केन्द्र में जब पहली बार नरेंंद्र मोदी की सरकार बनी तब उन्होंने ट्रिपल तलाक के खिलाफ कानून लाया.तब बडी संख्या में मुस्लिम महिलाओं ने स्वागत किया.झारखंड के जमशेदपुर से पहली आवाज निशात खातून की थी जिसने अपने पति के ट्रिपल तलाक की धमकियों के खिलाफ सरकार, प्रशासन और मीडिया का ध्यान खींचा…तब मैं ईटीवी बिहार-झारखंड/न्यूज 18में बतौर कोल्हान/जमशेदपुर ब्यूरो हेड कार्यरत थी.खबर मिली कि ट्रिपल तलाक का कोई मुद्दा है और भागकर बिष्टुपुर जाना होगा और मैं अपनी टीम के साथ निशात खातून के घर पहुंची.मेरे न्यूज डेस्क को लगा था कि कोई नकाब पहने मुस्लिम महिला होगी लेकिन यहां परिदृश्य कुछ और ही था.निशात खातून फर्राटेदार अंग्रेजी बोलनेवाली एक पढी लिखी महिला थी जो नकाब नहीं पहनती थी…निशात का मामला पूरे देश ने टीवी पर देखा.. ..लगभग सभी मीडिया हाउसेस ने निशात की स्टोरी लिखी.
निशात की निजी जिंदगी के पुराने जख्मों को हरा करना मकसद नहीं है और उसकी निजता का ख्याल रखना अपना फर्ज समझते हुए कई बातों का जिक्र करना जरुरी नहीं समझती…उपरोक्त बातों का जिक्र यह समझाने के लिए था कि निशात खातून कितनी बहादुर महिला है.
निशात सिंगल मदर है. एक बच्ची की मां निशात अपने पास्ट से काफी आगे पढ चुकी है.मुआवजे और न्याय की लडाई में अथाह संघर्ष कर अब पति से अलग होकर अपना मुकाम बना चुकी है.उसने मुस्लिम समाज और पूरे भारतीय समाज में ऐसा उदाहरण पेश किया है जो हालातों से जूझ रही हर महिला के लिए प्रेरणादायी है.सामाजिक कार्यों में बढ चढ कर हिस्सा लेनेवाली और आकृति जैसे ब्रांड के साथ बतौर इंटीरियर डिजाइनर कार्य कर चुकी निशात को महिला विकास मंच की संस्थापक पटना की वीणा मानवी ने संस्था से जुड़ने का ऑफर दिया जिसे निशात ने सहर्ष स्वीकार किया.
निशात खातून महिला विकास मंच की कोल्हान अध्यक्ष है.यह संस्था पीडित महिला और पुरुष दोनों के लिए मदद मुहैया कराती है.परेशानी सुनने के बाद निशात अपनी टीम के साथ मिलकर पीडित की मदद में जुट जाती है.यह मदद कानूनी भी होती है.निशात की टीम से अधिवक्ता भी जुड़े हुए हैं.
संस्था की तरफ से वह महिलाओं को आत्मरक्षा के लिए सेल्फ डिफेंस प्रशिक्षण शिविर का आयोजन करती है.सर्दियों में गर्म कपडे एकत्रित कर उसे गरीबों में वितरित करवाती है.
निशात ने प्राइमरी टीचर्स ट्रेनिंग करके 6 सालों तक विभिन्न स्कूलों में बतौर शिक्षिका का भी काम किया है.अब उसने जमशेदपुर से सटे कपाली वार्ड नं 19में अपनी संस्था का एक कार्यालय खोला है जहां से वह अब और भी सुगमता से सामाजिक कार्यों का संचालन कर सकेगी.दो दिन पहले ही कार्यालय का उद्घाटन हुआ है.निशात का उत्साह देखने लायक है.एनजीओ के कार्यालय खोलने के साथ ही उसने प्रज्ञा केंद्र खोलने का अधिकार भी हासिल कर लिया है.उसके लिए परीक्षा पास कर लिया है.घर के ही एक हिस्से में एन जी ओ का कार्यालय और प्रज्ञा केंद्र खुला है जिससे निशात अब और सशक्त महसूस कर रही है.समाज में ज्यादातर लडकियों को किसी भी हालत में अत्याचार सहते हुए भी खराब शादी को सहने के लिए बाध्य किया जाता है, ज्यादातर मायकेवाले सपोर्ट नहीं करते लेकिन निशात के माता पिता और पूरे परिवार ने उसका हर कदम पर साथ दिया.निशात अपने माता पिता के साथ रहती है.निशात और उसका पूरा परिवार एक मिसाल है.
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