
जमशेदपुर, — झारखंड सरकार के कार्मिक विभाग द्वारा हाल ही में जारी की गई अधिसूचना, जिसमें राज्य में 15 क्षेत्रीय एवं जनजातीय भाषाओं को सूचीबद्ध किया गया है, ने एक बार फिर मैथिलीभाषी समुदाय की भावनाओं को आहत किया है। आश्चर्यजनक रूप से झारखंड की द्वितीय राजभाषा का दर्जा प्राप्त मैथिली भाषा को इस सूची में स्थान नहीं दिया गया, जिससे राज्य भर में निवास कर रहे मिथिलावासियों में गहरा क्षोभ और नाराजगी उत्पन्न हो गई है।


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सर्वदलीय मैथिल संगठनों की आपात बैठक
इस परिस्थिति की गंभीरता को देखते हुए अंतरराष्ट्रीय मैथिली परिषद के प्रदेश सचिव पंकज कुमार झा की पहल पर जमशेदपुर में एक आपात बैठक बुलाई गई। इसमें क्षेत्र की प्रमुख मैथिल संस्थाओं ने भाग लिया, जिनमें शामिल थे:
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अंतरराष्ट्रीय मैथिली परिषद (रांची, पूर्वी सिंहभूम, सरायकेला-खरसावां)
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मिथिला सांस्कृतिक परिषद
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विद्यापति परिषद
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ललित नारायण मिश्र सामाजिक एवं सांस्कृतिक समिति
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परमहंस लक्ष्मीनाथ गोस्वामी समिति
बैठक में उपस्थित प्रतिनिधियों ने कहा कि मैथिली जैसी पौराणिक, समृद्ध और संविधान की आठवीं अनुसूची में सम्मिलित भाषा के साथ यह व्यवहार निंदनीय है। बार-बार हो रही उपेक्षा के खिलाफ सर्वसम्मति से यह निर्णय लिया गया कि:
सभी संस्थाएं मिलकर “मैथिली भाषा संघर्ष समिति” के बैनर तले कार्य करेंगी।
जिलाधिकारी (DC) एवं स्थानीय जनप्रतिनिधियों को ज्ञापन सौंपा जाएगा।
आवश्यकता पड़ने पर यह संघर्ष आंदोलन का रूप भी ले सकता है।
अन्य भाषायी समाज जैसे भोजपुरी, मगही, अंगिका आदि के साथ संयुक्त मोर्चा बनाने की भी सहमति बनी।
बैठक में उठे प्रमुख स्वर
बैठक की अध्यक्षता हंसराज जैन जी ने की और धन्यवाद ज्ञापन अनूप मिश्रा ने की। बैठक में प्रमुख रूप से अमलेश झा, धर्मेश झा(लड्डू), बिपिन झा, अशोक दास, हंसराज जैन, कृष्णा कामत, राजीव रंजन झा , अनूप मिश्रा (ज्योति) , पंकज कुमार झा आदि शामिल हुए। बैठक की समाप्ति अहमदाबाद में हुए प्लैन दुर्घटना में मारे गए सभी के प्रति संवेदना प्रकट कर की गई।