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जमशेदपुर.
जमशेदपुर क्वियर सर्कल ने टाटा स्टील यूटिलिटीज एंड इंफ्रास्ट्रक्चर सर्विस लिमिटेड (TSUISL) के सहयोग से “सड्डा हक: एक सामुदायिक संवाद” का आयोजन किया। यह प्रेरणादायक और समावेशी कार्यक्रम साकची के सुपर सेंटर बैंक्वेट हॉल में शाम 4 बजे शुरू हुआ। यह आयोजन ट्रांसजेंडर समुदाय की प्रतिभा, संघर्षशीलता और LGBTQIA+ समुदाय एवं सहयोगियों के बीच एकजुटता की भावना का उत्सव था।
समानता के इस उत्सव ने ट्रांसजेंडर व्यक्तियों के रचनात्मक योगदान को संगीत, कविता, कहानी कहने और कला के माध्यम से उजागर किया। यह भारतीय संविधान के मूल मूल्यों—स्वतंत्रता, समानता और बंधुत्व—का प्रतिबिंब था और ट्रांसजेंडर समुदाय के सामने आने वाली स्वास्थ्य, शिक्षा, आजीविका और सामाजिक अधिकारों से जुड़ी चुनौतियों पर चर्चा के लिए एक बेहतर मंच बना।
अविस्मरणीय प्रदर्शन और प्रेरक कहानियां
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ओपन माइक सत्रों में ट्रांसजेंडर व्यक्तियों की अद्भुत प्रतिभा देखने को मिली, जिसने दर्शकों को मंत्रमुग्ध कर दिया। इन सत्रों में भावनात्मक कविताएं, मार्मिक गीत और अनुभवपूर्ण कहानियां प्रस्तुत की गईं, जो समुदाय के संघर्षों और आकांक्षाओं को प्रतिबिंबित करती थीं।
कार्यक्रम में संवाद मंडलियां भी आयोजित की गईं, जहां ट्रांसजेंडर नेता, सहयोगी और हितधारक मिलकर प्रमुख मुद्दों पर चर्चा करने और एक समावेशी समाज की दिशा में कदम बढ़ाने के रास्ते तलाशने के लिए एकत्रित हुए। इन इंटरएक्टिव चर्चाओं ने ट्रांसजेंडर व्यक्तियों के लिए अधिक दृश्यता, स्वीकृति और अवसरों की आवश्यकता को उजागर किया।
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परिवर्तन का एक मंच
प्रमुख ट्रांसजेंडर कार्यकर्ता पायल किन्नर ने कहा,
” ‘सड्डा हक’ हमारे संघर्षों और कहानियों की ताकत और इस तथ्य का प्रतीक है कि हम भी इस राष्ट्र के बराबर हिस्सेदार हैं।”
जमशेदपुर क्वियर सर्कल के संस्थापक Souvik Saha ने कहा,
” ‘सड्डा हक’ ने ट्रांसजेंडर आवाज़ों को सशक्त किया और हमें सच्ची समानता और गरिमा की ओर एक कदम और आगे बढ़ाया।”
सामुदायिक और कॉर्पोरेट एकजुटता
इस कार्यक्रम में गैर-सरकारी संगठनों, शिक्षकों, सामुदायिक संगठनों, युवा नेताओं और कॉर्पोरेट हितधारकों, जैसे टाटा स्टील यूटिलिटीज एंड इंफ्रास्ट्रक्चर सर्विस लिमिटेड (TSUISL) ने भाग लिया। LGBTQIA+ समुदाय के सहयोगियों ने भी अपनी उपस्थिति दर्ज कराई, जिससे समावेशिता और एकता का संदेश मजबूत हुआ।
क्वियर युवा अधिवक्ता , शिवम ने साझा किया,
“यह सिर्फ एक कार्यक्रम नहीं था; यह एक आंदोलन था। हमने अपनी पहचान का जश्न मनाया, अपनी सच्चाई साझा की और याद दिलाया कि समावेशिता हमारे राष्ट्र को और मजबूत बनाती है।”
एक समावेशी भविष्य की ओर एक कदम
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यह शाम ट्रांसजेंडर समुदाय और उनके सहयोगियों की ताकत और विविधता का प्रमाण थी। कलात्मक प्रदर्शनों, दिल को छू लेने वाले कार्यक्रमों और विचारोत्तेजक चर्चाओं के साथ, “सड्डा हक: एक सामुदायिक संवाद” ने सशक्तिकरण और परिवर्तन के लिए एक मंच तैयार किया, जो समानता और न्याय की दिशा में समुदाय को एकजुट करता है।
कार्यक्रम में सामाजिक कार्यकर्ता प्रभा जायसवाल, संयुक्ता,पत्रकार अन्नी अमृता, निजाम, इप्टा से अर्पिता व अन्य खास तौर पर उपस्थित हुए.
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