जमशेदपुर, :
अखिल भारतीय कायस्थ महासभा की नामदा बस्ती शाखा द्वारा सोमवार को देश के प्रथम राष्ट्रपति और भारत रत्न देशरत्न डॉ. राजेंद्र प्रसाद की जयंती अत्यंत श्रद्धा और सम्मान के साथ मनाई गई। कार्यक्रम में जमशेदपुर तथा आसपास के क्षेत्रों से बड़ी संख्या में कायस्थ समाज के लोग शामिल हुए और भारत के महान सपूत को नमन किया।
कार्यक्रम का शुभारंभ महासभा के अध्यक्ष मदन मोहन प्रसाद ने डॉ. राजेंद्र प्रसाद की तस्वीर पर पुष्प अर्पित कर एवं दीप प्रज्वलित कर किया। उन्होंने अपने संबोधन में कहा कि राजेंद्र बाबू न केवल सादगी और त्याग के प्रतीक थे, बल्कि भारतीय संविधान के निर्माण की प्रक्रिया में उनकी भूमिका ऐतिहासिक रही है। उन्होंने उपस्थित समाजजनों से अपील की कि वे राजेंद्र बाबू के आदर्शों—ईमानदारी, कर्तव्यनिष्ठा और विनम्रता—को अपने जीवन में शामिल करें।
महासभा के महामंत्री अनिल कुमार सिन्हा ने कहा कि डॉ. राजेंद्र प्रसाद का जीवन संघर्षों से भरा हुआ था, लेकिन उन्होंने हर बाधा को दृढ़ता और सकारात्मक सोच से पार किया। उनका संतुलित स्वभाव, सरल जीवन और राष्ट्र के प्रति समर्पण आज की पीढ़ी के लिए प्रेरणा का स्रोत है। उन्होंने कहा कि समाज के युवा वर्ग को ऐसे महापुरुषों के जीवन से सीख लेनी चाहिए और समाज व राष्ट्र के लिए योगदान देने का संकल्प लेना चाहिए।
कार्यक्रम में महासभा के वरिष्ठ पदाधिकारियों और सदस्यों ने भी अपनी उपस्थिति दर्ज कराई। मुख्य रूप से उपस्थित थे— मुरारी प्रसाद वर्मा, सरस कुमार श्रीवास्तव, राजीव कुमार श्रीवास्तव, रंजीत कुमार श्रीवास्तव, कृष्ण कांत सिन्हा, दिनेश कुमार श्रीवास्तव, अमरेश कुमार श्रीवास्तव, शंभू शरण श्रीवास्तव और दिनेश श्रीवास्तव।
सभी ने मिलकर डॉ. राजेंद्र प्रसाद के चित्र पर माल्यार्पण कर उन्हें अपनी श्रद्धांजलि अर्पित की।
अंत में महासभा के सदस्यों ने राष्ट्र निर्माण में योगदान देने और कायस्थ समाज की एकजुटता को मजबूत करने का संकल्प लिया। कार्यक्रम उत्साहपूर्ण वातावरण में संपन्न हुआ और उपस्थित लोगों ने इसे सामाजिक चेतना को बढ़ाने वाला आयोजन बताया।

