जमशेदपुर। तांबा खनन क्षेत्र में महत्वपूर्ण उपलब्धि के रूप में केंदाडीह कॉपर माइंस का पट्टा विलेख झारखंड सरकार द्वारा औपचारिक रूप से निष्पादित किया गया। यह पट्टा विलेख पूर्वी सिंहभूम के उपायुक्त श्री कर्ण सत्यार्थी द्वारा राज्य सरकार की ओर से और हिंदुस्तान कॉपर लिमिटेड (एचसीएल) की ओर से आईसीसी के कार्यकारी निदेशक-सह-इकाई प्रमुख द्वारा हस्ताक्षरित किया गया।
केंदाडीह खनन पट्टा 20 वर्षों की अवधि के लिए प्रदान किया गया है। इससे न केवल केंदाडीह कॉपर माइंस में तांबा अयस्क उत्पादन पुनः आरंभ होगा, बल्कि खनन संचालन में भी तेजी आएगी। यह परियोजना क्षेत्र के तांबा उत्पादन के विकास के लिए रणनीतिक रूप से अत्यंत महत्वपूर्ण मानी जा रही है। मौके पर उप विकास आयुक्त श्री नागेंद्र पासवान, अपर उपायुक्त श्री भगीरथ प्रसाद और जिला खनन पदाधिकारी श्री सतीश कुमार नायक उपस्थित रहे।
पट्टा विलेख के निष्पादन से केंदाडीह कॉपर माइंस से प्रतिवर्ष लगभग ₹19 करोड़ का राजस्व सृजन होने का अनुमान है और लगभग 500 लोगों को प्रत्यक्ष रोजगार मिलने की संभावना है। इसके साथ ही, पहले निष्पादित राखा और सुरदा खनन पट्टों के साथ एचसीएल/आईसीसी अपने तीन खनन पट्टों से राज्य सरकार को लगभग ₹100 करोड़ सालाना राजस्व देने में सक्षम होगा। इस परियोजना के संचालन से क्षेत्र में प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से लगभग 15–20 हज़ार लोगों के लिए रोजगार के अवसर सृजित होंगे।
एचसीएल ने 1.5 मिलियन टन प्रति वर्ष क्षमता वाला बेनीफिशिएशन प्लांट स्थापित करने की भी योजना बनाई है। इसके लिए भूमि झियाडा (JIADA) से अधिग्रहित की जा चुकी है। यह परियोजना निवेश मूल्य संवर्धन, संसाधनों का बेहतर उपयोग और अतिरिक्त रोजगार सृजन में मदद करेगी।
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इस अवसर पर उपायुक्त श्री कर्ण सत्यार्थी ने कहा कि केंदाडीह खनन पट्टा विलेख का निष्पादन राज्य सरकार की उत्तरदायी खनन नीतियों, पर्यावरणीय मानकों के अनुपालन और स्थानीय लोगों के लिए नए अवसर सृजित करने की प्रतिबद्धता को दर्शाता है। यह परियोजना पूर्वी सिंहभूम जिले में समावेशी विकास और सतत प्रगति को गति प्रदान करेगी और झारखंड को देश के प्रमुख खनिज संसाधन केंद्र के रूप में सुदृढ़ करेगी।

