Jamshedpur News:मां -बाप फिर बनेंगे दूल्हा-दुल्हन, बेटा – बहु, बेटी-दामाद, नाती- नातिन, पोता पोती होंगे बाराती
मां -बाप फिर बनेंगे दूल्हा-दुल्हन, बेटा - बहु, बेटी-दामाद, नाती- नातिन, पोता पोती होंगे बाराती, एक नही 130 दपंति करेंगे फिर से शादी* *झारखंड श्रीवरी सेवा दल कराएंगे 60 साल पार कर चुके जोडों की शादी, शुल्क मात्र 3000 हजार*
*मां -बाप फिर बनेंगे दूल्हा-दुल्हन, बेटा – बहु, बेटी-दामाद, नाती- नातिन, पोता पोती होंगे बाराती, एक नही 130 दपंति करेंगे फिर से शादी* *झारखंड श्रीवरी सेवा दल कराएंगे 60 साल पार कर चुके जोडों की शादी, शुल्क मात्र 3000 हजार*
जमशेदपुर.
शहर की सामाजिक और सांस्कृतिक संस्था झारखंड श्रीवरी सेवा दल आगामी 19 नवंबर को एक सामूहिक विवाह का कार्यक्रम आयोजित करने जा रहा है. यह कार्यक्रम बिष्टुपुर स्थित आंध्र प्रदेश श्री राम मंदिर में आयोजित किया जाएगा. इस वैवाहिक समारोह में शामिल होने वाले जोड़ों को ₹3000 शुल्क जमा करना होगा. दक्षिण भारत से पंडित आकर विवाह संपन्न कराएंगे. इस शादी में शामिल होने वाले मेहमानों के लिए भोजन की भी व्यवस्था रहेगी, लेकिन 12 साल से उपर के मेहमानों का शुल्क दो सौ रूपया प्रति व्यक्ति होगा.
इस शादी मे वैसे दंपति ही शामिल हो सकते हैं जिनकी उम्र साठ साल पार कर चुकी हो. आयोजकों का दावा है कि झारखण्ड में ऐसा सामूहिक कार्यक्रम पहले नहीं हुआ होगा. इस संबंध में झारखंड श्रीवरी सेवा दल संस्थान ने बताया कि जमशेदपुर में तमिल समुदाय के लोग काफी संख्या में रहते हैं. तमिल समुदाय में साठ साल होने के बाद एक बार फिर शादी की जाती है जिसमें बेटा-बेटी ,पोता -पोती, नाती – नातिन शामिल होते हैं. काफी धूमधाम और विधि विधान से शादी की जाती है लेकिन कई लोग इसे नही कर पाते हैं. इस कारण इस बार संस्थान यह आयोजन कर रहा है.
संस्थान की तरफ से बताया गया कि इस सामूहिक विवाह समारोह में हिन्दू समाज के इच्छुक लोग अपना पंजीयन करा सकता हैं. पंजीयन का शुल्क मात्र तीन हजार रूपया रखा गया है. चूंकि यह कार्यक्रम पहली बार हो रहा है, इस कारण संस्थान ने 130 जोड़ों का ही पंजीयन कराने का निर्णय लिया है. हालांकि अभी तक 110 लोगों ने अपना पंजीयन कराया है. इस शादी को कराने पार्वतीपुरम से पंडित और कन्या को पहनाने के लिए मंगलसूत्र तिरूपति से मंगाए जाएंगे. इसके अलावे इस शादी में शामिल होने वाले लोगों के लिये खाने की भी व्यवस्था रहेगी.
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