
जमशेदपुर.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से अपनी व्यथा को लेकर शिकायत करने गई महिला को जेल भेजा गया जो निंदनीय है. आखिरकार उस महिला से प्रधानमंत्री को किस प्रकार के खतरा था. उसके हाथ में कुछ नहीं था फिर उसे खतरा क्यों माना गया? संगीता झा नाम की महिला देवघर की रहने वाली है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने खुद कई बार कहा है कि वे जनता के सेवक हैं फिर जनता से इतनी नफरत क्यो? प्रधानमंत्री को खुद पहल करनी चाहिए और उस महिला से उसकी व्यथा सुनकर न्याय देने का काम करना चाहिए था लेकिन उन्होंने महिला को जेल भिजवा दिया. प्रधानमंत्री मोदी झारखंड में राजनीतिक उद्देश्य से आए थे. अधिवक्ता सुधीर कुमार पप्पू ने उक्त बातें कहीं हैं.उन्होंने कहा कि पूरे प्रकरण की घोर निंदा होनी चाहिए. प्रधानमंत्री एसपीजी के साए में चलते हैं और महिला खाली हाथी, फिर खतरा कैसा?
अधिवक्ता पप्पू ने कहा कि मणिपुर में भाजपा की सरकार ने आदिवासी महिलाओं और पुरुषों के साथ इतना अत्याचार किया वह जग जाहिर है. उन्होंने कहा कि बिरसा मुंडा की पवित्र प्रतिमा पर नरेंद्र मोदी ने माल्यार्पण किया है. उनकी अपील है कि आदिवासी समाज के लोग गंगाजल से प्रतिमा का शुद्धिकरण करें. रांची पुलिस ने प्रधानमंत्री कार्यालय के इशारे पर संगीता झा के ऊपर गलत ढंग से गंभीर धारा लगाकर उसे जेल भेजा जो भारत जैसे लोकतांत्रिक देश में अनुचित है. इसकी निंदा होनी चाहिए. प्रधानमंत्री को जनता चुनती है और जनता ही उतार कर फेंक देगी. प्रधानमंत्री की जनता से दूरी लोकतंत्र के लिए खतरा है. आखिर नरेंद्र मोदी उस महिला से क्यों नहीं मिले और उनकी व्यथा सुनी. अधिवक्ता ने कहा कि आगामी लोकसभा चुनाव बाद नरेंद्र मोदी प्रधानमंत्री की कुर्सी पर नहीं रहेंगे और उन्हें पूछने वाला कोई नहीं होगा. उनकी मांग है कि रांची पुलिस संगीता झा के ऊपर लगे मुकदमे को वापस लेकर उसे न्याय दे.