
जमशेदपुर,– टाटा स्टील के प्रबंध निदेशक और सीईओ टीवी नरेंद्रन ने मंगलवार को कहा कि भारत को यदि एक सफल अर्थव्यवस्था और वैश्विक निर्माता बनना है तो देश में मजबूत और प्रतिस्पर्धी एमएसएमई (सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यम) क्षेत्र का निर्माण आवश्यक है।


सिंहभूम चैंबर ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री (एससीसीआई) के प्लेटिनम जुबली समारोह के अंतर्गत आयोजित कार्यक्रम “पूर्वी भारत – अवसरों का बहुरूपदर्शक” में मुख्य वक्ता के तौर पर नरेंद्रन ने कहा कि एमएसएमई क्षेत्र देश के जीडीपी में 40 से 50 प्रतिशत तक योगदान देता है और यह भारत का सबसे प्रासंगिक सेक्टर है।
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उन्होंने कहा कि यदि भारत को वैश्विक खिलाड़ियों के साथ प्रतिस्पर्धा करनी है तो एमएसएमई को गुणवत्ता, वितरण और ग्राहक अनुभव के क्षेत्र में विश्व स्तर पर तैयार होना होगा। उन्होंने जर्मनी, इटली और कोरिया की विश्व स्तरीय लघु विनिर्माण इकाइयों का उदाहरण दिया।
टाटा समूह, फिक्की, सीआईआई जैसे संगठनों की भूमिका पर बात करते हुए नरेंद्रन ने कहा कि ये संस्थान घरेलू और वैश्विक स्तर के बीच की दूरी को पाटने में पुल का काम कर सकते हैं।
उन्होंने कहा कि भारत में पहले भी कई उद्योग सफल हुए हैं, जैसे कि झारखंड के आदित्यपुर औद्योगिक क्षेत्र की ऑटो कंपोनेंट कंपनियां, जो अब निर्यात कर रही हैं। इसके साथ ही उन्होंने ऑटोमोबाइल, इलेक्ट्रॉनिक्स, आईटी और रक्षा क्षेत्रों में भी निर्यात की अपार संभावनाएं जताईं।
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नरेंद्रन ने मौजूदा वैश्विक परिस्थितियों जैसे कि अमेरिका-चीन व्यापार विवाद और इजरायल-ईरान संघर्ष का उल्लेख करते हुए कहा कि इससे भारत के लिए नई आर्थिक संभावनाएं पैदा हो रही हैं।
उन्होंने रीसाइक्लिंग और डिजिटल उद्योग को भविष्य का क्षेत्र बताते हुए कहा कि डिजिटल क्रांति ने बड़े और छोटे उद्योगों के बीच की खाई को कम कर दिया है। टाटा स्टील की “इंडस्ट्रियल बाय-प्रोडक्ट मैनेजमेंट डिवीजन” का उदाहरण देते हुए उन्होंने बताया कि इसका सालाना टर्नओवर 10,000 करोड़ रुपये है और यह भविष्य में खनन से भी बड़ा क्षेत्र बन सकता है।
आखिर में नरेंद्रन ने कहा कि भारत फिलहाल 4 ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था है और अगले तीन दशकों में यह 25 ट्रिलियन डॉलर तक पहुंच सकता है, बशर्ते हम उभरते क्षेत्रों का दोहन करें और एमएसएमई को सशक्त बनाएं।