जमशेदपुर।
पूर्व मुख्यमंत्री रघुवर दास ने बुधवार को जमशेदपुर में पत्रकारों से बातचीत करते हुए आपातकाल के दौरान के अपने अनुभवों को साझा किया। बातचीत के दौरान वे बेहद भावुक हो गए और अपनी बहन के त्याग और सहयोग को याद करते हुए आंखें भर आईं।
उन्होंने बताया कि वर्ष 1975 से 1977 तक देश में लगे आपातकाल के दौरान जब वे राजनीतिक रूप से सक्रिय थे, तब पुलिस उन्हें तलाश रही थी। गिरफ्तारी से बचने के लिए वे जमशेदपुर के टुईलाडुगरी इलाके में स्थित अपनी बड़ी बहन प्रभावती देवी के घर में छिपे थे।
रघुवर दास ने कहा, “आपातकाल एक ऐसा दौर था जब लोकतंत्र का गला घोंटा गया। उस समय जनता पार्टी से जुड़े कई कार्यकर्ताओं को जेल में डाल दिया गया और उन पर मानसिक एवं शारीरिक अत्याचार किए गए।” उन्होंने यह भी बताया कि वे खुद भी उस समय जेल गए थे और उनके राजनीतिक जीवन की शुरुआत भी उसी दौर से हुई थी।
अपने संघर्षों को याद करते हुए उन्होंने कहा, “आज मेरी मां इस दुनिया में नहीं हैं, लेकिन मेरी बहनों ने हमेशा मुझे मां जैसा प्यार और सहयोग दिया है। आपातकाल के उस भयावह समय में मेरी बड़ी बहन ने मुझे अपने घर में छुपाकर मेरी जान बचाई थी।”
रघुवर दास ने यह भी कहा कि आपातकाल के दौरान जनता की आवाज को दबा दिया गया था और अभिव्यक्ति की आज़ादी पूरी तरह से खत्म हो गई थी। उन्होंने युवाओं से आग्रह किया कि वे इतिहास से सबक लें और लोकतंत्र को मजबूत बनाने में अपनी भूमिका निभाएं।
बातचीत के अंत में उन्होंने दोहराया कि आज जो भी वे हैं, उसमें उनके परिवार खासकर बहनों का बड़ा योगदान है। यह भावुक पल न केवल उनके व्यक्तिगत जीवन के एक अध्याय को सामने लाया, बल्कि एक महत्वपूर्ण ऐतिहासिक घटना की झलक भी दी।

