जमशेदपुर.
जमशेदपुर की वरिष्ठ महिला साहित्यकारों के समूह ‘फुरसत में’ ने ऑनलाइन सावन मिलन सह प्रेमचंद जयंती मनाई.वाणी वंदन के बाद प्रेमचंद को नमन अर्पित किया गया. इस अवसर पर एक काव्य गोष्ठी भी आयोजित हुई.प्रथम रचना अहमदाबाद से जुडी उमा सिंह की थी—
“रोज अपने ख्वाब की तस्वीर बनाते है हम,कभी अपनी या किसी की तकदीर बनाते है हम”
उसके बाद सुधा अग्रवाल ने अपनी गजल पढी-
“शब्द भावनाओं के आगोश में हैं,स्याही दिले ख्वाहिशों के जोश में हैं,खुदा की खुदाई को प्रेम की पाँति बना लिख दे अपने जुनून को जो तेरे होश में है “
आरती श्रीवास्तव ने एक मुकरी सुनाकर समां बांध दिया-
“पूजन शंकर को चलिए सखी,पावन सावन मास सुहाया
नाग सजे गल कंठ भुजा शिव
रूप अलौकिक भक्तन भाया “
छाया प्रसाद ने एक कजरी गाकर सावन के आनंद को दुगुना कर दिया–
“कइसे खेलन जइबू सावन में कजरिया बदरिया घिर आयी ननदी”
रेणु बाला मिश्रा ने अपनी रचना ” विरह का सावन सुनाकर सभी को भावुक कर दिया–
“मेरा सावन खो गया है
बादलों के ऊपर कहीं सो गया है
जानती हूं मेरा सावन कभी न आएगा”
अनीता निधि की रचना प्रेमचंद को समर्पित थी-
“कलम के जादूगर प्रेमचंद लेखक थे महान,पढ़ कर जान लो उनका गबन और गोदान.”
कवयित्री सुस्मिता मिश्र ने अपनी रचना सुनाकर पावस का स्वागत किया–
“वातावरण हो जाता पावन, आता है जब मौसम सावन
किया शिवालय ने शृंगार, मानो शिव ने लिया अवतार”
लोक गायिका वीणा पाण्डेय की रचना थी —
“आओ कुछ पल अपना चुराते हैं
फिर से कागज की नाव बनाते हैं इंद्रधनुषी हो गया है आज मन मेरा
एकबार फिर बचपन को बुलाते हैं”
पुणे से किरण सिन्हा ने गाया-
जाने क्यों सावन से पहले मनभींगा भींगा सा है
अबके जो आया सावन जी भर कर मैं भींगूगी
अध्यक्षा पद्मा मिश्रा ने यह सावन अमृत हो जाए *सुनाकर सभी के लिए सावन के सुखमय होने की कामना की–
“तुम मेघदूत बन आ जाओ, मेरा संसार बुलाता है रिमझिम बूंदों की तान लिए पावस का हास बुलाता है.”
कुशल मंच संचालन करते हुए मनीला कुमारी ने भी एक कजरी सुनाई, और भगवान शिव को नमन प्रस्तुत किया.अध्यक्षता पद्मा मिश्रा तथा धन्यवाद ज्ञापन रेणु बाला मिश्र ने किया.
इस अवसर पर आनंद बाला शर्मा, सरित किशोरी श्रीवास्तव, माधुरी मिश्र, सरिता सिंह, मीनाक्षी कर्ण,इंदिरा पाण्डेय व सभी सदस्य उपस्थित थे.


