तथा Gr-ll) को 05 जोड़ी एम0सी0आर चप्पलें तथा 05 सेल्फ केयर किट का वितरण किया गया। इस दौरान 4 नये कुष्ठ रोगियों की पहचान करने के साथ साथ ईलाज भी शुरू किया गया। इस कार्यक्रम को सफल बनाने में प्रखंड लेखा प्रबंधक नरेन्द्र कुमार एवं सीमा जोजो,अचिकित्सा सहायक अजय कुमार, एमपीडब्ल्यू सुकराम महाली,बीटीटी, सहिया-साथी, मनोज तथा संजय चटर्जी का अहम योगदान रहा।
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