Jamshedpur News:युवा संस्था के वार्षिक रीथिंक कार्यक्रम के पहले दिन ‘कार्यस्थल पर यौनिक हिंसा व सुरक्षा,जिम्मेदारी किसकी’ पर पैनल डिस्कशन का हुआ आयोजन

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जमशेदपुर.युवा संस्था की ओर से वर्णाली चक्रवर्ती के नेतृत्व में एग्रीको क्लब हाउस में आयोजित वार्षिक रीथिंक कार्यक्रम के तहत पहले दिन ‘कार्यस्थल पर बढ़ती यौनिक हिंसा व सुरक्षा, जिम्मेदारी किसकी’ विषय पर पैनल डिस्कशन का आयोजन हुआ.इसमें कार्यस्थल पर यौन उत्पीड़न को लेकर बनाए गए पाॅश एक्ट के पालन को लेकर मीडिया संस्थानों की व्यवहारिक स्थिति पर मशहूर सीनियर पत्रकार अन्नी अमृता ने उदाहरणों के साथ प्रकाश डाला.उन्होंने कहा कि ज्यादातर मामलों में आईसीसी कमेटी महज एक खानापूर्ति के लिए बना दी जाती है.अक्सर मीडिया संस्थानों में सर्वोच्च पदों पर बैठे लोगों पर लगे यौन उत्पीड़न के मामले अपने असली अंजाम तक नहीं पहुंच पाते.उन्होंने ईटीवी का उदाहरण देते हुए बताया कि वहां का माहौल महिलाओं के लिए बहुत सुरक्षित था जिसके पीछे दिवंगत चेयरमैन रामोजी राव की अच्छी सोच थी.

वहीं पीपल फाॅर चेंज के संस्थापक सौविक साहा ने एलजीबीटीक्यू समुदाय के साथ हो रहे यौन उत्पीड़न की चर्चा करते हुए बताया कि कैसे नौकरी में उस समुदाय को जगह मिलने के बावजूद उत्पीड़न के मामलों में गैर बराबरी से जूझना पड़ता है.वहीं समाजसेवी दिलीत कार्सेलेटोन ने बताया कि टाटा स्टील जैसी कंपनियों में पाॅश कानून को काफी कड़ाई से लागू किया गया है.हालांकि कई कंपनियों में ऐसा नहीं है जिसको लेकर जागरुकता फैलाने और आवाज उठाने की जरुरत है.

कार्यक्रम में मौजूद मशहूर समाजसेवी अंजलि बोस ने आह्वान किया कि सिर्फ सेमिनारों में भाषण नहीं देना है बल्कि अपने आस पास उत्पीड़न की शिकार लड़कियों की मदद में सामने आना है.

पाॅश एक्ट के तहत स्थानीय कमेटी की सदस्य प्रभा जायसवाल ने कहा कि पिछले तीन सालों से उनके पास एक भी मामला नहीं आया है जो दर्शाता है कि इस मुद्दे पर अभी भी खामोशी है और बहुत काम करना बाकी है.

राजनीतिक कार्यकर्तक अपर्णा गुहा ने कहा कि राजनीति में भी महिलाओं को उत्पीड़न से गुजरना पड़ता है.साथ ही राजनीतिक कार्यकर्ता होने के नाते ऐसे उत्पीड़न के मामलों में जोखिम लेकर मदद करनी पड़ती है.डालसा से आईं एडवोकेट प्रीति मुर्मू ने बताया कि खुद कोर्ट में पाॅश की आईसीसी कमेटी नहीं है जो हैरानी की बात है क्योंकि यह न्याय की जगह है.

कार्यक्रम में मौजूद मानवाधिकार कार्यकर्ता जवाहरलाल शर्मा ने अपने संबोधन में सलाह दी कि चीन की तर्ज पर यहां उत्पीड़न की शिकार(या जिनको उत्पीड़न की आशंका हो) महिलाओं का बीमा हो जिससे वे बीमा की राशि से अपना केस आसानी से लड़ सकें.जब मजबूती से केस लड़ पाएंगी तब उचित प्रतिकार होगा और गलत करनेवालों के मन में भय होगा.

कार्यक्रम में झारखण्ड विकलांग मंच के अध्यक्ष अरुण कुमार सिंह ने बताया कि कैसे कार्यस्थल और अन्य जगहों पर किसी दिव्यांग महिला के साथ उत्पीड़न होने की ज्यादा आशंका रहती है और चुनौतियों के बीच वह बमुश्किल काम कर पाती है.

वर्णाली चक्रवर्ती के नेतृत्व में आयोजित इस कार्यक्रम की सबने सराहना की.अंत में वर्णाली चक्रवर्ती ने कहा कि कार्यस्थल पर सुरक्षित माहौल में काम करना हर महिला का अधिकार है और पाॅश कानून को जमीनी धरातल पर लागू करवाने की कोशिशें जारी रहेंगी.

इस कार्यक्रम में सौविक साहा, समाजसेवी अंजलि बोस, दिलीत कार्सेलेटोन, अरुण कुमार सिंह, गुड़िया नायक, अशोक कुमार रवानी, अपर्णा गुहा,एडवोकेट प्रीति मुर्मू,प्रभा जायसवाल, जवाहरलाल शर्मा व अन्य ने भाग लिया.

 

क्या है पाॅश(POSH) एक्ट
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  • यौन उत्पीड़न निवारण अधिनियम 2013 यानि पाॅश एक्ट कार्यस्थल पर महिलाओं को यौन उत्पीड़न से बचाने के लिए बनाया गया कानून है.इसके तहत संगठनों/कंपनियों को अपने कर्मचारियों के यौन उत्पीड़न की शिकायतों की सुनवाई और उनका समाधान के लिए एक समिति भी बनानी होती है.

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