
जमशेदपुर।
25 जून 1975 को जब देश में आपातकाल की घोषणा हुई, तो जमशेदपुर भी इस ऐतिहासिक और संवेदनशील समय का जीवंत साक्षी बना। इस दौरान शहर में न केवल नेताओं की गिरफ्तारियां हुईं, बल्कि छात्र आंदोलन में जान गंवाने वाले युवाओं की शहादत भी दर्ज की गई।


प्राप्त जानकारी के अनुसार, आपातकाल के दौरान प्रख्यात समाजवादी नेता रामपारस सिन्हा, प्रोफेसर एपी झा, विजय कुमार सिंह, अयूब खान और सीएन कुंवर जैसे कई प्रमुख नेताओं को मीसा और डीआईआर जैसे कड़े कानूनों के तहत गिरफ्तार कर जेल भेजा गया। ये सभी नेता 1974 के छात्र आंदोलन में सक्रिय भूमिका निभा रहे थे।
आपातकाल से पहले हुए छात्र आंदोलन में बसंत टॉकीज के पास पुलिस गोलीबारी में तीन छात्रों की मौत हो गई थी। यह स्थान आज ‘शहीद चौक’ के नाम से जाना जाता है। उस समय जमशेदपुर में छात्र युवा संघर्ष समिति के बैनर तले बड़ा आंदोलन चलाया गया था, जिसमें बड़ी संख्या में छात्रों और आम नागरिकों ने भाग लिया था।
लोहियावादी समाजविज्ञानी रवींद्रनाथ चौबे ने याद करते हुए बताया कि भले ही उन्हें गिरफ्तार नहीं किया गया, लेकिन वे भूमिगत होकर आंदोलन में सक्रिय रहे। उन्होंने पंप्लेट बनाकर लोगों तक पहुंचाने, आंदोलनकारियों की सहायता करने जैसे काम लगातार किए। इसी दौरान आदित्यपुर में पंप्लेट पहुंचाते हुए सीएन कुंवर को गिरफ्तार कर लिया गया।
चौबे ने यह भी बताया कि उस समय सीआईबी (खुफिया एजेंसी) की गतिविधियां तेज थीं और हर छोटी-बड़ी गतिविधि पर नजर रखी जाती थी। इसीलिए भूमिगत रहते हुए आंदोलन चलाना बेहद जोखिम भरा था।
1974 में हुए छात्र आंदोलन की पृष्ठभूमि में ही 18 जुलाई को पुलिस फायरिंग हुई थी, जिसमें कई छात्र शहीद हुए। इसके प्रतिवाद में 20 मार्च को बारी मैदान में विशाल प्रतिवाद दिवस आयोजित हुआ, जो अत्यंत सफल रहा।
इतना ही नहीं, जेपी आंदोलन के तहत जयप्रकाश नारायण ने भी रीगल मैदान में ऐतिहासिक जनसभा को संबोधित किया था, जिसमें उमड़ी भीड़ का रिकॉर्ड आज तक कायम है। यह सभा छात्र आंदोलन की ऊर्जा और जनता के आक्रोश का प्रतीक बन गई थी।
इस प्रकार, जमशेदपुर न केवल छात्र आंदोलन बल्कि आपातकाल की त्रासदी का भी गवाह रहा, जिसमें हजारों लोगों की भागीदारी और संघर्ष दर्ज है।