JAMSHEDPUR NEWS :झामुमो मंत्री हफीजुल अंसारी के बयान पर भाजपा जमशेदपुर महानगर के हजारों कार्यकर्ताओं ने निकाला आक्रोश मार्च

झामुमो मंत्री हफीजुल अंसारी के बयान पर भाजपा जमशेदपुर महानगर के हजारों कार्यकर्ताओं ने निकाला आक्रोश मार्च, राज्यपाल से मंत्री को बर्खास्त करने की मांग की, भाजपा ने कहा- झामुमो-कांग्रेस और राजद सरकार की तिकड़ी कर रही है बाबा साहेब के संविधान का अपमान

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जमशेदपुर।

जमशेदपुर। झारखंड सरकार के अल्पसंख्यक कल्याण मंत्री और झामुमो नेता हफीजुल हसन अंसारी के ‘शरीयत संविधान से ऊपर है” वाले बयान ने झारखंड की राजनीति में उबाल ला दिया है। भारतीय जनता पार्टी ने इस बयान को संविधान का घोर अपमान बताते हुए कड़ा विरोध किया है। इसी क्रम में, सोमवार को भाजपा जमशेदपुर महानगर के तत्वावधान में विराट आक्रोश मार्च निकाला गया, जिसमें हजारों की संख्या में कार्यकर्ताओं, वरिष्ठ नेताओं और महिलाओं ने भाग लिया। जमशेदपुर महानगर अध्यक्ष सुधांशु ओझा के नेतृत्व में निकाली गई आक्रोश मार्च में सांसद विद्युत वरण महतो, विधायक पूर्णिमा साहू, पूर्व प्रदेश अध्यक्ष डॉ. दिनेशानंद गोस्वामी, प्रदेश प्रवक्ता अमरप्रीत सिंह काले सहित कई वरिष्ठ नेतागण मुख्यरूप से शामिल हुए। आक्रोश मार्च साकची स्थित जिला भाजपा कार्यालय से रवाना होकर जुबिली पार्क गोलचक्कर होते हुए उपायुक्त कार्यालय तक पहुंचा। इस दौरान कार्यकर्ताओं ने हाथों में पार्टी ध्वज, संविधान के सम्मान में और मंत्री हफीजुल हसन के विरोध में लिखी तख्तियां को लेकर प्रदर्शन किया। आक्रोश मार्च में शामिल कार्यकर्ताओं ने ‘संविधान का अपमान नहीं सहेगा हिंदुस्तान’ और ‘हफीजुल हटाओ-संविधान बचाओ’ जैसे नारे लगाकर आक्रोश व्यक्त किया।आक्रोश मार्च समाहरणालय पहुंचकर सभा में तब्दील हो गया, जहां वक्ताओं ने मंत्री के बयान को संविधान की अवहेलना ही नही बल्कि लोकतंत्र और देश की मूल आत्मा पर सीधा हमला बताया। सभा के उपरांत भाजपा प्रतिनिधिमंडल ने एडीसी के माध्यम से झारखंड के महामहिम राज्यपाल के नाम ज्ञापन सौंपा, जिसमें मंत्री हफीजुल हसन अंसारी को मंत्रिमंडल से तत्काल बर्खास्त करने की मांग की गई।

इस अवसर पर सांसद विद्युत वरण महतो ने कहा कि राज्य के मंत्रीगण संविधान की शपथ लेकर सत्ता में आते हैं, लेकिन उनकी भाषा और विचारधारा में संविधान के प्रति निष्ठा के स्थान पर धार्मिक कट्टरता और विभाजनकारी मानसिकता की भावना हावी रहती है। हफीजुल हसन द्वारा शरीयत को संविधान से ऊपर बताना न केवल शपथ का उल्लंघन है, बल्कि यह डॉ बाबा साहेब के बनाए संविधान और उनकी विचारधारा का अपमान है। सांसद विद्युत महतो ने कहा कि राज्य सरकार के झामुमो मंत्री की टिप्पणियों से स्पष्ट हो गया है कि झारखंड में सत्ता स्वयं संवैधानिक संकट को पोषित कर रही है। जब कोई मंत्री कुरान को दिल में और संविधान को हाथ में रखने की बात करता है और फिर उसे दोयम दर्जे पर रखता है, तो यह लोकतंत्र के मूलभूत सिद्धांतों पर सीधा हमला करने जैसा है। विद्युत महतो ने कहा कि इस तरह की मानसिकता राज्य में उन्मादी तत्वों को प्रोत्साहित कर रही है। जिसका दुष्परिणाम है कि दशहरा, रामनवमी, सरस्वती पूजा, शिवरात्रि जैसे सनातनी पर्वों पर राज्य भर में समुदाय विशेष के उपद्रवियों द्वारा हिंसा, पत्थरबाजी, आगजनी और दंगे होते हैं। महामहिम राज्यपाल से मांग करते हुए श्री महतो ने कहा कि ऐसे संविधान विरोधी बयान देने वाले मंत्री हफीजुल हसन को मंत्रिमंडल से तत्काल बर्खास्त किया जाना चाहिए।

वहीं, पूर्व प्रदेश अध्यक्ष डॉ दिनेशानंद गोस्वामी ने कहा कि झामुमो, कांग्रेस और राजद का इतिहास गवाह है कि इन्हें भारतीय संविधान की न तो समझ है और न ही उसमें कोई श्रद्धा। इनकी राजनीति तुष्टीकरण, वोटबैंक और राष्ट्रविरोधी मानसिकता के इर्द-गिर्द ही घूमती रही है। इसका ताजा उदाहरण राज्य के मंत्री हफीजुल हसन का वह घिनौना बयान है, जिसमें उन्होंने शरीयत को भारतीय संविधान से ऊपर बताया। यह केवल असंवैधानिक नहीं, बल्कि सीधे-सीधे संविधान निर्माता डॉ. भीमराव आंबेडकर की आत्मा का अपमान है। जो व्यक्ति संविधान की शपथ लेकर मंत्री बना हो, जब वह सार्वजनिक रूप से संविधान को दोयम दर्जे पर रखने की बात करे, तो यह केवल शपथ का उल्लंघन नहीं, बल्कि लोकतंत्र और राष्ट्र की संप्रभुता पर हमला है। ऐसे मंत्री को एक क्षण भी पद पर बने रहने देना संविधान का मजाक उड़ाने जैसा है। इनका असली चेहरा तब सामने आता है जब ये बांग्लादेशी घुसपैठ जैसे गंभीर मुद्दों पर चुप रहते हैं, जब मुर्शिदाबाद में हिंदुओं पर अत्याचार होते हैं तो इन्हें कुछ दिखाई नहीं देता, और जब संविधान पर हमला होता है, तब इनकी जुबान पर ताले लग जाते हैं।

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वहीं, विधायक पूर्णिमा साहू ने हफीजुल हसन के बयान को असंवैधानिक और राष्ट्र विरोधी करार देते हुए पूछा कि आपने मंत्री पद की शपथ लेते समय शरीयत की शपथ ली थी या भारतीय संविधान की? यदि संविधान की शपथ ली थी, तो फिर ऐसी भाषा क्यों? क्या संविधान आपके लिए एक सिर्फ एक कागज मात्र है? या फिर जानबूझकर आप अपने पद का उपयोग संविधान विरोधी एजेंडे को फैलाने के लिए कर रहे हैं। कहा कि मंत्री हफीजुल हसन कहते हैं कि मुसलमान सब्र में है, कब्र में नहीं, उनका यह बयान न सिर्फ लोकतंत्र की हत्या है, बल्कि राज्य की शांति, सौहार्द और सामाजिक ताने-बाने को खंडित करने की खतरनाक साजिश है। विधायक पूर्णिमा साहू ने कहा कि मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन अगर वास्तव में बाबा साहेब डॉ. आंबेडकर के संविधान का सम्मान करते हैं, तो ऐसे मंत्री को अविलंब बर्खास्त करें। अन्यथा राज्य की जनता यही समझेगी कि वे भी हफीजुल हसन के सोच के पोषक और संरक्षक हैं।

भाजपा प्रदेश प्रवक्ता अमरप्रीत सिंह काले ने कहा कि संविधान से ऊपर शरीयत बताकर मंत्री हफीजुल हसन ने संविधान की मर्यादा को रौंदने के साथ बाबा साहेब डॉ. भीमराव अंबेडकर के समर्पण और बलिदान का भी घोर अपमान किया है। जिस संविधान ने हर नागरिक को समान अधिकार दिया, धार्मिक स्वतंत्रता दी, न्याय और गरिमा दी, उसी संविधान को झारखंड सरकार के मंत्री दोयम दर्जा दे रहे हैं। यह सीधे-सीधे भारत के लोकतांत्रिक ढांचे पर हमला है। हफीजुल हसन का बयान उन तमाम विचारों पर प्रहार है, जिनके लिए बाबा साहेब अंबेडकर ने जीवन भर संघर्ष किया। कहा कि झामुमो-कांग्रेस सरकार संवैधानिक दायित्वों की नहीं, बल्कि वोट बैंक के दबाव में काम कर रही है। जो नेता संविधान को हाथों में लहराते हुए संविधान बचाओ का ढोंग करते हैं वैसे नेताओं की चुप्पी संविधान के प्रति उनके नकली सम्मान को दर्शा रही है।

वहीं, भाजपा जमशेदपुर महानगर अध्यक्ष सुधांशु ओझा ने कहा कि झामुमो-कांग्रेस-राजद की तिकड़ी संविधान विरोधी मानसिकता की पोषक है। हफीजुल हसन का बयान न केवल असंवैधानिक है, बल्कि यह बाबा साहेब डॉ. भीमराव आंबेडकर के संविधान का सीधा अपमान है। शरीयत को संविधान से ऊपर बताना उस पवित्र संविधान पर सीधा हमला है, जिसने भारत को एकजुट रखा है। ऐसे मंत्री को कैबिनेट में बने रहने का नैतिक अधिकार नहीं है। झामुमो- कांग्रेस सरकार जानबूझकर उन्मादी मानसिकता को संरक्षण दे रही है। हम न तो संविधान के अपमान को सहन करेंगे, और न ही बाबा साहेब के सपनों की तिलांजलि को चुपचाप देखने देंगे। जो नेता इस देश को शरीयत के आधार पर चलाना चाहते हैं, उन्हें या तो मंत्री पद छोड़ना होगा या संविधान का सम्मान करना सीखना होगा।

आक्रोश मार्च में जमशेदपुर महानगर अध्यक्ष सुधांशु ओझा, पूर्व जिलाध्यक्ष देवेंद्र सिंह, ब्रह्मदेव नारायण शर्मा, रामबाबू तिवारी, चंद्रशेखर मिश्रा, दिनेश कुमार, गुंजन यादव, नीरज सिंह, डॉ राजीव, कुसुम पूर्ति, मिथिलेश सिंह यादव, मनोज कुमार सिंह, राजन सिंह, जटाशंकर पांडेय, रीता मिश्रा, संजीव सिन्हा, बबुआ सिंह, राजीव सिंह, रेणु शर्मा, अनिल मोदी, संजीव सिंह, संजीव कुमार, जितेंद्र राय, पप्पू सिंह, विजय तिवारी, मिली दास, कृष्णा शर्मा काली, सुबोध झा, प्रेम झा, ज्ञान प्रकाश, संजीत चौरसिया, उज्ज्वल सिंह, कौस्तव रॉय, किशोर ओझा, नीतीश कुशवाहा, सागर राय, नीलू मछुआ, मंजीत सिंह, मुचिराम बाउरी, रमेश बास्के, परेश मुखी, धर्मेंद्र प्रसाद, अमित अग्रवाल, प्रदीप मुखर्जी, शैलेश गुप्ता, चिंटू सिंह, सोनू ठाकुर, पप्पू उपाध्याय, युवराज सिंह, जीवन लाल, बबलू गोप, विकास शर्मा, सूरज सिंह, बिनोद राय, संजय तिवारी, अजीत सिंह, प्रशांत पोद्दार, बजरंगी पांडेय, रविन्द्र सिसोदिया, अश्विनी तिवारी, आनंद कुमार, अमित मिश्रा, रबिन्द्रनाथ सरदार, हलधर दास, सुदीप कुमार डे, हेमेंद्र जैन ‘हन्नु’, त्रिदेव चट्टराज, दीपक पाल, पवन सिंह, सूरज साह, शांतनु मुखर्जी, बासुदेव मंडल, प्रधान महतो, श्वेता कुशवाहा, अप्पा राव, प्रोबिर चटर्जी राणा, धीरज पासवान, सतवीर सिंह सोमू, अमिताभ सेनापति, शशांक शेखर, सुशील पांडेय, रीना चौधरी, मीरा शर्मा, दुर्गावती सिंह, नमिता उपाध्याय, नंदिता, ममता भूमिज, रेनू झा, मधुमाला, स्नेहलता सिन्हा, लक्ष्मी सिंह, वंदना ठाकुर, गौरी कुमारी, अशोक सामंत, शिंदे सिंह, कुमार अभिषेक, रॉकी सिंह, बिनानंद सिरका, दिलीप पासवान, काजू शांडिल, रामप्रसाद जायसवाल, सुमित शर्मा, अभिषेक डे, गणेश मुंडा, संदीप पांडेय, दीपक सिंह, दीपक मुखर्जी समेत अन्य मौजूद रहे।

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