JAMSHEDPUR NEWS :मिथिला के व्यंजनों की गमक एवं मनोहरी संगीत के साथ प्रारंभ हुआ मिथिला महोत्सव

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जमशेदपुर
ललित नारायण मिश्र सामाजिक एवं सांस्कृतिक कल्याण समिति, जमशेदपुर द्वारा आयोजित दो दिवसीय मिथिला महोत्सव का रंगारंग कार्यक्रमों के साथ शुभारंभ हुआ। इसके प्रथम चरण में मैथिली महिलाओं द्वारा भव्य आनंद मेला का आयोजन किया गया जिसका उद्घाटन जमशेदपुर पूर्वी की विधायिका श्रीमती पूर्णिमा साहू ने किया। रंगारंग सजे हुए स्टॉल और उस पर विविध व्यंजनों की सौंधी गमक दर्शकों को लगातार अपनी ओर आकर्षित कर रही थी। आज मिथिला पेंटिंग के प्रदर्शनी के साथ-साथ मैथिली पुस्तकों के स्टॉल का भी उद्घाटन किया गया। मैथिली पुस्तकों, हस्तकला और मिथिला पेंटिंग के स्टॉल पर भी काफी भीड़ देखी गई।
विशेष रूप से मछली भूजा, मखाना का खीर, मालपुआ, मुरही कचरी आदि स्टॉल पर लोगों की ज्यादा भीड़ दिख रही थी।

मंचीय कार्यक्रम का औपचारिक उद्घाटन मुख्य अतिथि श्रीमती पूर्णिमा साहू विधायिका पूर्वी सिंहभूम, डॉक्टर अशोक अविचल पूर्व संयोजक नॉर्थ ईस्ट रीजन साहित्य अकादमी संस्कृति मंत्रालय भारत सरकार, एवं जिला कांग्रेस के अध्यक्ष आनंद विहार दुबे ने संयुक्त रूप से किया।
मनोज झा ने स्वस्तिवाचन पाठ कर वातावरण को मंगलमय किया। परंपरा अनुकूल भगवती गीत जय जय भैरवी श्री नीलांबर चौधरी ने प्रस्तुत किया।

मुख्य अतिथि के रूप में महोत्सव को संबोधित करते हुए श्रीमती पूर्णिमा साहू ने कहा की मिथिला की संस्कृति देश के सांस्कृतिक विरासत का प्रतिनिधित्व करती है। यह जगतजननी जानकी की भाषा है, जनक, विद्यापति, सलहेश की संस्कृति है। उन्होंने ललित बाबू के द्वारा एक राजनेता के रूप में किए गए कार्यों को भी अनुकरणीय बताया तथा संस्था को उनके नाम पर महोत्सव के आयोजन के लिए बधाई दी। मुख्य वक्ता के रूप में अपना वक्तव्य रखते हुए एलबीएसएम कॉलेज के प्राचार्य और मैथिली के प्रसिद्ध साहित्यकार डॉ अशोक अविचल ने वर्तमान राजनीतिक परिदृश्य और ललितनारायण मिश्रा के विचारों की प्रासंगिकता पर अपना वक्तव्य देते हुए कहा कि ललित नारायण मिश्र जैसे राजनेताओं का जन्म एक युगीन उपलब्धि होती है। संयुक्त बिहार के लिए कहा गया उनका वाक्य कि मैं रहूं या ना रहूं बिहार बढ़कर रहेगा का उन्होंने उल्लेख किया और कहा कि आज बिहार बढ़ रहा है। ललित बाबू का सपना पूरा हो रहा है। मगर पहली बार बिहार और झारखंड के विकास का संपूर्ण सपना उन्होंने देखा था और 36 रेल परियोजनाओं को सर्वेक्षण के लिए मंजूरी दी थी। मिथिला पेंटिंग को अंतर्राष्ट्रीय क्षितिज पर प्रतिष्ठित करने का भी उन्होंने काम किया था जो आज हजारों लोगों को रोजगार उपलब्ध करा रही है।अतिथि के रूप में अपना उद्बोधन देते हुए श्री आनंद बिहारी दुबे ने मिथिला समाज से अपने सरोकारों को ताजा किया और कहा कि मैं समाज का बेटा हूं हर समय मैथिल समाज के साथ रहूंगा।
उन्होंने ललित बाबू के योगदान को याद किया और कहा कि उनके जैसे भविष्य दृष्टा और समाज को साथ में लेकर चलने वाली शक्ति बहुत कम लोगों में होती है। आज भी उनके द्वारा चिन्हित किए गए मार्ग प्रेरणा का काम करते हैं।
समिति के महासचिव श्री शंकर पाठक ने अपने महासचिव के प्रतिवेदन में संस्था द्वारा किए गए वर्ष भर के कार्यों का विवरण प्रस्तुत किया और उन्होंने बताया कि सामूहिक उपनयन, चिकित्सा शिविर, रक्तदान शिविर, विवाह, श्राद्ध आदि में जरूरतमंदों को सहयोग, वार्षिक कैलेंडर का प्रकाशन, साहित्यिक गोष्ठियों का आयोजन, सामूहिक वनभोज आदि सारे समाज से जुड़े हुए कार्य समाज की आवश्यकता अनुसार यह समिति करती है। लोगों ने ताली बजाकर इसका स्वागत किया। कार्यक्रम की अध्यक्षता समिति के अध्यक्ष श्री जयचंद्र झा ने किया। उन्होंने विस्तार से रेलवे के क्षेत्र में और व्यवसाय के रूप से मिथिला ही नहीं संपूर्ण बिहार के लिए ललित बाबू के किए गए कार्यों को अपना आदर्श बताया। अतिथि के रूप में वरीय पुलिस अधीक्षक किशोर कौशल ने भी महोत्सव को संबोधित किया और उन्होंने मिथिला की सांस्कृतिक विरासत की और परंपरा के प्रति अग्नि स्वरूप की प्रशंसा की। उन्होंने कहा कि मिथिला के लोग बुद्धि भी होते हैं और जिसका लाभ संपूर्ण देश को मिल रहा है। रेल पुलिस अधीक्षक प्रवीण पुष्कर ने मिथिला महोत्सव के आयोजको को बधाई दी और उम्मीद जाहिर की किसी तरह ललित बाबू की दिखाए मार्ग पर हुए चलते रहेंगे।

कार्यक्रम में स्वागत भाषण अशोक कुमार पंकज ने दिया और धन्यवाद अरुण झा ने किया। उद्घाटन कार्यक्रम का संचालन प्रसिद्ध नाट्य निर्देशिका श्रीमती अरुणा झा ने किया।

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उद्घाटन सत्र के बाद रंगारंग संस्कृति कार्यक्रम का प्रारंभ हुआ जिसमें मनमोहन विद्यापति गीतों की प्रस्तुति से रंजना झा ने काफी वाहवाहियां लूटी । मीनाक्षी ठाकुर के लोकगीतों ने भी लोगों को काफी झुमाया और रही सही कसर दिलीप दरभंगिया के धमकाने वाले गीतों ने किया।
इससे पहले भाव मृत्यु के प्रस्तुति ने भी कार्यक्रम में चार चांद लगाए

पुस्तक का विमोचन
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मिथिला मौसम में नूतन झा द्वारा लिखी गई पुस्तक वैदेही विमर्श का विमोचन हुआ। महिलाओं की स्थिति को समर्पित यह पुस्तक अपने आप में अनुमति है और महिला विमर्श के विविध पक्षों को छुती है।

इन्हें मिला सम्मान
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कार्यकारिणी सम्मान
1. जय प्रकाश झा,
2. ब्रजकांत झा
3. मन्नू झा
4. गोपाल झा
5. मनोज झा
6. अजय झा
7. अश्विनी ठाकुर

सामाजिक सम्मान
1. उमा झा
2. विकास मिश्र
3. संतोष ठाकुर
4. मनोज झा
5. रमन झा
6. मनोज मिश्रा
7. देवेंद्र झा
8. रंजीत मिश्र
9. वीरेंद्र झा
10. दीपक झा

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