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Home » Jamshedpur News:हम वस्तु ही नहीं, व्यक्तित्व का भी निर्माण करें-अर्जुन मुंडा
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Jamshedpur News:हम वस्तु ही नहीं, व्यक्तित्व का भी निर्माण करें-अर्जुन मुंडा

BJNN DeskBy BJNN DeskNovember 21, 2025Updated:November 21, 2025No Comments8 Mins Read
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चतुर्थ बाल मेला 2025 का समापन
-7 दिनों में 10000 से ज्यादा बच्चे आए मेले में
-18 किस्म की खेल प्रतियोगिताएं हुईं आयोजित
-वित्तमंत्री ने उद्घाटन किया, पूर्व सीएम ने समापन
-पांचवां बाल मेला इससे भी शानदार करने का सरयू राय का वादा

जमशेदपुर। झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री अर्जुन मुंडा ने पूर्वी सिंहभूम जिला को बाल मित्र जिला बनाने के संबंध में सरयू राय द्वारा प्रस्तुत घोषणापत्र का स्वागत किया है।
7 दिनों तक चले बाल मेला के समापन समारोह के मुख्य अतिथि के रुप में अर्जुन मुंडा ने कहा कि इस मेले से एक रचनात्मक दिशा तय हो रही है। हमें अपनी सहभागिता सुनिश्चित करनी होगी। आयोजन में जुड़ना अहम है, आना-जाना नहीं। अच्छी बात यह है कि लोग जुड़ रहे हैं। हर किसी के जीवन में बालपन रहा है।
अर्जुन मुंडा ने कहा कि नए बच्चों का बालपन समझ में आता है। इस समय का उपयोग उस शिशु पर ही नहीं बल्कि समाज पर भी निर्भर करता है, परिवेश पर निर्भर करता है कि शिशु कैसा होगा। बालपन से बांकपन में जब लोग जाते हैं तब एहसास होता है कि उन्होंने क्या किया। फिर वह नई ऊंचाईयों को छूने के लिए तत्पर हो जाता है। भारतीय जीवन दर्शन में इसका अहम मूल्य है। हम कई चीजों में बेहद संवेदनशील होते हैं। परिवेश बदल रहा है। हालात बदल रहे हैं। इनके बीच हमें इस बात को ध्यान में रखना होगा कि हम न सिर्फ वस्तु बल्कि व्यक्तित्व का भी निर्माण करें। हमें अपनी परंपरा का दायित्व भी निभाना है। यह हमारे जीवन में परिलक्षित भी होना चाहिए। बाल मेला से सकारात्मक वातावरण का निर्माण हुआ है। इस दौर में, जब आत्मीयता संस्कारविहीन होता चला जा रहा है, यहां सुकून मिला। सामाजिक सरोकारों में सबसे अहम है आत्मीयता। 7 दिन के मेले में आत्मीयता है, यह दिख गया। कोविड की त्रासदी से निकल कर उत्सवपूर्ण बाल मेला मनाने के लिए आयोजकों को बधाई।
जमशेदपुर पश्चिम के विधायक और मेला के संरक्षक सरयू राय ने कहा कि 7 दिनों तक चले इस मेले में कुल 18 प्रकार के इवेंट हुए। हजारों बच्चों ने हिस्सा लिया। 7 दिनों में जमशेदपुर के विभिन्न हिस्सों से 10 हजार से ज्यादा बच्चे आए। 42 स्टॉल लगाए गये। उन्होंने कहा कि बच्चों में हुनर है। उन्हें तराशने का काम किया जाए तो उनका भविष्य उज्ज्वल हो जाएगा। जो बच्चे स्कूल नहीं जा पा रहे हैं, कूड़ा चुनने का काम करते हैं, उन्हें भी इस मेले में शामिल किया गया है। श्री राय ने 14 नवंबर से अब तक बाल मेला में क्या-क्या हुआ, उसके बारे में भी जानकारी दी। उन्होंने जमशेदपुर घोषणा पत्र को पढ़ा और आमजन को समर्पित किया।
कार्यक्रम के बीच में फूल से बनी तस्वीर मनीता महतो ने अर्जुन मुंडा को भेंट की। उनके साथ प्रख्यात चित्रकार दीपांकर कर्मकार भी थे।
अतिथियों का सम्मान
कार्यक्रम की शुरुआत में नीरज सिंह और ममता ठाकुर ने अर्जुन मुंडा का सम्मान किया। इसके बाद हरेराम सिंह ने सरयू राय का, रंजीत ने मनोज कुमार सिंह का, अर्जुन यादव और पूनम ने जयनेंदू का, गोल्डन पांडेय और धर्मेंद्र प्रसाद ने संजीव चौधरी का, विजय सिंह और सुष्मिता सरकार ने आरके सिंह का, अनिकेत सावरकर और संतोष भगत ने अमरप्रीत सिंह काले का, हेमंत पाठक और लालू गौड़ ने सुधांशु ओझा का, शेखर डे का, विश्वजीत और प्रदीप ने नीरज सिंह का, आदित्य मुखर्जी और सन्नी सिंह ने शरतचंद्र नायर का, पिंटू सिंह और अशोक कुमार ने शिवकुमार सिंह का, हेमंत पाठक और पप्पू सिंह ने शुभू सिंह का, सपना टांडी और रवि ठाकुर ने राजीव सिंह का, मलिका प्रमाणिक ने अनिल कुमार शर्मा का, मनोज सिंह ने राम प्रकाश पांडेय का, मार्शल मुर्मू ने अशोक गोयल का, संतोष सिंह चौहान ने शैलेंद्र सिंह का और विनीत कुमार ने शिवशंकर सिंह का शाल, स्मृति चिन्ह देकर सम्मान किया।
निर्णायक मंडल के सदस्यों का सम्मान
इसके बाद विभिन्न खेलों के निर्णायक मंडली के सदस्यों का सम्मान हुआ। इनमें एथलेटिक्स के निर्णायक सुचिंद्र सिंह और उनकी उनकी टीम, खोखो और कबड्डी के निर्णायक सुखदेव सिंह और उनकी टीम, क्विज, गीत-संगीत के निर्णायक नारायण नायडू और उनकी टीम, पेंटिंग और कुश्ती के निर्णायकों सोमनाथ बनर्जी और श्यामा प्रसाद बनर्जी तथा टीम तथा ताइक्वांडो के निर्णायक गोपाल कुमार की टीम का सम्मान किया गया।
बाल वैज्ञानिक प्रतियोगिता के पुरस्कार
कार्यक्रम में बाल वैज्ञानिक के चार ग्रुपों के विजेताओं के नाम घोषित किये गए। चार ग्रुपों में अलग-अलग जिन्हें प्रथम पुरस्कार मिले, उनमें अयंक राज, आयुष कुमार, श्रीराम दुबे और विवेक कुमार शामिल हैं। अंश कुमार और किसलय पॉल दूसरे स्थान पर रहे जबकि अंश कुमार सिन्हा तीसरे स्थान पर रहे। मंच संचालन स्वर्णरेखा क्षेत्र विकास ट्रस्ट के ट्रस्टी आशुतोष राय ने किया। स्वागत भाषण प्रसिद्ध समाजसेवी और उद्योगपति अशोक गोयल ने किया। सुधीर सिंह ने धन्यवाद ज्ञापन किया।
इस मौके पर चितरंजन वर्मा, विनोद सिंह, हरेंद्र पांडेय, राजीव सिंह, संजीव सिन्हा, प्रवीण सिंह, कुलविंदर सिंह पन्नू, सुबोध श्रीवास्तव समेत दर्जनों लोग मौजूद रहे।

 

चतुर्थ बाल मेला 2025 का जमशेदपुर घोषणा पत्र.
दिनांक 20 नवम्बर 2025, विश्व बाल दिवस

झारखंड राज्य, ख़ासकर पूर्वी सिंहभूम जिला में अनेक ऐसे परिवार हैं जिनमें बच्चे अत्यंत विकट एवं जोखिमपूर्ण परिस्थितियों में जीवन-यापन कर रहे हैं. विभिन्न प्रखंडों में बड़ी संख्या में बच्चे—

• शिक्षा से वंचित है,
॰ स्कूल ड्राप आउट के शिकार हैं
• बाल श्रम में संलग्न हैं,
• उपेक्षा हिंसा व असुरक्षा की स्थिति में हैं, हिंसा के मामले में अपराध की जिम्मेदारी सरकार ले
• नशा में लिप्त हैं,
• बाल विवाह के जोखिम में पाए गए हैं झारखंड का
॰ एकल परिवारों के बच्चे कई प्रकार की समस्याओं से जूझ रहे हैं. मोबाइल की लत एवं सोशल मीडिया का लिए खतरा बनता जा रहा है।

उपर्युक्त चुनौतियों को ध्यान में रखते हुए ग्राम, पंचायत एवं प्रखंड स्तर बच्चों के लिए निम्नांकित कार्य प्रारंभ किए जाने आवश्यक हैं —
• बच्चों को शिक्षा की मुख्यधारा से जोड़ना
• किशोर-किशोरियों के लिए कौशल विकास गतिविधियाँ
• परिवारों को सरकार की सामाजिक सुरक्षा योजनाओं से जोड़ना
• सभी स्तरों—ग्राम, पंचायत, प्रखंड, विद्यालय, आंगनबाड़ी—के हितधारकों का क्षमता विकास
• बाल संरक्षण के लिए स्थायी और प्रभावी तंत्र स्थापित करना
इसके साथ ही, जिला प्रशासन तथा अन्य गैर-सरकारी संगठनों के सहयोग से शेष प्रखंडों में भी ऐसे बच्चों की पहचान कर उन्हें सुरक्षा प्रदान करने तथा उन्हें योजनाओं से जोड़ने हेतु निरंतर समन्वय स्थापित किया जाने की ज़रूरत है. उद्देश्य है कि आने वाले समय में पूर्वी सिंहभूम जिला को पूर्ण रूप से “बाल मित्र जिला” के रूप में विकसित किया जा सके।

जिले को बाल मित्र जिला घोषित करने हेतु निम्न मानकों का पालन आवश्यक है:-
1. जिले का कोई भी बच्चा बाल श्रम में संलग्न न हो।
2. 14 वर्ष से कम आयु का कोई भी बच्चा विद्यालय से बाहर न हो।
3. किसी लड़की का विवाह 18 वर्ष से पहले तथा लड़के का विवाह 21 वर्ष से पहले न हो।
4. किसी भी परिस्थिति में कोई बच्चा उपेक्षा का शिकार न हो।
5. किसी भी बच्चे का मानसिक, सामाजिक या नैतिक शोषण न हो।
6. जिला में कोई भी बच्चा बेघर न रहे एवं सभी बच्चों को सुरक्षित वातावरण मिले।
7. इन सभी मानकों को पूरा करते हुए पूर्वी सिंहभूम जिले को “बाल मित्र जिला” घोषित किया जाए.

हम संकल्प लेते हैं कि है कि झारखण्ड को बाल शोषण मुक्त राज्य बनाना है, अतः
1. पूर्वी सिंहभूम जिले में चल रहे बाल संरक्षण प्रयासों को आधिकारिक रूप से “बाल मित्र जिला अभियान” का रूप दिया जाए।
2. चिन्हित प्रखंडों के साथ शेष सभी प्रखंडों में भी समन्वित मैपिंग, सुरक्षा एवं पुनर्वास की व्यवस्था सुदृढ़ की जाए।
3. जिला स्तर पर सभी विभागों के संयुक्त संचालन हेतु बाल मित्र जिला टास्क फोर्स का गठन किया जाए।
4. विद्यालय, आंगनबाड़ी, पंचायत, पुलिस, स्वास्थ्य एवं श्रम विभाग के साथ नियमित समीक्षा सुनिश्चित की जाए।
5. जिला प्रशासन के सहयोग से पूर्वी सिंहभूम जिला आने वाले समय में बच्चों के लिए पूर्णत: सुरक्षित, सहायक एवं विकासोन्मुख वातावरण बनाकर झारखण्ड का पहला मॉडल “बाल मित्र जिला” बनाया जा सकेगा।

पूर्वी सिंहभूम” बच्चों के सुरक्षित व उज्ज्वल भविष्य की दिशा में एक कदम साबित हो सकता है, यदि इस जिला में—
बच्चों को शिक्षा से जोड़ने, किशोर-किशोरियों के कौशल विकास कार्यक्रम चलाने, परिवारों का योजनाओं के लाभ से जोड़ने, ग्राम–पंचायत–प्रखंड स्तर पर क्षमता निर्माण करने तथा बच्चों की सुरक्षा हेतु मजबूत तंत्र क़ायम करने का कार्य तेजी से चलाया जाए.

हमारी अपील है कि झारखंड, ख़ासकर पूर्वी सिंहभूम जिला को पूर्ण रूप से बाल मित्र जिला बनाया जाय और इस हेतु निम्नांकित प्रमुख मानक स्थापित किए जायें ः-
✔ जिले का कोई भी बच्चा बाल श्रम न करे
✔ 14 वर्ष से कम आयु का कोई भी बच्चा स्कूल से बाहर न रहे
✔ किसी लड़की का विवाह 18 वर्ष से पहले नहीं
✔ किसी लड़के का विवाह 21 वर्ष से पहले नहीं
✔ किसी भी बच्चे का मानसिक, सामाजिक या नैतिक शोषण न हो
✔ जिला का कोई भी बच्चा बेघर या उपेक्षित न हो

आइए मिलकर प्रयास करें कि पूर्वी सिंहभूम को बाल शोषण-मुक्त बनाकर झारखण्ड का मॉडल “बाल मित्र जिला” बनाया जाए और इसी प्रकार का अभियान पूरे झारखंड में चलाया जाए.

जमशेदपुर बाल मेला आयोजन समिति
( स्वर्णरेखा क्षेत्र विकास ट्रस्ट , नेचर फाउंडेशन )

 

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