घाटशिला। भारतीय जनता पार्टी के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष डॉ. दिनेशानंद गोस्वामी ने झारखंड की झामुमो गठबंधन सरकार पर तीखा प्रहार करते हुए कहा कि राज्य में बांगला, ओड़िया तथा क्षेत्रीय एवं जनजातीय भाषाओं की घोर उपेक्षा की जा रही है। उन्होंने कहा कि झारखंड एक बहुभाषी राज्य है, जहां बड़ी संख्या में लोग ओड़िया और बांगला मातृभाषा के रूप में बोलते हैं। इसके बावजूद राज्य सरकार ने इन भाषाओं के संरक्षण और संवर्धन की दिशा में कोई ठोस कदम नहीं उठाया है।
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डॉ. गोस्वामी ने कहा कि नई शिक्षा नीति (एनईपी) के अनुसार प्राथमिक स्तर पर शिक्षा मातृभाषा में देने का प्रावधान किया गया है। लेकिन झामुमो सरकार इस दिशा में पूरी तरह असफल रही है। उन्होंने आरोप लगाया कि सरकार ने न तो ओड़िया और बांगला भाषाओं की पाठ्यपुस्तकों की उपलब्धता सुनिश्चित की, और न ही इन भाषाओं के शिक्षकों की बहाली में कोई रुचि दिखाई। इससे इन भाषाओं में पढ़ाई करने वाले बच्चों को भारी कठिनाइयों का सामना करना पड़ रहा है।
भाजपा नेता ने आगे कहा कि राज्य की हेमंत सोरेन सरकार की नीतियां भाषाई और सांस्कृतिक विविधता को कमजोर करने वाली हैं। उन्होंने कहा कि रांची स्थित डॉ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी विश्वविद्यालय का नाम बदलने का निर्णय बंगभाषी समाज की भावनाओं को आहत करने वाला कदम है। इस कदम से यह स्पष्ट होता है कि सरकार बंगाली समाज के योगदान और भावना के प्रति संवेदनशील नहीं है।
डॉ. गोस्वामी ने कहा कि भाजपा हमेशा से स्थानीय भाषाओं, संस्कृति और जनजातीय पहचान के संरक्षण की पक्षधर रही है। उन्होंने कहा कि झारखंड की जनता अब इस उपेक्षा को बर्दाश्त नहीं करेगी और आगामी घाटशिला विधानसभा उपचुनाव में इसका जवाब देगी।
उन्होंने जनता से अपील की कि झारखंड के विकास और भाषाई समानता के लिए भाजपा प्रत्याशी बाबूलाल सोरेन को भारी मतों से विजयी बनाएं।
डॉ. गोस्वामी शनिवार को घाटशिला के डाहीगोड़ा स्थित सर्कस मैदान में आयोजित भाजपा की चुनावी सभा को संबोधित कर रहे थे। इस दौरान बड़ी संख्या में कार्यकर्ता और स्थानीय लोग उपस्थित थे।
सभा के दौरान डॉ. गोस्वामी ने कहा कि भाजपा सरकार बनने पर क्षेत्रीय और जनजातीय भाषाओं को विद्यालयों में पढ़ाने की दिशा में ठोस पहल की जाएगी, ताकि आने वाली पीढ़ियां अपनी मातृभाषा और संस्कृति से जुड़ी रह सकें।

